अमृतम कालसर्प विशेषांक कष्टों से मुक्ति दिलायेगा राहु दूषित होने से क्या होती हैं परेशानियां
- 🌑 राहु-केतु और कालसर्प पितृदोष: कष्ट, कारण और समाधान
अमृतम कालसर्प विशेषांक का लेखन श्री अशोक गुप्ता द्वारा किया गया, जो २५ वर्षों की कठिन तपस्या, अध्ययन और अनुसंधान का परिणाम है।
इस ग्रंथ का निर्माण शिवजी के हजारों स्वयंभू शिवलिंगों के दर्शन और आध्यात्मिक अनुभवों के पश्चात किया गया।

लेखक ने न केवल अपने कालसर्प और पितृदोष को मिटाया, बल्कि इसी मार्गदर्शन और साधना से विशाल सफलता और आध्यात्मिक ऊँचाइयाँ प्राप्त की।
यह विशेषांक उन सभी पीड़ितों के लिए प्रकाशस्तंभ है जो राहु-केतु, शनि या कालसर्प दोष से परेशान हैं।
🐍 राहु-केतु की पीड़ा और जीवन की विपत्तियाँ

राहु-केतु की अशुभ स्थिति ही कालसर्प दोष और पितृदोष का मूल कारण मानी जाती है।
- इन्हीं के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में घोर विपत्तियों और दुःखों से घिर जाता है—
- राहु-केतु की पीड़ा से ही कालसर्प-पितृदोष, घोर विपत्तियां आती हैं!
दुःख दुर्भाग्य,
कष्ट-क्लेश
भविष्य की चिन्ता,
भय-भ्रम
आर्थिक व शारीरिक परेशानी
मांगलिक दोष, द्वेश दुर्भावना
चिड़चिड़ापन,
नींद न आना
मानसिक अशान्ति,
गृह क्लेश
आत्महत्या का विचार आना
तनाव, सिरदर्द, बेचैनी
विवाह में विलम्ब-बाधा
मुकदमें से परेशान कानूनी उलझनें
पूर्वजन्म के पाप-ताप बार-बार धोखा होना
टोने-टोटके जादू
एकाग्रता की कमी
पढ़ाई में मन न लगना
केमद्रुम दरिद्रदोष योग
व्यापार में घाटा, चिन्ता
हमेशा रोगों से घिरे रहना
उदर रोग, पेट दर्द, बीमारी
एवं दुर्घटना का भय
आत्मविश्वास में कमी
मनमाफिक काम न होना
बार-बार असफलता आदि का कारण राहु-केतु है।
🙏 निष्कर्ष
राहु-केतु के प्रभाव से उत्पन्न कालसर्प दोष और पितृदोष व्यक्ति के जीवन में अनेक कष्ट और अवरोध लाते हैं।
किन्तु आयुर्वेदिक उपाय, शिव-भक्ति और सही जीवनशैली से इन विपत्तियों से मुक्ति पाना संभव है।
- राहु की क्रूरता से बचने का सर्वश्रेष्ठ उपचार है राहुकाल में भगवान शिव का पूजन और पंचाक्षर मंत्र का जाप।
- प्रतिदिन राहुकाल में Raahukey oil के पाँच दीपक पंचमहाभूत जैसे अग्नि, जल, वायु, प्रथ्वी और आकाश के निमित्त जलायें

राहुकाल का समय निम्नानुसार है
राहुकाल का समय (साप्ताहिक)
- सोमवार –
प्रातः 07:30 से 09:00 बजे तक
- मंगलवार –
दोपहर 03:00 से 04:30 बजे तक
- बुधवार –
दोपहर 12:00 से 01:30 बजे तक
- गुरुवार –
दोपहर 01:30 से 03:00 बजे तक
- शुक्रवार –
प्रातः 10:30 से 12:00 बजे तक
- शनिवार –
प्रातः 09:00 से 10:30 बजे तक
- रविवार –
सायं 04:30 से 06:00 बजे तक
विशेष - रोगों से बचने तथा स्वस्थ, सुन्दर व निरोग रहने हेतु बुधवार, शुक्रवार एवं शनिवार को पूरे शरीर की अमृतम् राहुकी तेल से मालिश कर स्नान करें।
Comments
Post a Comment