क्या राहु केतु ही श्रीगणेश है
अमृतम कालसर्प विशेषांक में लिखें हैं
राहु केतु और श्रीगणेश के रहस्य जाने

रिक्त तिथि चतुर्थी धर्म,अर्थ,काम, मोक्ष
यानी चार पुरुषार्थ, चार वेद, ४ दिशायें
सूर्योदय से सूर्यास्त के ४ प्रहर का प्रतीक है!
श्री गणेश जी राहु केतु का संयुक्त रूप है!
दक्षि भारत के अमूल्य और दुर्लभ ग्रन्थ गणपति तंत्र ,
विनायक उपनिषद आदि ग्रंथों के अनुसार गणेश ही
को राहु केतु रूप बताया है!

केरल के तिरुवनंतपुरम के पास श्री राहु गणेश
मंदिर, श्री काल हस्तीश्वर, कुंभकोणम से १०२ km
दूर तंगम बाड़ी समुद्र तट से सटे
लाखो वर्ष प्राचीन अमृतेश्वर शिवालय,
दातावाराम में स्थित भीमा ज्योतिर्लिंग और
कुमारवरम में शंकर ज्योतिर्लिंग ये दोनों मिलाकर
ओरिजनल भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग शिव मंदिर में
राहु केतु रूप में विराजमान गणेश की पूजा होती है
वैसे भी सभी सिर कटे देवता जैसे
श्री गणपति, खाटू श्याम, माँ छिन्नमस्ता, भेरोन्नाथ, गुरु गोविंद सिंह के पूज्य पिता
गुरु तेग बहादुर सिंह राहु-केतु, आदि १२ देवी देवता भगवान शिव ने आज कलयुग में तुरंत फल देने वाले और मनोकामना पूर्ण करने हेतु निर्धारित किए हैं!
श्री गणेश की पूजा का विधान बतायें अमृतम पत्रिका, ग्वालियर के संपादक अशोक गुप्ता ने अमृतम पत्रिका के श्री गणेश अंक में लिखा था कि प्रतीक शास्त्र ग्रन्थ के अनुसार
वैदिक परंपरानुसार स्वस्थ व्यक्ति ही आस्तिक रह पता है! स्वास्थ्य है आरटीओ १०० हाथ है! बीमारों का कोई साथ नहीं देता! रोगी दुनिया की लात खा खाकर जीता है! अस्वस्थ्य इंसान बात बात पर विवाद करता है!
श्री गणेश का यंत्र स्वास्तिक यंत्र रूपी देह को तंदुरुस्त बनाता है!
साल भर हेल्दी रहने के लिए रोज़ श्री गणेश चतुर्थ से ढोल ग्यारस तक मिट्टी के गणेश या इनके प्रतीक स्वस्तिक बनाकर श्रद्धापूर्वक पूजन कर, पुष्प, प्रसादी अर्पित कर कर्पूर जलायें
amrutam Raahukey Oil के पाँच दीपक राहुकाल में रोज़ ५४ दिन तक जलाने से मंगल दोष दूर होकर तुरंत विवाह होता है आज़माएँ
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