श्री कृष्ण का आधा भाग, राधा के रहस्य! राधा की भक्ति से व्यक्ति भागा भागा नहीं फिरता! स्थिरता के लिए राधा जपें

🕉️ प्रणव ब्रह्म का नाद है और “राधा” ब्रह्म का हृदय। नाद और हृदय मिलें तो अनंत प्रेम, शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।

ओम / प्रणव का स्वरूप

• 🕉️ प्रणव को वेदों में सृष्टि का मूल स्वर कहा गया है।

• यह ब्रह्म (परमात्मा), आत्मा (जीव) और जगत (प्रकृति) – तीनों का मिलन बिंदु है।

• 🕉️ ध्वनि से ही पूरे ब्रह्मांड की गति और ऊर्जा प्रवाहित होती है।

राधा का स्वरूप भक्ति और प्रेम की पराकाष्ठा हैं।

राधा का नाम ही आनंद, अनुराग और सम्पूर्ण आत्मसमर्पण का प्रतीक है।

• राधा भगवान श्रीकृष्ण की आध्यात्मिक शक्ति (ह्लादिनी शक्ति) मानी जाती हैं।

🕉️ और राधा दोनों का सामंजस्य (रहस्य)

🕉️ = परमात्मा की सत्य-चेतना

राधा = परमात्मा की आनंद-शक्ति

जब सत्य, चेतना और आनंद एकत्र होते हैं, तभी पूर्ण ब्रह्म का अनुभव होता है।

इसलिए कहा जाता है कि 🕉️ बिना “आनंद” के अधूरा है और “राधा” बिना 🕉️ के निःसत्व है।

गूढ़ दृष्टि से 🕉️ का स्पंदन पुरुष तत्त्व है।

राधा का भाव प्रकृति या शक्ति तत्त्व है।

इन दोनों के मिलन से ही सृष्टि का रहस्य, भक्ति का मार्ग और परम शांति संभव है।

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