एक नयी सभ्यता ने जन्म ले लिया है, वह सबको निगल रही है। नारी को अब पुरुषों की कल्पना शक्ति से भरोसा उठ गया है!
- नई सभ्यता और नारी: नारी जगह जगह मारी मारी फिर रही है! दिखावे की बीमारी ने अनेक घर उजाड़ दिए
- नई सभ्यता और नारी का बदलता स्वरूप – संस्कार, संस्कृति और नग्नता पर विचार
- संस्कार बनाम नग्नता (प्रेरणादायी लेख अमृतम नारी सौंदर्य अंक से)

🌱 भारत में नई सभ्यता का आगमन
- समय बदल रहा है। एक नई सभ्यता ने जन्म लिया है, जो धीरे-धीरे सबको निगल रही है। इस सभ्यता ने आस्था और विश्वास की दीवारें हिला दी हैं।
📖 कवि की दृष्टि एक कवि ने कहा था—
अनढके सोहैं सदा
कवि, नारी, कुच, केश!
- अर्थात्- ढका हुआ ही सुंदर लगता है। अगर सब कुछ निर्वसन हो जाएगा, तो सौंदर्य का पर्व कहां से आएगा?
👩 नारी और बदलते दृष्टिकोण
- आज नारी को पुरुषों की कल्पना शक्ति पर भरोसा नहीं रहा।
- नारी की नग्नता ने समाज को शर्मसार किया है।
- अब संकोच की दीवारें टूट चुकी हैं।
- जब सभ्यता अपने नंगे द्वार खोल देती है, तो संस्कृति पर संकट गहराता है।
⚖️ संस्कार बनाम संस्कृति
- आज मनुष्य ही नहीं, संस्कार भी निर्वसन हो रहे हैं।
- संस्कार अगर खत्म होंगे, तो संस्कृति को कौन कपड़े पहनाएगा?
- और अगर संस्कृति निर्वसन हो गई, तो वह कब तक टिक पाएगी?
🌸 नारी को संदेश और मार्गदर्शन
- 👉 सभ्यता तभी स्थायी होती है, जब उसमें संस्कार, मर्यादा और आस्था जीवित रहें।
- 👉 नारी केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं, बल्कि संस्कार और संस्कृति की धुरी है।
- 👉 अगर हम मूल्यों को निर्वसन कर देंगे, तो भविष्य की सभ्यता केवल खोखली इमारत बनकर रह जाएगी।
✨ निष्कर्ष
- नई सभ्यता हमें आधुनिकता का अहसास जरूर कराती है, लेकिन अगर वह संस्कार और संस्कृति से कट जाएगी, तो उसका अस्तित्व अल्पकालिक ही होगा।
- नारी का सम्मान और संस्कारों का जामा ही हमारी सभ्यता को स्थायी और सुंदर बनाएगा।

- फैशन, ट्रेंड और सोशल मीडिया कल्चर ने नारी के सौंदर्य को केवल प्रदर्शन तक सीमित कर दिया है।
- फ्रीडम ऑफ चॉइस और
- बॉडी पॉज़िटिविटी का नाम देती है।
- जब संकोच और मर्यादा की दीवारें टूटती हैं, तो संस्कृति पर संकट गहराता है।

- आज सिर्फ शरीर ही नहीं, संस्कार भी निर्वसन हो रहे हैं।
- सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स और लाइक पाने की दौड़ ने नारी-स्वतंत्रता को उपभोग की वस्तु बना दिया है।
- अगर संस्कार खत्म होंगे, तो संस्कृति को कौन कपड़े पहनाएगा?
🌸 नारी स्वतंत्रता बनाम अति-स्वछंदता
👉 नारी की स्वतंत्रता आवश्यक है—
- पढ़ाई में,
- रोजगार में,
- आत्मनिर्भरता में।
- लेकिन जब स्वतंत्रता अति बन जाए और संस्कृति से कट जाए, तो वह समाज के लिए खतरनाक हो जाती है।
- 👉 सच्ची स्वतंत्रता वह है, जिसमें नारी अपनी गरिमा बनाए रखते हुए समाज को मार्ग दिखाए।
🌟 प्रेरणा

- सभ्यता तभी स्थायी है, जब उसमें आधुनिकता और परंपरा का संतुलन हो।
- नारी केवल सौंदर्य की प्रतिमा नहीं, बल्कि संस्कारों और संस्कृति की वाहक है।
- यदि नारी स्वयं संस्कृति का परिधान उतार देगी, तो पूरी मानवता निर्वसन हो जाएगी।
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