नवरात्रि में नव दुर्गा माँ की साधना से देह के ९ छिद्र सिद्ध होते हैं ये स्वास्थ्य वर्धक चिकित्सा भी है!
अमृतम देवी दुर्गा अनुष्ठान

सवज्ञे सर्ववरदे, सर्व दुष्ट भयङकरि।
सर्व दुःख हरे देवि, महालक्ष्मी नमोस्तु ते।।
सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि, भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मन्त्र पूते सदा देवि, महालक्ष्मी नमोस्तु ते।।
🌸 नवरात्रि विशेष: मानव शरीर के ९
छिद्र और नवदुर्गा की दिव्य साधना 🌸

नवरात्रि सिर्फ़ एक पर्व नहीं, बल्कि
आत्मशुद्धि और ऊर्जा जागरण का उत्सव है।
तंत्र और योग परंपरा में मानव शरीर को
देवालय माना गया है। हमारे शरीर में
९ छिद्र (नासिका, कान, नेत्र, मुख, गुदा और जननेंद्रिय)
बताए गए हैं।

शिव-काली तंत्र में इन्हें ही नवदुर्गा के
प्रतीक रूप में समझाया गया है।
🕉 ९ छिद्र और नवदुर्गा का रहस्य
• ये ९ छिद्र जीवन के ९ द्वार हैं।
• जब ये शुद्ध और संतुलित रहते हैं
तो मन, शरीर और आत्मा प्रसन्न रहते हैं।
• नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की
उपासना द्वारा इन द्वारों की पवित्रता और
जागृति का विधान है।
• यही कारण है कि नवरात्रि में साधना,
उपवास, मंत्रजप और दीपदान का विशेष महत्व है।
🌺 नवरात्रि और शरीर-मन की शुद्धि
- नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा की उपासना करने से:
• तन-मन और अंतर्मन से नकारात्मक दूर होती है।
• रोग-शोक और दुर्भाग्य मिटते हैं।
• जीवन में ऊर्जा, समृद्धि और शांति का संचार होता है।
🔥 ९ दीपक का रहस्य
नवरात्रि में सुबह और शाम ९ दीपक
प्रज्वलित करना अत्यंत शुभ माना गया है।
• जब ये दीपक Raahukey oil से
जलाए जाते हैं, तो यह शरीर और मन के
आवरणों को शुद्ध करता है।
• माँ दुर्गा की यह साधना जीवन के
अंधकार को मिटाकर सकारात्मक ऊर्जा
का प्रवाह बढ़ाती है।
• कहा जाता है कि इससे दुर्भाग्य
जड़ से जल जाता है और सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
✨ अमृतम चिंतन और निष्कर्ष
नवरात्रि के पावन दिनों में नवदुर्गा
की साधना और ९ दीपक का दीपदान
हमारे शरीर के ९ छिद्रों की शुद्धि और मन की शांति के लिए सर्वोत्तम साधन है।

यह परंपरा हमें सिखाती है कि जैसे मंदिर में दीपक जलाकर देवता को प्रसन्न किया जाता है, वैसे ही अपने भीतर के देवालय (शरीर) को शुद्ध कर हम देवी की कृपा पा सकते हैं।
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