नीम हकीम से भी ज़्यादा हितकारी है खतरे की जान नहीं
नीम: आयुर्वेद, स्वास्थ्य और प्राचीन परंपराओं का अद्भुत संगम
- नीम (Azadirachta indica) सदियों से भारतीय आयुर्वेद, धर्म और सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है। इसके औषधीय गुण, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव, और धार्मिक दृष्टि से इसकी महत्ता इसे अद्वितीय बनाती है।

- अमृतम पत्रिका पर पिछले कुछ वर्षों में करीब 35,000 पाठकों ने ईमेल करके पूछा कि क्या नीम के पत्ते पूरे साल खाए जा सकते हैं या सिर्फ चैत्र मास (अप्रैल) में ही उपयोगी हैं। आइए जानते हैं इसका सही और वैज्ञानिक उत्तर।
🌿 नीम और आयुर्वेद

आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में नीम के औषधीय गुणों का विशेष वर्णन है। नीम की कोपल, पत्ते, फल और छाल सभी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
✅ नवसंवत्सर में नीम की तैयारी
सनातन धर्म के अनुसार नवसंवत्सर (वैदिक नया वर्ष) के दिन नीम की कोपल, कालीमिर्च और सेंधनमक से गोलियां तैयार की जाती हैं। इस दिन सूर्य चैत्र मास में मीन राशि में गोचर करते हैं, जिससे नीम के औषधि गुण अत्यंत लाभकारी हो जाते हैं।
नीम की गोलियों का सेवन:

- सुबह खाली पेट सादे पानी के साथ
- पूरे वर्ष निरोग रहने में सहायक
- मधुमेह और ग्रंथिशोथ (थायरॉइड) में 6 महीने में जड़ से लाभकारी
⚠️ नीम के दुरुपयोग से नुकसान

द्रव्यगुण विज्ञान और भेषजयसार मणिमाला जैसे ग्रंथों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नवसंवत्सर के अलावा नीम खाने से:
- जोड़ दर्द, सूजन, आमवात
- ग्रंथिशोथ और थायरॉइड
- पित्त का असंतुलन
इसलिए नीम का सेवन हमेशा सही समय और विधि से करना चाहिए।

🌞 नीम और सूर्य: वैदिक दृष्टि
नीम का संबंध सूर्य देवता से है और इसे सूर्य का आराध्य वृक्ष माना गया है।
- मथुरा से 40 किमी दूर कोकिलावन में शनिदेव और भगवान श्रीकृष्ण नीम के नीचे बैठकर सूर्य की आराधना करते थे।
- यहाँ की स्वयम्भू प्रतिमा शनिचरी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
- शनि दोष और साढ़ेसाती से मुक्ति के लिए यहाँ तेल अर्पित किया जाता है।
🌳 प्रमुख नीम तीर्थ
- ग्वालियर के पास शनिचरा (मुरैना जिला) – शनि देव की प्रसन्नता हेतु तेल अर्पित करने का प्रसिद्ध स्थान।
- दक्षिण भारत – तिरुनल्लार – नरवर के राजा नल ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करके वरदान प्राप्त किया।
- यहाँ के स्वयम्भू शिवलिंग का दर्शन शनि की कृपा दिलाता है।
- नीम यहाँ शत्रु वृक्ष माना गया है। अतः शनि दोष में लोग नीम का सेवन कम करें।
- नैनीताल – नीम करौली वाले बाबा – नीम के नीचे बैठकर सिद्धि प्राप्त की।
🕉️ शनिदेव के उपाय और अभ्यंग
शनिदेव की आराधना
- तेल दान, तुलादान, उड़द दान, लोहा दान, छुआरा दान और गरीबों की दुआ – शनि दोष निवारण के सर्वोत्तम उपाय।
- अभ्यंग (मालिश) – प्राचीन आयुर्वेदिक उपाय जो तन-मन को स्वस्थ और रोगमुक्त करता है।
अभ्यंग और स्नान विधि
- बुधवार, शुक्रवार और शनिवार को विशेष रूप से तेल लगाकर धूप में बैठकर मालिश और स्नान।
- मंत्र जाप: “!!नमःशिवाय च शं शनैश्चाराय नम शिवाय!!” – 88 बार
🌿 अमृतम काया की हर्बल मसाज़ ऑयल
इस तेल में 7 प्रकार के हर्बल और प्राकृतिक तेल शामिल हैं:
- शुद्ध बादाम का तेल
- कुमकुमादि तेल
- जैतून का तेल
- केशर इत्र
- चंदन इत्र
- गुलाब इत्र
- अन्य सुगंधित हर्बल द्रव्य
प्रमुख लाभ
- हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाना
- त्वचा को कोमल और सुंदर बनाना
- रक्त संचार में सुधार
- थायरॉइड और वात विकार में राहत
- तनाव कम कर नींद में सुधार
- बच्चों की लंबाई और स्वास्थ्य बढ़ाना
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना
धूप में अभ्यंग के लाभ
- विटामिन डी की पूर्ति
- शरीर की सभी हड्डियों और नाड़ियों को सुदृढ़ करना
- इम्युनिटी पॉवर बढ़ाना
- मानसिक शांति और ऊर्जा
📅 आयुर्वेदिक दैनिक स्वास्थ्य मंत्र
- सोमवार – मन की चंचलता मिटाने हेतु अभ्यंग
- बुधवार – बुद्धि और विवेक वृद्धि हेतु अभ्यंग
- शुक्रवार – आलस्य, दुर्भाग्य दूर करने हेतु अभ्यंग
- शनिवार – राहु-केतु और शनि की शांति हेतु अभ्यंग और स्नान
🔑 निष्कर्ष
- नीम केवल औषधि नहीं, बल्कि आयुर्वेद, ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से स्वास्थ्य, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है। सही समय पर नीम का सेवन, हर्बल तेल का अभ्यंग और शनि उपाय मिलकर आपके जीवन को निरोग, समृद्ध और आनंदित बनाते हैं।
कब कब मालिश करना सौभाग्यसूचक..
बुधवार, शुक्रवार एवं शनिवार इन तीनों दिनों में सिर में तेल लगाने के साथ साथ पूरे शरीर की धूप में बैठकर मालिश कर स्नान करना बहुत ही फायदेमंद तथा सौभाग्यवर्धक रहता है।
- रहस्यमयी शनि नामक पुस्तक में उल्लेख है- शनिदेव की प्रसन्नता के लिए शनिवार को शनि भगवान पर तेल अर्पित करें या नहीं करें। परन्तु हरेक मानव को शनिवार के दिन अपने शरीर पर तेल जरूर लगाना चाहिए। फिर स्नान करें।
“मन की चंचलता”….मिटाने हेतु सोमवार को अभ्यंग या मालिश करना हितकारी है!
“बुद्धि-विवेक वृद्धि हेतु”….बुधवार को नहाने से पहले मालिश लाभकारी है।
“आलस्य व शिथिलता”- दुर्भाग्य …दूर करने के लिए
शुक्रवार को पूरे शरीर पर अभ्यंग करना हितकारी है तथा
“भय-भ्रम,चिन्ता,तनाव” …से मुक्ति पाना हो और
राहु-केतु और शनि ग्रहों की शान्ति के लिए
शनिवार को सुबह स्नान से एक से दो घन्टे पूर्व मालिश या अभ्यंगस्नान का महत्व बताया है।
शुक्रवार को चंदनादि, जैतून, बादाम, अमृतम कुंकुमादि तेल तथा गुलाब इत्र युक्त सुगन्धित Kaya key oil तेल की मालिश से धन-समृद्धि बढ़ती है।
अभ्यंग चिकित्सा शास्त्रों” के “लेप-मर्दन प्रकरण में हर्बल ऑयल द्वारा अभ्यंग (मालिश) के बारे में स्पष्ट लिखा है कि-
तन को तेल से सराबोर यानि
पूरी तरह भिगा लेना चाहिये। !! अमृतम!!
“काया की हर्बल मसाज़ ऑयल”
में 7 तरह के आयुर्वेद की जांची-परखी
हर्बल ओषधियों का मिश्रण है। इसकी मन-मोहक खुशबू से तन-मन महक उठता है।
एक खुशबूदार मसाज़ ऑयल
जिसे बनाया है शुद्ध प्राकृतिक तेलों से, जो शनि, शुक्र की प्रतिनिधि आराध्य द्रव्य हैं-
!1!- शुद्ध बादाम गिरी तेल
!2!- कुम-कुमादि तेल
!3!- जैतून तेल
!4!- केशर इत्र
!5!- चंदन इत्र
!6!- गुलाब इत्र
!7!- आदि सुगन्धित हर्बल द्रव्यों से निर्मित
सम्पूर्ण परिवार के लिए
अभ्यंग (मालिश) हेतु सर्वोत्तम है।
अमृतम काया की मसाज़ ऑयल के
¶~ २३~चमत्कारी फायदे….
1¶~ हड्डियों को मजबूत बनाये।
2¶~ त्वचा को मुलायम करे।
3¶~ रंग को साफ करने में सहायक।
4¶~ रक्त के संचार को गति प्रदान करता है
5¶~ शिथिल नाड़ियों को शक्तिशाली बनाता है
6¶~ छिद्रों की गन्दगी बाहर निकालता है
7¶~ बच्चों की मालिश हेतु अति उत्तम
8¶~ बच्चों के सूखा-सुखण्डी रोग नाशक है
9¶~ बच्चों की लम्बाई बढ़ाता है
10¶~ तुष्टि-पुष्टि दायक है
11¶~ उन्माद,सिरदर्द,सिर की गर्मी
में राहत देता है
12¶~ तनाव मुक्त कर,नींद लाता है
13¶~ शरीर को सुन्दर बनाता है
14¶~ महिलाओं का सौन्दर्य बढ़ाकर
खूबसूरती व योवनता प्रदायक है
15¶~ ऊर्जावान बनाये
16¶~ फुर्ती व स्फूर्ति वृद्धिकारक है
17¶~ बादाम का मिश्रण बुद्धिवर्द्धक है
18¶~ नजला,जुकाम दूर कर,
19¶~ याददास्त बढ़ाता है
20¶~ वात-विकार से बचाव करता है
21¶~ काया की हर्बल मसाज़ ऑयल
बुढापा रोकने में मदद करता है
22¶~ सब प्रकार से स्वास्थ्य वर्द्धक है।
23¶~ यह शरीर में किसी भी तरह के संक्रमणों को पनपने नहीं देता।
धूप में करें अभ्यंग, तो होंगे मसत्य-मलंग जाने~ 11 लाभदायक परिणाम….
【1】धूप में बैठकर मालिश करने से विटामिन डी की पूर्ति होती है।
【2】 देह की सभी हड्डियां मजबूत होने लगती हैं।
【3】शरीर में दर्द नहीं रहता
【4】थायराइड की समस्या से मुक्ति मिलती है।
【5】सुबह की धूप शरीर के सब नलकूप खोलकर तन-मन में मस्ती-चुस्ती, स्फूर्ति का संचार कर देती है।
【6】कोरोना जैसे संक्रमण से बचाव होता है।
【7】इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है।
【8】चेहरे पर निखार आता है।
【9】रात में अच्छी, गहरी नींद आती है।
【10】बुढापा जल्दी नहीं आता।
【11】सेक्सुअल पॉवर एवं मर्दांग्नि शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है।
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