राहु-केतु के कशों से मुक्ति का मार्ग
🐍 अमृतम कालसर्प विशेषांक
कालसर्प, पितृदोष और राहु-केतु से पीड़ितों के लिए दिव्य प्रकाश

🌿 दिव्य दर्शन और श्रद्धा
- केदारनाथ यात्रा के दौरान बर्फ की शिला पर निर्मित प्राकृतिक नागेन्द्रनाथ भगवान् शिव के दर्शन से यह विशेषांक अपने पूर्ण रूप में अस्तित्व में आया।

- लेखक अशोक गुप्ता ने भावविभोर होकर सर्पों की माता, नागमाता, पिता कश्यप, राहु की माता सिंहिका, ऋषि-महर्षियों, योगियों और शिव भक्तों के चरण कमलों में अपनी श्रद्धा समर्पित की।
उनके अनुभव में—
- सर्वप्रथम अपने गुरु महामंडलेश्वर श्री श्री भवानी नंदन यती जी महाराज, पीठाधीश्वर हथियाराम मठ, बनारस!
- शेषनाग और उनके अवतार श्री लक्ष्मण एवं श्री बलराम जी
- ऋषि पतंजलि, ऋषि आस्तीक, मणिधारी एवं इच्छाधारी नाग-नागिन!
- गुरुदत्तात्रेय, गुरु गोरखनाथ, कुँअर बाबा, बाबा तेजानाथ, बाबा गोगादेव, बाबा हीरा भूमिया और विश्व के सभी नाग-प्रतिमाएँ उत्तरांचल के परमसिद्ध शिवभक्त अघोरी और गौमुख के ऊपर सप्तऋषि कुंड के समीप मिले सिद्ध परमयोगी गुरु महाराज के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करता हूँ!
इन दिव्य दृष्टियों और साक्षात्कारों से लेखक भाव-विभोर और श्रद्धावनत् हुए।
कालसर्प दोष और आध्यात्मिक समाधान
कालसर्प, पितृदोष और राहु-केतु के प्रभाव से जीवन में अनेक संकट और विपत्तियाँ उत्पन्न होती हैं।
इस विशेषांक का उद्देश्य—
- भ्रांतियों और अज्ञानता का निवारण करना
- धर्म, अधर्म, पाप, पुण्य और भाग्य से जुड़े सभी प्रश्नों का समाधान प्रदान करना
- शिव-भक्ति, पूजा और उपायों के माध्यम से मानसिक शांति और जीवन में सफलता सुनिश्चित करना
🌸 श्रद्धा और समाजसेवा

- यह विशेषांक केवल ज्ञान का साधन नहीं है, बल्कि शिव मंदिरों के पुनरुद्धार और सेवा कार्यों का भी माध्यम है।
- लेखक अशोक गुप्ता अपनी अति निष्ठा और पूर्ण समर्पण भाव से इस ग्रंथ के माध्यम से पीड़ितों, दुःखी और असफल लोगों को मार्गदर्शन देने का प्रयास कर रहे हैं।
🙏 निष्कर्ष
लेखक अपनी अत्यंत विनम्र भावनाओं के साथ प्रार्थना करते हैं—
“मैं अति दुर्बल, मैं मति हीना।
शिव की शरण, पड़ा में दीना।”
- अर्थात, उनकी आत्मा पूर्णतः भगवान शिव की कृपा और संरक्षण में है।
अमृतम कालसर्प विशेषांक सभी पीड़ितों के लिए ज्ञान, भक्ति और भगवान शिव की कृपा का अमूल्य स्रोत है।
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