डिप्रेशन की चाबी आयुर्वेद में है
डिप्रेशन (अवसाद) नई जनरेशन के लिए अत्यंत खतरनाक मानसिक बीमारी है।
डिप्रेशन के इम्प्रेसन से बचने के लिए
इस ब्लॉग को पूरा अवश्य पढ़ें! किसी शायर ने खुदा से प्रार्थना की है कि-
एक दिमाग वाला दिल,
मुझे भी दे दे ए खुदा…
ये दिल वाला दिल,
सिर्फ तकलीफ़ ही देता है…
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डव्लू एच ओ) ने दुनिया
को चेताया है कि युवा पीढ़ी यानि नई
जनरेशन अब डिप्रेशन के डर से डरी हुई है।
ज़िन्दगी की थकान में गुम हो गए,
वो लफ्ज़ जिसे सकुन कहते है।
वैज्ञानिकों की खोज-
"डिप्रेशन एवं अन्य सामान्य
मानसिक विकार-विश्व स्वास्थ्य आंकलन"
शीर्षक वाली जांच (रिपोर्ट) से ज्ञात हुआ है कि
पूरी दुनिया में भारत अवसाद (डिप्रेशन) अर्थात मानसिक रोग से पूरी तरह प्रभावित देशों में से एक है। हिंदुस्तान में डिप्रेशन (अवसाद) तीव्र गति से बढ़ रहा है। 5 करोड़ से भी अधिक भारतीय भयंकर मानसिक विकार तनाव,अशान्ति और भय-भ्रम,चिंता से पीड़ित हैं।
दिमाग की चाबी है-ब्रेन की गोल्ड
एक ऐसी देशी दवा है जो दिमाग के
बन्द दरवाजे खोलकर डिप्रेशन,तनाव को तबाह
कर सकता है।
बहुत लंबे समय तक थकावट,सुस्ती,आलस्य,
चिन्ता, घबराहट, बैचेनी, तनाव है,तो मनोविज्ञान एवं आयुर्विज्ञान का मानना है कि
कहीं न कहीं आप अवसाद की डगर पर जाने को
तैयार बैठे हैं। आपका मन विचलित हो रहा है।
जीने की इच्छा शक्ति क्षीण होती जा रही है।
दिमाग़ को दुरुस्त मस्ट रखने के लिए अमृतम चंदन लगायें
अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुःख-तकलीफों से माना जाता है। इसे मानसिक विकार या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। अमृतम आयुर्वेद एवं आयुर्विज्ञान में कोई भी व्यक्ति अवसाद की अवस्था में स्वयं कोकमजोर,हीन, लाचार और निराश महसूस करता है। अवसाद या डिप्रेशन से व्यथित व्यक्ति-विशेष के लिए धन-संपदा,ध्यान-कर्म,सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि रिलेटिव या रिश्तेदार,मित्र-यार,परिवार या अन्य कोई संबंध( रिलेशन) तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा,चिन्ता, फ़िक्र, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है।
यह एक मनोदशा विकार है। इसे मानसिक रोग भी कहा जाता है।जब किसी व्यक्ति में बहुत लम्बे सेमय तक चिन्ता की स्थिति बनी रहती है तो वह ‘‘अवसाद’’ या विषाद का रूप ले लती है। अवसाद या डिप्रेशन की स्थिति में व्यक्ति का मन बहुत ही उदास रहता है तथा उसमें मुख्य रूप से निष्क्रियता अकेले रहने एवं आत्महत्या के प्रयास करने की प्रवृत्ति पायी जाती है। ऐसा अवसादग्रस्त व्यक्ति स्वयं को दीन-हीन, निर्बल मानकर जिन्दगी को बेकार समझने लगता है।
लालन-,पालन की कमी भी जिम्मेदार है
अवसाद या डिप्रेशन के लिए-
"इसे पढ़ना बहुत जरूरी है"
डिप्रेशन (अवसाद) के भौतिक औऱ बाहरी कारण भी अनेक हो सकते हैं। इनमें कुपोषण, आनुवांशिकता, क्लेश कारक परिस्थितियों में जीवन यापन करना,हार्मोन व विटामिन की कमी,मौसम,
सीजन के भी एक डिप्रेशन होता है जैसे बहुत से लोग ज्यादा गर्मी या सर्दी नहीं झेल पाते।अकेलापन, फालतू की चिंताएं, घबराहट,तनाव, बार-बार की बीमारी, नशा, अपने दिल की बात किसी को बता नहीं पाना,किसी काम में मन न लगना, ज्यादा क्रोधित रहना,आत्मविश्वास का टूट जाना, हीनभावना रहना,अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ,रोगों से घिरे रहना आदि प्रमुख हैं।
इनके अतिरिक्त अवसाद से पीड़ित 85 फीसदी
लोगों में नींद की समस्या होती है। मनोविश्लेषकों तथा मनोवैज्ञानिकों के अनुसार अवसाद (डिप्रेशन) के कई औऱ भी अनेक कारण हो सकते हैं। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बनावट या उसके मूल व्यक्तित्व अथवा परिवार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
अमृतम आयुर्वेद के हिसाब से एवं आयुर्वेद की सहिंताओं के अनुसार अवसाद (डिप्रेशन) असाध्य रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक, आनुवांशिक और मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक कारण हो सकते हैं। यही नहीं जैवरासायनिकअसंतुलन के कारण भी कोई कोई अवसाद (डिप्रेशन) की चपेट में आ जाता है। वर्तमान में डिप्रेशन की अधिकता से पीड़ित होकर अनेकों लोग सोसाइड (आत्महत्या) तक कर रहे हैं। इसलिए परिवार के लोगों को सदैव परिजनों की रक्षा-सुरक्षा के लिये चैतन्य व सजग रहना जरूरी है।
ध्यान रखें कि परिवार (फेमिली)का कोई सदस्य (मेम्बर) बहुत समय तक गुमसुम,उदास,चुपचाप रहता है, अपना अधिकतम समय अकेले में बिताता है, निराशा से भरी,निगेटिव बातें करता है, तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। उसे अकेले में न रहने दें। हंसाने की कोशिश करें।
देशी दवाओं एवं देशी उपायों का सहारा लेवे।
तत्काल
ब्रेन की गोल्ड माल्ट औऱ टेबलेट
का सेवन करना चालू करें।
डिप्रेशन में जाने के क्या कारण है-
घर-परिवार,समाज औऱ
देश की विपरीत परिस्थितियों की वजह से
लोग दिशाहीन होते जा रहे हैं। वर्तमान में तेज़ गति से युवाओं में बढ़ता डिप्रेशन का कारण है,
प्राकृतिक नियम-धर्म,संस्कारों से विमुख होना।
अन्य औऱ भी समस्याएं तनाव,चिन्ता, डिप्रेशन
वृद्धि में सहायक है। कहीं-कहीं द्वेष-दुर्भावना,स्वार्थ तथा बुरा समय भी डिप्रेशन पैदा कर देता है,तभी तो किसी मस्त-मौला ने कहा है-
दीवार क्या गेरी मेरे कच्चे मकान की
लोगो ने मेरे घर से रास्ते बना लिए
1क्यों होता है अवसाद (डिप्रेशन)
■ रसराज महोदधि,
■■ शालाक्य विज्ञान,
■■■ भैषज्य रत्नसार,
■■■■ मन की संवेदनाएँ
■■■■■ चरक व सुश्रुत संहिता आदि आयुर्वेद के प्राचीन प्रसिद्ध ग्रंथों में अवसाद (डिप्रेशन) के लिए ढेर सारा लिखा पड़ा है।
निम्न कारण हो सकते हैं डिप्रेशन के-
●● सहनशीलता में कमी
●● बढ़ती महत्वकांक्षा
●● धैर्य व सयंम न होना
●● अपनी तकलीफों को छुपाना
●● पारिवारिक मूल्यों का पतन
●● रिश्तों में दिखावा
●● दुख के समय मजाक उड़ाना
●● युवा पीढ़ी का परिवार औऱ माता-पिता एवं समाज से दूर रहना।
●● स्वयं को स्वीकार न करने की कुंठा
●● सामाजिक उपेक्षा
●● खुद को कमजोर व गिरा हुआ समझना,
●● बार-बार असफलता
●● रात में पूरी नींद न लेना
●● नशे की बढ़ती प्रवृत्ति
●●निगेटिव सोच,सपने बड़े,
●● आर्थिक तंगी
●● रोगों का भय,
●● परिवार की चिंता
●● बेशुमार बेरोजगारी
●● अपनो से या इश्क-प्यार में धोखा आदि
भारतीय समाज में डिप्रेशन(अवसाद)
का प्रमुख कारण है।
मोहब्बत के मारे-
वर्तमान के कलयुगी औऱ स्वार्थी मोहब्बत ने
भी युवाओं को डिप्रेशन में डाल रखा है।
सभी धर्मशास्त्र कहते हैं कि किसी के दिल को देवी
देवता नहीं समझ पाए,तो हमारी क्या बिसात है।
नामुमकिन है इस दिल को समझ पाना !
दिल का अपना अलग ही दिमाग होता है !!
भारत में दिनोदिन सुरसा के मुख की तरह
नई पीढ़ी में बढ़ता डिप्रेशन का डर बहुत ही
तनाव या चिंता का विषय है।
डिप्रेशन के शारीरिक लक्षण-
सिरदर्द,कब्ज एवं अपच,छाती में दर्द,अनिद्रा भोजन
में अरूचि, पूरे शरीर में दर्द एवं थकान इत्यादि।
2-प्रकार के डिप्रेशन-
डिप्रेशन या अवसाद को मनोवैज्ञानिकों एवं अमृतम आयुर्वेद के मनोचिकित्सकों ने दो श्रेणियों में विभक्त किया है-
■ प्रधान विषादी विकृति-
इसमें व्यक्ति एक या एक से अधिक अवसादपूर्ण घटनाओं से पीड़ित होता है। इस श्रेणी के अवसाद (डिप्रेशन) में अवसादग्रस्त रोगी के लक्षण कम से कम दो सप्ताह से रहे हों।
■ डाइस्थाइमिक डिप्रेशन-
इसमें विषाद की मन:स्थिति का स्वरूप दीर्घकालिक होता है। इसमें कम से कम एक या दो सालों से व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यो में रूचि खो देता है तथा जिन्दगी जीना उसे व्यर्थ लगने लगता है।
ऐसे व्यक्ति प्राय: पूरे दिन अवसाद की मन:स्थिति में रहते है। ये प्राय: अत्यधिक नींद आने या कम नींद आने, निर्णय लेने में कठिनार्इ, एकाग्रता का अभाव तथा अत्यधिक थकान इन समस्याओं से पीड़ित रहते हैं।
कैसे निपटे अवसाद से-
★★ अवसाद से परेशान पीड़ितों का मजाक न बनाकर उनके प्रति अपनापन का भाव
पैदा करना होगा।
★★ डिप्रेशन से पीड़ितों के प्रति
संवेदनशील बनना पड़ेगा।
"प्यार बांटते चलो" वाली पुरानी विचारधारा से काफी हद तक डिप्रेशन को कम किया जा सकता है।
★★ ईश्वर की दुआ औऱ अमृतम की
आयुर्वेदिक देशी दवा भी डिप्रेशन मिटाने के लिए बहुत फायदेमन्द है।
आँसू हैं अवसाद है
सब प्रभु का प्रसाद है
ये सोच भी आपमें हिम्मत भर सकती है
★★ योग,व्यायाम, प्राणायाम, मॉर्निंग वॉक,
दौड़ना,अच्छे साहित्य का अध्ययन,सत्संग अर्थात अच्छे लोगों का संग,समाज सेवा,
समय पर काम निपटाना, आलस्य का त्याग,
सकरात्मक सोच, कैसे भी व्यस्त रहना,
सात्विक भोजन, खर्चे में कटौती, लेखन,
प्रेरक कहानियां पढ़ना,गिरीबों की सेवा,
असहाय बच्चों को पढ़ाना,ध्यान करना,
घर,आफिस,मन्दिर,मस्जिद,गुरुद्वारे की साफ-सफाई औऱ देखभाल करना। आदि में व्यस्त
रहकर समय को खुशी के साथ बिताया जा सकता है।
ब्रेन की है-मानसिक शांति की गारंटी
मन को मिलिट्री की तरह मजबूत बनाने के लिए ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं ब्रेन की गोल्ड टेबलेट
डिप्रेशन के दाग को पूरी तरह धो देता है।
यह शुद्ध देशी जड़ीबूटियों जैसे ब्राह्मी,शंखपुष्पी,जटामांसी से निर्मित है।
इसे औऱ अधिक असरदार बनाने के लिए
इसमें स्मृतिसागर रस मिलाया गया है।
अश्वगंधा आयुर्वेद की बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट मेडिसिन है।
शतावर मस्तिष्क में रक्त के संचार
को आवश्यकता अनुसार सुचारू करता है।
जिससे डिप्रेशन तत्काल दूर होता है।
प्रोटीन,विटामिन, मिनरल्स की पूर्ति हेतु
ब्रेन की में आँवला, सेव,गुलाब,त्रिकटु
का मिश्रण किया गया है।
आपके अनुभव से बन रहा है नया आयुर्वेद--
आयुर्वेद के इतिहास में अमृतम एक नया नाम है। नया अध्याय है। क्योंकि इस समय की खतरनाक बीमारियों से मुक्ति पाने तथा पीछा छुड़ाने के लिए आयुर्वेद की पुरानी परम्पराओं को परास्त करना जरूरी है।
अमृतम की देशी दवाएँ सभी के लिए स्वास्थ्य
की रक्षक औऱ दिमाग का सेतु है। हमारा विश्वास है कि दिमागी दवाओं में ब्रेन की का चयन ही आपको चैन देगा।
दिमाग की चाबी है-ब्रेन की गोल्ड
आयुर्वेद के उपनिषद बताते हैं कि-
जीवन की जटिलताओं,रोग-विकारों से बचने के लिए आयुर्वेद ही पूरी तरह सक्षम है। देशी दवाएँ स्थाई इलाज के लिये बहुत जरूरी है।
मानसिक रोग,अवसाद (डिप्रेशन) को
"अमृतम आयुर्वेद चिकित्सा" से ठीक किया जा सकता है। इस समय ब्रेन को खुशनुमा बनाने के लिए देशी दवा बहुत कारगर सिद्ध हो रही हैं। आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार मष्तिष्क को राजा औऱ शरीर की कोशिकाओं को सेना माना गया है। यदि राजा दुरुस्त है- मजबूत है,तो दुश्मन हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं टेबलेट
आयुर्वेद के नये योग से निर्मित नये युग की अवसाद नाशक,डिप्रेशन दूर करने के लिए एक नई विलक्षण हर्बल मेडिसिन है। यह
सपने सच करने का साथी है।
डिप्रेशन के इम्प्रेसन से पीड़ितों के लिए इसे
सुबह खाली पेट गर्म दूध के साथ लेवें,तो
बहुत ही अच्छा है अन्यथा इसे गर्म पानी में मिलाकर चाय की तरह भी ले सकते है। इसे दिन में 3 से 4 बार तक लिया जा सकता है।
आयुर्वेद की प्राचीन परम्पराओं को परखने,
पढ़ने औऱ परिपूर्ण होने के लिए आवश्यक है
निवेदन-हम अमृतम की लाइब्रेरी में स्थित
15 से 20 हजार पुरानी किताबों के किवाड़
खोलकर ब्लॉग चुनते हैं जिन्हें वैज्ञानिक कसौटी पर भी परख सकते हैं। अमृतम के लेख यदि पसन्द आएं,तो उन्हें लाइक,कमेंट्स,शेयर करने में कतई कंजूसी न करें।
औऱ, अब अन्त से अनन्त की ओर-
कुछ लोग बहुत निराश होकर इतने टूट
जाते हैं इसके लिए किसी ने कह दिया
हकीम से क्या पूछें,
इलाज-ए-दर्दे दिल।
मर्ज जब जिंदगी खुद ही हो,
तो दवा कैसी, दुआ कैसी।
खुश रहने का फंडा-
जब किसी को बहुत समझने के बाद भी अपने मन की करे,तो उसे अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए।
उसकी ज्यादा चिन्ता,फ़िकर नहीं करना चाहिए।
यह पुराने अनुभवी लोगों की नसीहत है। इसीलिए कहा गया कि-
बहते को बह जाने दे,
मत बतलावे ठौर।
समझाए समझे नहीं,
तो धक्का दे-दे और।।
कभी-कभी बहुत बाल की खाल निकालना भी डिप्रेशन का कारण बनता है।
केवल काम के आदमी के साथ रहो। एक ग्रामीण तुकबंदी है।
बारह गाँव का चौधरी,
अस्सी गाँव का राव।
अपने काम न आये तो,
ऐसी-तैसी में जाओ।।
हारा मन इशारा कर रहा है-
मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत।
पारब्रह्म को पाइए,
मन ही की परतीत।।
अर्थात- कभी भी निराश नहीं होना चाहिए।
यह सूक्ति हजारों साल पुरानी है।
सूफी कहावत है-
खुद को कर बुलंद इतना कि,
खुदा वन्दे से पूछे-बता तेरी रजा क्या है।
अर्थात-अपना आत्मविश्वास औऱ प्रयास
ऐसा हो कि खुद खुदा आकर हमारी हर मुराद पूरी करे।
एक अद्भुत धार्मिक कहानी
परम सन्त भक्त रैदास का नाम,तो आपने सुना ही होगा। उनकी यह कहावत विश्व प्रसिद्ध है-
"मन चंगा,तो कठौती में गंगा"
इसका सीधा सा अर्थ यही है कि-
अगर मन शुद्ध है अथवा यदि शरीर स्वस्थ्य-
तन तंदरुस्त है,तो घर में ही गंगा है।
एक बेहतरीन किस्सा
कहते हैं कि एक बार सन्त रैदास ने कुछ
यात्रियों को गंगास्नान के लिए जाते देख,
उन्हें कुछ कौंडियां देकर कहा कि इन्हें माँ
गंगा को भेंट कर देना,परन्तु देना,तभी जब
गंगा जी साक्षात प्रकट होकर कोढ़ियाँ
ग्रहण करें।
तीर्थ यात्रियों ने गंगा तट पर जाकर,स्नान के समय स्मरण करते हुए,कहा कि- ये कुछ कोढ़ियाँ सन्त रैदास ने आपके लिए भेजी हैं,आप इन्हें स्वीकार कीजिये। माँ गंगा ने हाथ बढ़ाकर कोढ़ियाँ ले लीं
औऱ उनके बदले में सोने (गोल्ड) काएक कंगन "सन्त रैदास" को देने के लिए दे दिया।
यात्री गण-वह कंगन रैदास के पास न ले जाकर
राजा के पास ले गए औऱ उन्हें भेंट कर दिया।
रानी उस कंगन को देखकर इतनी विमुग्ध हुई
की उसकी जोड़ का दूसरा कंगन मंगाने का
हठ कर बैठी, पर जब बहुत प्रयत्न करने के बाद भी उस तरह का दूसरा कंगन नहीं बन सका,तो राजा हारकर रैदास के पास गए औऱ उन्हें सब वृतांत सुनाया।
'भक्त रैदास जी' ने गंगा का ध्यान करके
अपनी कठौती में से,उस कड़े की जोड़ी
निकल कर दे दी।
कठौती किसे कहते हैं-
जिसमें चमार (जाटव) चमड़ा भिगोने के लिए पानी भर कर रखते हैं। ज्ञात हो कि सन्त रैदास चर्मकार (चमार) जाति के थे।
मन के मुहावरे.....
■ मन के लड्डू खाने से भूख नहीं मिटती!
यानि- केवल विचारने या सपने देखने से काम नहीं चलता। यह भी डिप्रेशन का कारण बनता है।
■ मन के लड्डू फोड़ना!
मतलब यही है कि हवाई महल बनाने
से जीवन नहीं कटता।
■ मन उमराव, करम दरिद्री
अर्थात-इच्छाएं तो बड़ी हैं पर भाग्य खोटा
■ मन करे पहिरन चौतार,
कर्म लिखे भेड़ी के बार।
चौतार का अर्थ है बढ़िया मखमल।
कहने का आशय यही है कि मन,तो मखमल पहनने का करता है,पर किस्मत में भेड़ी के बल की बनी
स्वेटर पहनना लिखा है,तो क्या करें।
तन के अस्वस्थ्य होने पर एक कहावत पुरानी है।
■ मन चलता है,पर टट्टू नहीं चलता।
अर्थात- इच्छाएं तो बहुत हैं पर शरीर साथ नहीं देता या शरीर किसी काम का नहीं रहा।
कैसे करें दिमाग में शांति की स्थापना | How to calm your mind ?
केवल पढ़ने वाले बच्चों, विद्यार्थियों,स्टूडेंट के लिए महत्वपूर्ण शार्प माइंड (sharp mind) बनाने
हेतु एक असरदार आयुर्वेदिक योग
ब्रेन की गोल्ड माल्ट और ब्रेन की गोल्ड टेबलेट
मानसिक शांति हेतु 24 कैरेट गोल्ड
प्योर हर्बल मेडिसिन फार्मूला है।
जिसे खोजा है-अमृतम ने
प्राचीन 50 प्राकृतिक पुस्तकों से जो
ब्रेन को परेशान करने वाले नाड़ी-तन्तुओं
को पकड़कर रिचार्ज करता है।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट &टेबलेट
◆ बुद्धि को तेज़ करने,
◆ याददास्त बढ़ाने, तथा
◆ भुलक्कड़पन से मुक्ति के लिए
बहुत ही उम्दा ओषधि है।
◆ तन-मन के विकारों में लाभकारी है।
◆ दिमाग की शिथिल कोशिकाओं
को जाग्रत करता है।
◆ कमजोर रक्तग्रंथियो में खून का संचार
सुचारू कर मस्तिष्क की वेदना मिटाता है।
◆ ब्रेन का नवीन निर्माण करने में सहायक है।
तन की तंदरुस्ती व मन की मस्ती-
ब्रेन की गोल्ड माल्ट
इसमें ■आंवला, ■सेव, ■गुलकन्द
■हरड़ मुरब्बे का मिश्रण है।
जो पेट के लिए ज्वलनशील नहीं है।
■ब्राह्मी,■शंखपुष्पी, ■अश्वगंधा,
■शतावर,■त्रिकटु,■त्रिसुगन्ध ने
इसे बहुत प्रभावशाली बना दिया है।
“आयुर्वेद और स्वास्थ्य“ नामक पुस्तक में
सफलता व अनुशासन के लिए अच्छी
सेहत को जरूरी बताया है।
शोध बताते हैं
~ मन से प्रसन्न स्वस्थ आदमी अन्य की अपेक्षा 65 से 80 फीसदी काम अधिक करते हैं
~ अच्छा खाने वाले 35 फीसदी तक तथा
~ नित्य व्यायाम करने वाले 30 फीसदी
ज्यादा काम करते हैं।
अशांति को करो विदा-
रहस्योपनिषद के अनुसार-
मन की अशान्ति, अनेक अज्ञात रोगों को आमंत्रित करती है। मन को शान्त रखने का प्रयास करें।
प्रयास से ही प्राणी वेद व्यास जैसा
ज्ञानी बन पाता है।
दुःख,तो दूर हो सकता है किन्तु भय से भरे
व्यक्ति की रक्षा कोई कर ही नहीं सकता।
भय को भगाओ-
© ज्यादा तनावग्रस्त लोग 95 फीसदी
सफल नहीं हो पाते।
© 49 फीसदी लोग तनाव के कारण
नोकरी छोड़ देता हैं
© अस्वस्थ आदमी 5 घंटे से ज्यादा काम
करने पर थकावट महसूस करता है।
डिप्रेशन क्या है-
डिप्रेशन भय-भ्रम को वास्तविक बनाता है यह दिमाग में होने वाला एक रासायनिक
असंतुलन है जो छलकर भ्रमित करता है।
डिप्रेशन के कारण ही थायराइड (ग्रंथिशोथ)
जैसे रोग एवं 88 प्रकार के वात-विकारों
का जन्मदाता है।
आयुर्वेद में इसका इलाज है-
ब्रेन की गोल्ड माल्ट तथा ब्रेन की गोल्ड टैबलेट
एक बार 10 दिन की खुराक उपयोग करें।
आयु के भेद व आयुर्वेद की
बेहतरीन जानकारी के लिए
और पढ़े पिछले 100 से भी अधिक
ब्लॉग/लेख,ज्ञानवर्द्धक प्रयोग व
रोगों के उपाय तथा अदभुत दुर्लभ जानकारी
करें– “डिप्रेशन” का “ऑपरेशन” | Brainkey Gold Malt
ब्रेन की गोल्ड से होगा
■■■ अशान्ति का अन्त ……■■■….
व्यक्तित्व पर चेतना का प्रभुत्व बढ़ाती हैं-अमृतम ओषधियाँ
ब्रेन की गोल्ड माल्ट और ब्रेन की गोल्ड टेबलेट
से तन औऱ मन उत्तरोत्तर शुद्ध होते जाते हैं।
3 माह तक नियमित सेवन करने से यह बिचलित,भटकते एवं मलिन मन पर
नियंत्रण कर लेता है।
मन सत्व गुण से प्रभावित होने लगता है।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टेबलेट
के उपयोग से हमारी मूल चेतना या
आत्मा की झलक मन पर पड़ती है,तो मन सात्विक तथा अच्छा हो जाता है।
आयुर्वेद में ब्राह्मी,शंखपुष्पी को सर्वश्रेष्ठ सात्विक जड़ी कहा है जो मन व मानसिक विकार उत्पन्न
करने वाली ग्रन्थियों को फ़िल्टरकर अवसाद (डिप्रेशन) से मुक्त कर देती हैं।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट में मिलाया मुरब्बा मेटाबोलिज्म
को ठीक करने में मदद करता है।
जड़ीबूटियों प्रकाण्ड जानकर आयुर्वेदाचार्य
श्री भंडारी के अनुसार पेट की खराबी
से ही मन की बर्बादी होती है। अनेक तरह के
भय-भ्रम,चिन्ता,मस्तिष्क रोग रुलाने लगता हैं।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टेबलेट
एक बैलेंस हर्बल फार्मूला है
इन दोनों में 50 से अधिक हर्बल मेडिसिन
का मिश्रण है।
मन के अमन देने एवं तन को पतन से बचाने के लिए के लिए यह बहुत ही लाभदायक है।
आयुर्वेद के ज्ञान वृद्धि हेतु “अमृतम“
की वेवसाइट पर पिछले लेखों का अध्ययन करें
अवसाद की आहट-और आयुर्वेद | Depression and Ayurveda
अब,अवसाद का अन्त…तुरन्त
“डिप्रेशन से डरें नहीं”
अवसाद की आयुर्वेदिक दवा
ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टेबलेट
करे…डिप्रेशन का ऑपरेशन
(मस्तिष्क में जागरूकता बढ़ाये)
क्या कहता है-आयुर्वेद, डिप्रेशन के बारे में-
जब हम अबाधित सुख के लिए बेचैन होकर इधर-उधर सिर पटक-पटक कर भटक जाते हैं,तो हमारी मस्तिष्क कोशिकाएं ढीली या शिथिल होने लगती हैं।
काम कम करना,सोचना ज्यादा
यह प्रवाह बेलगाम होता है।
जब मन वासनात्मक होकर वासनाभांड अर्थात इच्छाओं के कुम्भ से टकराता है,जिसमें नई प्रतिक्रिया जन्म लेती है। यह डिप्रेशन का गर्भ धारण कहलाता है।
अवसाद की आहट-और आयुर्वेद-
■ तमोगुण,रजोगुण हमारी चेतना शक्ति क्षीण कर देते हैं,तब होता है अवसाद।
■■ अधिक आराम और आलसी जीवन
आमोद-प्रमोद की ओर आकर्षण।
■■■ अपार आज़ादी के चलते, जब अंदर का असीम आनंद का अनुभव त्याग जब हम बाहर की वस्तुओं से ओत-प्रोत हो जाते हैं,तब
हम अवसादग्रस्त हो जाते हैं।
अवसाद से बाहर निकलने के लिये-
ब्रेन की गोल्ड माल्ट और ब्रेन की गोल्ड टेबलेट
में मिलाए गए घटक-द्रव्य
प्रसन्नता से लबालब
कर देते हैं। इसका फार्मूला 500 वर्ष पुराने
“अर्कप्रकाश” वैद्य कल्पद्रुम
जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथो से लिया गया है
जो ब्रेन की कमजोर ग्रन्थियों को जाग्रत
कर “अवसाद का अंत” कर देता है।
शान्ति का साम्राज्य-
आयुर्वेद और आध्यात्मिक आदेशो के अनुसार-
सुख-दुःख भुगतकर ही मन-मस्तिष्क की मलिनता को मिटाया जा सकता है।
सुख-दुःख जब शुद्ध होकर आदमी को अप्रभावितकरने लगें, तभी समझना चाहिए हम अवसाद से मुक्त हैं। हमारा तन-मन में,तभी शान्ति की स्थापना हो पाती है।
“ब्रेन की गोल्ड”
मन को प्राणेंद्रियों यानि कर्मेंद्रियों के प्रभाव
से मुक्त कर ब्रेन को चेतन्य करता है।
कॉस्मिक आइडिएसन से चेतना
शक्ति,ऊर्जा-उमंग भर देता है। इससे पुराने निगेटिव विचार तेजी से नष्ट होने लगते हैं। ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टेबलेट “डिप्रेशन का ऑपरेशन” करने वाली 24 कैरेट गोल्ड दवाई है।
ब्रेन को प्रभावशाली बनाने वाली केमिकल रहित हर्बल ओषधि है।
प्राकृतिक प्रयास–
व्यायाम-प्राणायाम और आसान का अभ्यास,
अनुभव से भी व्यक्ति असंतुलित,अवसादग्रस्त मन को कंट्रोल कर सकता है। सेवन विधि,परहेज,
पथ्य-अपथ्य,हानि-लाभ,अन्य उपाय और
“अमृतम की कहानी”
“ब्रेन रोगों का काम खत्म
क्या आप दिमाग में तेज़ी लाना चाहते हो ?
दिमाग करें, तेज़-तेज़ी से Ayurvedic Medicine for your Brain Power
बुद्धि की अभिवृद्धि हेतु विलक्षण
एक असरदार आयुर्वेदिक योग
ब्रेन की गोल्ड माल्ट
(ब्राह्मी,शंखपुष्पी, बादाम,मुरब्बा युक्त)
निगेटिव सोच से उत्पन्न ‘अशान्ति का
अन्त” करने वाली एक हर्बल मेडिसिन
★ बुद्धि में बाधक,विकारों का जड़मूल से
नाश करता है।
★★ ऊर्जा,उमंग,उत्साहवर्द्धक दवा
★★★ बुद्धि का बल बढ़ाये
दिमाग के हर भाग को क्रियाशील बनाये-
गुणवत्ता युक्त जड़ीबूटियों तथा प्राकृतिक
ओषधियों के काढ़े से बनी यह दवा दिमागी
कोशिकाओं को जाग्रत कर देती है।
मन को सदा प्रसन्न,तन तरोताज़ा बनाये रखता है।
अमृतम रत्न ब्रेन की गोल्ड माल्ट
बस,सुबह खाली पेट 2 से 3 चम्मच गर्म दूध से लें, तो यह कमजोर दिमाग का लाजबाब इलाज है।
अन्यथा इसे चाय व पानी के साथ भी लिया जा सकता है।
रात में भी ऐसे ही सेवन करें।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट
बिना प्रयत्न के तन-मन और मस्तिष्क को प्रसन्न रखने वाली बुद्धि की शुद्धि के लिए बुद्धिवर्धक तथा दिमाग को शुद्ध करने वाली आयुर्वेदिक दिमागी दवा है। जिसके उपयोग से
“अमृतम”
के परिश्रम व जतन एहसास हो जाएगा।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट
को बनाने की प्रक्रिया भी बहुत कठिन है।
पुरानी परम्पराओं की पध्दति के हिसाब से इसके निर्माण में लगभग एक माह का समय लगता है।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट
हीनभावना अवसाद (डिप्रेशन) बहुत जल्दी
दूर करता है। यह नकारात्मक सोच को सकारात्मक
बनाकर जिंदगी की दिशा बदलने में सहायता करता है।
■ भय-भ्रम, क्रोध, किच-किच,चिन्ता,फिक्र,तनाव, होता ही नहीं है।
मन की मलिनता मिटाने वाली दवा-


Amrutam Ptrika ke sampadak ashok gupta थे शानदार मैगज़ीन थी
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