श्रीराम के वंशज नरवर के राजा नल का परिवार ही जयपुर राजस्थान घराने का परिवार है

  1. भारत में गिरिधर कवि नाम के एक महान इंसान हुए उन्होंने अपने दोहों में राजा नल के बारे में बहुत विस्तार से लिखा है!

नरवर गढ़ सब गढन में धर्मवंत सरदार!

वर्णन तो कहलौं करूं, कहन ना लागे बार!!

अर्थात्-

  1. यहाँ कवि कहता है — नरवर (शायद किसी स्थान/किला का नाम) समूचे किले-नगर (सब गढन) में धर्मात्मा, प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध सरदारों (नायकों) से भरा पड़ा है।
  2. नरवर के राजा नल के क़िले का गुण-गान करना चाहूँ तो भी शब्द कम पड़ जाते हैं — बार-बार कहकर भी पूरी उत्तमता व्यक्त नहीं हो सकती। यानी किले की शोभा और उसकी गरिमा का वर्णन करना कठिन है।


कह न लागे बार, किले की शोभा ऐसी!

सुरपुर के समतुल्य, इन्द्र की गढ़ी जैसी!!

  1. अर्थात् -यहां कवि किले की महिमा का बखान करते हुए कहता है कि उसका वैभव और शोभा सुरपुर (इन्द्रलोक/स्वर्ग जैसा) के समकक्ष है — इंद्र की गढ़ी (रक्षा/महल) जैसी। अतः किले की प्रशंसा शब्दों में बाँधना कठिन है।

कह गिरधर कविराय, वृक्ष यह गहरे तरवर!

सब शहरन सरदार बना, एक नल का नरवर!!

  1. अर्थात्-यह पंक्ति (या यह उक्ति) कवि-स्वर में है: गिरिधर कविराय कहता है — यह वृक्ष (या यह किला/नगर) इतने घने और ऊँचे-ऊँचे पेड़ों/शक्तिशाली लोगों से भरा है कि पूरे शहर के लोग सरदार (सम्मानित लोग) बन चुके हैं!

  1. नरवर जिला शिवपुरी मध्यप्रदेश (जिसे कवि बार-बार स्मरण करा रहा है) एक-सा नायक/केन्द्र बन गया है। यहाँ स्थानीय गौरव और सामुदायिक प्रतिष्ठा का भाव है — कि वह स्थान लोगों को महान बना देता है।

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