शरीर को थकाओ और डिप्रेशन मिटाओ
अष्टांग हृदय और रावण रचित मंत्रमहादधि ग्रंथानुसार शरीर को जितना थकाओगे उतना स्वस्थ रहोगे और जितना आराम दोगे उतने ही बीमार रहोगे!

७० तक भी बिस्तर नहीं पकड़ेंगे आप!
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आलस्य ही सभी रोगों की जड़ है।
यदि हम अपने शरीर को सक्रिय,
कर्मशील और गतिशील बनाए
रखते हैं तो ७० वर्ष की आयु
में भी बिस्तर का सहारा नहीं लेना पड़ता।
क्यों ज़रूरी है श्रम और गतिशीलता?
1. रक्त संचार सुधरता है –
नियमित परिश्रम से रक्त
शुद्ध रहता है और सभी अंगों
को पोषण मिलता है।
2. पाचन शक्ति प्रबल होती है –
श्रम से अग्नि जाग्रत रहती है
और भोजन ठीक से पचता है।
3. मानसिक संतुलन –
परिश्रम से मन में स्थिरता और संतोष आता है।
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता –
शरीर श्रम के द्वारा विषाणु-जीवाणुओं
से लड़ने की क्षमता विकसित करता है।
बीमारी का असली कारण –
आराम और निष्क्रियता
आज की जीवनशैली में मोबाइल,
टीवी और ऑफिस चेयर पर बैठना
ही जीवन बन गया है।
परिणामस्वरूप –
• मोटापा
• डायबिटीज़
• हृदय रोग
• उच्च रक्तचाप
• और मानसिक अवसाद
तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
आयुर्वेद कहता है –
जितना आराम दोगे उतने ही रोग पालोगे।”
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आधुनिक समाधान –
आयुर्वेदिक ONLINE परामर्श
आपके लिए अच्छी खबर यह है
कि अब आपको सही उपचार
पाने के लिए घर से बाहर जाने की
ज़रूरत नहीं।
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• आहार-विहार का मार्गदर्शन,
• जीवनशैली सुधार की सलाह,
• और शुद्ध आयुर्वेदिक
औषधियों का निर्देश देते हैं।
७० तक भी बिस्तर न पकड़ने का मंत्र
• रोज़ हल्का व्यायाम करें।
• नियमित श्रम और गतिशीलता अपनाएँ।
• मन को प्रसन्न और शांत रखें।
• और समय-समय पर आयुर्वेदाचार्यों से परामर्श लेकर
अपनी दिनचर्या और आहार
को संतुलित बनाएँ।
निष्कर्ष
आयुर्वेद का यह शाश्वत
संदेश हमें याद रखना होगा –
👉 “थकाओ शरीर को, जगाओ स्वास्थ्य को।”
आज ही कदम बढ़ाएँ, और ऑनलाइन जुड़े –
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आपकी जीवनशैली को ऐसा
दिशा देंगे कि आप भी ७० वर्ष
तक स्वस्थ, कर्मशील और प्रसन्न रह सकें।
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