नरवर के राजा नल का जन्म जहाँ हुआ था था वो स्थान वीरान पड़ा है
राजा नल का जन्मस्थल रानीघाटी (ग्वालियर)
- ग्वालियर जिले में आरोन के आगे रानीघाटी नामक एक प्रसिद्ध देवस्थान के नीचे (झरने में) चौथी-पाँचवी शताब्दी के विशाल मन्दिर के अवशेष, है।
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- यह स्थान जयपुर की गलता गददी (रामानदी) की शाखा है। रानीघाटी मूर्तिशिल्प बहुतायत में बिखरे पडे हैं। एक व्यापक अनुश्रुति है कि राजा नल का जन्म इसी रानी घाटी के जंगल में हुआ है।
नल से जुड़े (नल नामांकित) नगर
भारत में नल नाम से अनेक नगरों का उल्लेख मिलता है। यथा- महाकान्तर (प्राचीन बस्तर) में नलबाड़; नलपावण्ड; नीलवायाः नेलचेद नेलसागर छत्तीसगढ़ में नलमपल्ली एवं नेला कांकर तेलंगाना में नलगोंडा: आन्ध्रप्रदेश में नलपल्ली इत्यादि!
राजा नल की कहानी – जन्म, जीवन और महाकाव्य
1. जन्म और प्रारंभिक जीवन
राजा नल का जन्म रानीघाटी (ग्वालियर) के जंगलों में हुआ माना जाता है।
- ग्वालियर जिले में आरोन के पास रानीघाटी में चौथी-पाँचवी शताब्दी के विशाल मंदिर के अवशेष पाए गए हैं।
- इस स्थान की मूर्तिशिल्प और ऐतिहासिक महत्व से अनुमान लगाया जाता है कि राजा नल का प्रारंभिक जीवन इसी क्षेत्र में बीता।
2. विवाह और दमयंती
राजा नल की पत्नी थीं दमयंती, जो विदर्भ की राजकुमारी थीं।
- महाकाव्य महाभारत के अनुसार, दमयंती का स्वयंवर हुआ और नल ने विजयी होकर दमयंती से विवाह किया।
- इस विवाह की कथा भारत के विभिन्न भागों में लोककथाओं और जनश्रुतियों में प्रसिद्ध है।
3. संघर्ष और निषध देश
राजा नल के जीवन में कई संघर्ष आए:
- जुए का खेल (पुष्कर में जुये)
- नल को पुष्कर में जुए में हार का सामना करना पड़ा।
- इसके बाद उन्हें निषध देश से निर्वासित किया गया।
- नल और दमयंती की विछोह कथा
- निर्वासन के समय, नल ने दमयंती को उनके पिता के घर विदर्भ भेज दिया।
- कथाओं में कहा जाता है कि उन्होंने अस्थायी रूप से नल-दमयंती ताल जैसे स्थानों पर समय बिताया।
- कठिन समय और विपत्तियाँ
- लोककथाओं में यह भी वर्णित है कि नल और दमयंती ने कई प्राकृतिक और सामाजिक विपत्तियों का सामना किया।
4. नल से जुड़े नगर और स्थल
भारत में कई नगर राजा नल के नाम से जुड़े हैं, जो उनके प्रभाव और महत्व को दर्शाते हैं:
- छत्तीसगढ़: नलबाड़, नलपावण्ड, नीलवायाः, नेलचेद, नेलसागर, नलमपल्ली
- तेलंगाना: नेला कांकर, नलगोंडा
- आंध्र प्रदेश: वान्ध्रप्रदेश में नलपल्ली
- अन्य स्थान भी राजा नल के नाम पर हैं।
5. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
- नल-दमयंती की कहानी महाभारत और लोककथाओं में वीरता, प्रेम और विपत्ति के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत होती है।
- उनके जन्मस्थल और संबंधित मंदिर व स्थल आज भी पर्यटकों और इतिहासकारों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
- नल-दमयंती ताल (उत्तराखंड), रानीघाटी (ग्वालियर) जैसी जगहें उनके जीवन की कथाओं और लोकश्रुतियों से जुड़ी हैं।
6. निष्कर्ष
राजा नल की कहानी केवल ऐतिहासिक या पौराणिक नहीं, बल्कि यह भारत की लोककथा, संस्कृति और भौगोलिक धरोहर से भी जुड़ी हुई है। उनके नाम पर बने नगर, मंदिर और तालाब आज भी उनकी याद और उनके प्रभाव को जीवित रखते हैं।
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