साधु अखाड़े के खुलते नाड़ें! ढोंगियों को आड़े हाथ लेना सबकी जिम्मेदारी है वैसे १३ अखाड़े हैं प्राचीन काल से
- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bhartiya Akhara Parishad) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। ये सभी अखाड़े कुंभ मेला जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों में भाग लेते हैं और हिंदू साधु-संतों की आध्यात्मिक परंपरा के महत्वपूर्ण अंग हैं।

🇮🇳 भारत के तेरह प्रमुख अखाड़े
- श्री पंचदशनाम जुना अखाड़ा
- मुख्यालय: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: भगवान दत्तात्रेय
- विशेषता: यह भारत का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसमें नागा साधुओं की संख्या अधिक है। यह हथियार और शास्त्र दोनों की शिक्षा देता है।
- श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा
- मुख्यालय: दारागंज,
- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: भगवान कार्तिकेय
- विशेषता: यह दूसरा सबसे बड़ा अखाड़ा है और शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय है।
- श्री पंचायती महा निर्वाणी अखाड़ा
- मुख्यालय: दारागंज,
- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: ऋषि कपिल मुनि
- विशेषता: यह अखाड़ा पर्यावरणीय जीवनशैली को बढ़ावा देता है और शास्त्रधारी साधुओं का प्रमुख केंद्र है।
- श्री पंचायती अटल अखाड़ा
- मुख्यालय: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: भगवान गणेश
- विशेषता: यह अखाड़ा अपने अनुशासन और सैन्य परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।
- श्री पंचायती अवधन अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: भगवान शिव
- विशेषता: यह अखाड़ा तंत्र साधना और शास्त्र शिक्षा में विशेष है।
- श्री पंचायती आनंद अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: भगवान सूर्य
- विशेषता: यह अखाड़ा तपस्वियों और साधकों का प्रमुख केंद्र है।
- श्री पंचायती अवाहन अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: भगवान शिव
- विशेषता: यह अखाड़ा शास्त्रधारी साधुओं का प्रमुख केंद्र है।
- श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: अग्नि देवता
- विशेषता: यह अखाड़ा अग्नि साधना और तंत्र विद्या में विशेष है।
- श्री पंचायती नर्मदा अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: नर्मदा नदी
- विशेषता: यह अखाड़ा नदी तट पर साधना और तपस्या के लिए प्रसिद्ध है।
- श्री पंचायती नर्मल अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: नर्मल साधना
- विशेषता: यह अखाड़ा नर्मल साधना और ध्यान में विशेष है।
- श्री पंचायती नर्मल पंछायती अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: नर्मल साधना
- विशेषता: यह अखाड़ा नर्मल साधना और ध्यान में विशेष है।
- श्री पंचायती नर्मल पंछायती अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: नर्मल साधना
- विशेषता: यह अखाड़ा नर्मल साधना और ध्यान में विशेष है।
- श्री पंचायती नर्मल पंचायती अखाड़ा
- मुख्यालय: काशी, उत्तर प्रदेश
- संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय
- प्रमुख देवता: नर्मल साधना
- विशेषता: यह अखाड़ा नर्मल साधना और ध्यान में विशेष है।
- उदासीन अखाड़ा के साधु राहु काल में दीपदान करते हैं और यह कैसे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति लाता है।
🌟 उदासीन अखाड़ा और उसकी परंपरा
भारत के तेरह प्रमुख अखाड़ों में से उदासीन अखाड़ा अपनी अनूठी साधना और अनुशासन के लिए जाना जाता है।
- उदयातिथि के अवसर पर अखाड़े के उपासक (साधु) एक उद्यन पूजा करते हैं, जिसमें असंख्य दीप जलाए जाते हैं।
- इसे परमात्मा को प्रकाशित करने की प्रक्रिया कहा जाता है।
- यह पूजा राहु काल में समय-समय पर की जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा कम और सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
दीपदान केवल परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति और जीवन में संतुलन लाने का उपाय है।

⚡ उदासीन साधु और उनका जीवन
- उदासीन साधु अपने गुरु मंत्र की शक्ति प्राप्ति और अध्यात्मिक उन्नति के लिए तपस्या करते हैं।
- वे संपूर्ण मोह-माया छोड़कर उदासीन रहते हैं।
- लेकिन आजकल अखाड़ों में उत्तराधिकार, अनुशासन और योग्य साधकों की कमी महसूस हो रही है।
⛔ वर्तमान संकट

- समाज में उदारता, उत्तम पुरुष और स्त्रियाँ, उत्कांती उपासक और उपकारी मूल्यों वाले प्राणी दुर्लभ होते जा रहे हैं।
- लोग अधिकतर धन, प्रतिष्ठा और उपलब्धि के पीछे भाग रहे हैं।
- इस कारण आध्यात्मिक अनुशासन में गिरावट और नकारात्मक प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं।
🔮 राहु काल और दीपदान
राहु काल दिन के आठ अवधी में से एक विशेष समय होता है।
- इस समय राहु का प्रभाव अधिक सक्रिय होता है, जो जीवन में अवरोध, तनाव और नकारात्मक ऊर्जा ला सकता है।
- Raahukey Oil के दीपक राहु काल में जलाने से राहु दोष कम होता है और स्थिर लक्ष्मी और समृद्धि आती है।


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