अमृतम पत्रिका से साभार कुछ कॉमेडी
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भारत एक ऐसा देश है, जहां बीते हुए समय और आने वाले दिन को कल कहते हैं। समय की गणना हेतु कल से ही तीन काल बने। बाबा महाकाल सभी काल के कारक और रक्षक हैं। amrutam.global

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ये कह कर उन्होंने हमसे
रिश्ता तोड़ दिया अशोक
कि मूंगफली में दाना नहीं
और हम तुम्हारे नाना नहीं.!!
तुझसे कैसे नजर मिलाएं दिलबर जानी.!!
तेरी दाई आँख कानी मेरी बाईं आँख कानी.!!
मोहब्बत हो गई है डाकू पानसिंह तोमर की बेटी से.!!
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये.!!
जिस तरह से पेड़ काटे जा रहे हैं वो दिन ज्यादा दूर नही.!!
जब हरियाली के नाम पर सिर्फ लड़कियां रह जायेगीं.!!
जिनके घर शीशे के होते हैं ,वो तो.!!
कहीं पर भी बैठ कर दाढ़ी बना लेते हैं.!!
मैंने पूछा उनसे ,भुला दिया मुझको कैसे.!!
चुटकियाँ बजा के वो बोली,ऐसे ,ऐसे,ऐसे.!!
जीवन में मिले हैं बहुत से धोखा.!!
लेकिन कोई बात नहीं इट्स ओके.!!
आजकल 40-50 की लड़कियां भी.!!
अपने आपको डॉल समझती हैं.!!
बहन तुम डॉल नहीं ढोल बन गए हो.!!
अगर कोई लड़की आपको घास
नहीं डालती तो निराश न हों.!!
आप इंसान हैं गधे नहीं.!!
बिना बात की लड़ाई.!!
और मेडिकल की पढ़ाई.!!
अकसर लड़कियां ही करती हैं.!!
एक बार पुरुष को पढ़ने की और स्त्री को लड़ने की लत लग जाये, तो कभी आसानी से नहीं छूटती।
भारत को अपनो ने लूटा, इतना लूटा….इतना लूटा, कि गैरों की बारी ही नहीं आयी।
कोई भी दिवस कमजोर का मनाया जाता है, जैसे महिला दिवस, अध्यापक दिवस, मजदूर दिवस। कभी थानेदार दिवस नहीं मनाया जाता।
जो लिखेगा, वही भविष्य में दिखेगा और जो दिखेगा सो बिकेगा। व्यापार, कारोबार मार्केटिंग और जीवन का यही मूल मन्त्र है।
व्यस्त आदमी को अपना काम करने में जितनी अक्ल की जरूरत पड़ती है, उससे ज्यादा अक्ल बेकार आदमी को समय काटने में लगती है।
सरकारी नौकरी न मिले, तो शिक्षक हो जाना- भारत के युवाओं का प्रिय व्यवसाय है। कुछ नेता बनकर भी देश का नहीं अपना नाम तो रोशन कर ही लेते हैं।
फटीचर आदमी को टीचर की नौकरी मिलते ही पत्नी को भी दिलाने के प्रयास में लग जाता है।
हिंदुस्तान में दूल्हा-दुल्हन सुहागरात को भी शिक्षा विभाग एवं जात-पात के बारे में बात कर आगे की रश्म अदा करते हैं।
देश में जिनकी हैसियत है वे एक से भी ज्यादा बाप रखते हैं। एक घर में, एक दफ्तर में, एक-दो बाजार में, एक-एक हर राजनीतिक दल में।
एक बार कचहरी चढ़ जाने के बाद सबसे बड़ा काम है, अपने ही वकील से अपनी रक्षा करना।
आत्मविश्वास कई प्रकार का होता है, धन का, बल का, ज्ञान का। लेकिन मूर्खता का आत्मविश्वास सर्वोपरि होता है।
सबसे निरर्थक आंदोलन भ्रष्टाचार के विरोध का आंदोलन होता है। एक प्रकार का यह मनोरंजन है जो राजनीतिक पार्टी कभी-कभी खेल लेती है, जैसे कबड्डी का मैच।
7- रोज विधानसभा के बाहर एक बोर्ड पर ‘आज का बाजार भाव’ लिखा रहे। साथ ही उन विधायकों की सूची चिपकी रहे जो बिकने को तैयार हैं। इससे खरीददार को भी सुविधा होगी और माल को
8- हमारे लोकतंत्र की यह ट्रेजेडी और कॉमेडी है कि कई लोग जिन्हें आजन्म जेलखाने में रहना चाहिए वे जिन्दगी भर संसद या विधानसभा में बैठते
9- विचार जब लुप्त हो जाता है, या विचार प्रकट करने में बाधा होती है, या किसी के विरोध से भय लगने लगता है। तब तर्क का स्थान हुल्लड़ या गुंडागर्दी ले लेती है।
10- धन उधार देकर समाज का शोषण करने वाले धनपति को जिस दिन महा जन कहा गया होगा, उस दिन ही मनुष्यता की हार हो गई ।
11- *हम मानसिक रूप से दोगले" नहीं तिगले हैं। संस्कारों से सामन्तवादी हैं, जीवन मूल्य अद्र्ध-पूंजीवादी हैं और बातें समाजवाद की करते हैं।
12- फासिस्ट संगठन की विशेषता होती है कि दिमाग सिर्फ नेता के पास होता है, बाकी सब कार्यकर्ताओं के पास सिर्फ शरीर होता है।
13- बेइज्जती में अगर दूसरे को भी शामिल कर लो तो आधी इज्जत बच जाती है।
14- दुनिया में भाषा, अभिव्यक्ति के काम आती है। इस देश में दंगे के काम आती है।
15- जब शर्म की बात गर्व की बात बन जाए, तब समझो कि जनतंत्र बढिय़ा चल रहा है।
16- जो पानी छानकर पीते हैं, वो आदमी का खून बिना छाने पी जाते हैं।
17- सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं।
18- हीनता के रोग में किसी के अहित का इंजेक्शन बड़ा कारगर होता है।
19- नारी-मुक्ति के इतिहास में यह वाक्य अमर रहेगा कि ‘एक की कमाई से पूरा नहीं पड़ता।’
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