मात्रा की मान्यता और यात्रा की यातना के फायदे

व्याकरण, जीवन और यात्रा में मात्रा का महत्व

अमृतम पत्रिका, ग्वालियर के अनुसार –

  1. व्याकरण में “मात्रा” बदलते ही शब्द का अर्थ बदल जाता है।
  2. जीवन में “मात्रा” बदलते ही स्वास्थ्य और सुख बदल जाता है।
  3. यात्रा (Travel) में भी “मात्रा” का महत्व है।
  4. 👉 अत्यधिक यात्रा थकान और तनाव देती है, लेकिन संतुलित यात्रा जीवन को ताजगी और ऊर्जा से भर देती है।

🍽️ भोजन की मात्रा और स्वस्थ जीवन

आयुर्वेद कहता है –

भोजन उतना ही खाओ जितना पच सके।

✅ कम भोजन के फायदे

  1. शरीर हल्का और ऊर्जावान रहता है।
  2. पाचन शक्ति मजबूत होती है।
  3. रोगों से बचाव होता है।
  4. मन और नींद शांत रहती है।

❌ ज्यादा भोजन के नुकसान

  1. मोटापा और थकान
  2. पाचन गड़बड़
  3. बीमारियों का खतरा बढ़ना

🧳 यात्रा और स्वास्थ्य

यात्रा जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  1. छोटी-छोटी यात्राएँ मन को तरोताजा करती हैं।
  2. प्रकृति से जुड़ना तनाव और चिंता को कम करता है।
  3. संतुलित यात्रा से शरीर में नई ऊर्जा आती है।
  4. अधिक यात्रा (Over Travel) शरीर को थका देती है, जैसे अधिक भोजन स्वास्थ्य बिगाड़ देता है।
  5. इसलिए जीवन में यात्रा भी सीमित मात्रा में करें।

✨ निष्कर्ष

  1. भोजन की सही मात्रा = स्वस्थ शरीर
  2. यात्रा की सही मात्रा = प्रसन्न मन
  3. व्याकरण की मात्रा = सही भाषा
  4. यही तीन मंत्र जीवन को लंबा, सुखी और सार्थक बनाते हैं।
  5. जीवन में मात्रा का महत्व – भोजन, यात्रा और स्वास्थ्य! भोजन और यात्रा की सही मात्रा ही स्वस्थ जीवन और खुशहाल मन का रहस्य है

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