एक नयी सभ्यता ने जन्म ले लिया है, वह सबको निगल रही है। नारी को अब पुरुषों की कल्पना शक्ति से भरोसा उठ गया है!

  1. नई सभ्यता और नारी: नारी जगह जगह मारी मारी फिर रही है! दिखावे की बीमारी ने अनेक घर उजाड़ दिए
  2. नई सभ्यता और नारी का बदलता स्वरूप – संस्कार, संस्कृति और नग्नता पर विचार
  3. संस्कार बनाम नग्नता (प्रेरणादायी लेख अमृतम नारी सौंदर्य अंक से)

🌱 भारत में नई सभ्यता का आगमन

  1. समय बदल रहा है। एक नई सभ्यता ने जन्म लिया है, जो धीरे-धीरे सबको निगल रही है। इस सभ्यता ने आस्था और विश्वास की दीवारें हिला दी हैं।

📖 कवि की दृष्टि एक कवि ने कहा था—

अनढके सोहैं सदा

कवि, नारी, कुच, केश!

  1. अर्थात्- ढका हुआ ही सुंदर लगता है। अगर सब कुछ निर्वसन हो जाएगा, तो सौंदर्य का पर्व कहां से आएगा?

👩 नारी और बदलते दृष्टिकोण

  1. आज नारी को पुरुषों की कल्पना शक्ति पर भरोसा नहीं रहा।
  2. नारी की नग्नता ने समाज को शर्मसार किया है।
  3. अब संकोच की दीवारें टूट चुकी हैं।
  4. जब सभ्यता अपने नंगे द्वार खोल देती है, तो संस्कृति पर संकट गहराता है।

⚖️ संस्कार बनाम संस्कृति

  1. आज मनुष्य ही नहीं, संस्कार भी निर्वसन हो रहे हैं।
  2. संस्कार अगर खत्म होंगे, तो संस्कृति को कौन कपड़े पहनाएगा?
  3. और अगर संस्कृति निर्वसन हो गई, तो वह कब तक टिक पाएगी?

🌸 नारी को संदेश और मार्गदर्शन


  1. 👉 सभ्यता तभी स्थायी होती है, जब उसमें संस्कार, मर्यादा और आस्था जीवित रहें।
  2. 👉 नारी केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं, बल्कि संस्कार और संस्कृति की धुरी है।
  3. 👉 अगर हम मूल्यों को निर्वसन कर देंगे, तो भविष्य की सभ्यता केवल खोखली इमारत बनकर रह जाएगी।

✨ निष्कर्ष

  1. नई सभ्यता हमें आधुनिकता का अहसास जरूर कराती है, लेकिन अगर वह संस्कार और संस्कृति से कट जाएगी, तो उसका अस्तित्व अल्पकालिक ही होगा।
  2. नारी का सम्मान और संस्कारों का जामा ही हमारी सभ्यता को स्थायी और सुंदर बनाएगा।

  1. फैशन, ट्रेंड और सोशल मीडिया कल्चर ने नारी के सौंदर्य को केवल प्रदर्शन तक सीमित कर दिया है।
  2. फ्रीडम ऑफ चॉइस और
  3. बॉडी पॉज़िटिविटी का नाम देती है।
  4. जब संकोच और मर्यादा की दीवारें टूटती हैं, तो संस्कृति पर संकट गहराता है।


  1. आज सिर्फ शरीर ही नहीं, संस्कार भी निर्वसन हो रहे हैं।
  2. सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स और लाइक पाने की दौड़ ने नारी-स्वतंत्रता को उपभोग की वस्तु बना दिया है।
  3. अगर संस्कार खत्म होंगे, तो संस्कृति को कौन कपड़े पहनाएगा?

🌸 नारी स्वतंत्रता बनाम अति-स्वछंदता

👉 नारी की स्वतंत्रता आवश्यक है—

  1. पढ़ाई में,
  2. रोजगार में,
  3. आत्मनिर्भरता में।
  4. लेकिन जब स्वतंत्रता अति बन जाए और संस्कृति से कट जाए, तो वह समाज के लिए खतरनाक हो जाती है।
  5. 👉 सच्ची स्वतंत्रता वह है, जिसमें नारी अपनी गरिमा बनाए रखते हुए समाज को मार्ग दिखाए।

🌟 प्रेरणा


  1. सभ्यता तभी स्थायी है, जब उसमें आधुनिकता और परंपरा का संतुलन हो।
  2. नारी केवल सौंदर्य की प्रतिमा नहीं, बल्कि संस्कारों और संस्कृति की वाहक है।
  3. यदि नारी स्वयं संस्कृति का परिधान उतार देगी, तो पूरी मानवता निर्वसन हो जाएगी।

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