मात्रा की मान्यता और यात्रा की यातना के फायदे
व्याकरण, जीवन और यात्रा में मात्रा का महत्व
अमृतम पत्रिका, ग्वालियर के अनुसार –
- व्याकरण में “मात्रा” बदलते ही शब्द का अर्थ बदल जाता है।
- जीवन में “मात्रा” बदलते ही स्वास्थ्य और सुख बदल जाता है।
- यात्रा (Travel) में भी “मात्रा” का महत्व है।
- 👉 अत्यधिक यात्रा थकान और तनाव देती है, लेकिन संतुलित यात्रा जीवन को ताजगी और ऊर्जा से भर देती है।

🍽️ भोजन की मात्रा और स्वस्थ जीवन
आयुर्वेद कहता है –
भोजन उतना ही खाओ जितना पच सके।
✅ कम भोजन के फायदे
- शरीर हल्का और ऊर्जावान रहता है।
- पाचन शक्ति मजबूत होती है।
- रोगों से बचाव होता है।
- मन और नींद शांत रहती है।
❌ ज्यादा भोजन के नुकसान
- मोटापा और थकान
- पाचन गड़बड़
- बीमारियों का खतरा बढ़ना
🧳 यात्रा और स्वास्थ्य
यात्रा जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- छोटी-छोटी यात्राएँ मन को तरोताजा करती हैं।
- प्रकृति से जुड़ना तनाव और चिंता को कम करता है।
- संतुलित यात्रा से शरीर में नई ऊर्जा आती है।
- अधिक यात्रा (Over Travel) शरीर को थका देती है, जैसे अधिक भोजन स्वास्थ्य बिगाड़ देता है।
- इसलिए जीवन में यात्रा भी सीमित मात्रा में करें।
✨ निष्कर्ष
- भोजन की सही मात्रा = स्वस्थ शरीर
- यात्रा की सही मात्रा = प्रसन्न मन
- व्याकरण की मात्रा = सही भाषा
- यही तीन मंत्र जीवन को लंबा, सुखी और सार्थक बनाते हैं।
- जीवन में मात्रा का महत्व – भोजन, यात्रा और स्वास्थ्य! भोजन और यात्रा की सही मात्रा ही स्वस्थ जीवन और खुशहाल मन का रहस्य है
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