कॉमेडी का खोमचा
व्यंग्य की थाली –
रोज़मर्रा से लेकर राजनीति तक

👉 केचुआ यानी केंद्रीय चुनाव आयोग
वैसे काम तो मिट्टी पलटने का करता है, लेकिन नाम सुनते ही लोकतंत्र याद आ जाता है।
👉 Mother में से “M” हटा दो
तो सब “Other” हो जाता है। अब सोचो, मम्मी के बिना घर भी कैसा “other” सा हो जाता है।
👉 मर्दाना कमजोरी
इलाज के विज्ञापन से शहर की दीवारें रंगी हैं, और लोग कहते हैं औरत कमजोर है। 🤷♂️
👉 हल्दी की जगह चूना
शादी की उम्र में लड़कियाँ हल्दी लगवाने की बजाय चूना लगाकर निकल जाती हैं। (ग़लत चुनाव, ग़लत नतीजे)।
👉 विरोध की राजनीति
मोदी कहें “लैट्रिन के बाद हाथ धोना ज़रूरी है”, तो विरोधी कहेंगे—“हम तो चाटेंगे!” 🤦
👉 अखिलेश की योग्यता
इतनी ही होती तो हाथी का गोबर उठाने की नौबत न आती।
👉 चोर और संत
चोर को खाँसी, संत को दासी — दोनों ही बर्बाद कर देते हैं।

👉 कप और कुल्हड़ का फ़लसफ़ा
कप गोरी की तरह—हज़ारों ओंठों से गुज़रता है।
कुल्हड़ भारतीय नारी की तरह—सिर्फ एक का होता है और उसी का होकर खत्म हो जाता है। ❤️
👉 कर्म करो, फल की चिंता मत करो
फल अगर नहीं भी मिला तो चिंता मत करना—बाजार में मिल जाएगा।
👉 गलतियों पर पर्दा
पर्दा डालने के लिए पर्दा कहाँ मिलेगा? कितने मीटर लेना है, ये तो ठेकेदार बताएगा।
👉 दिल और पत्थर
दिल को संभाल कर रखो, पत्थर कितने किलो का रखना है ये तो ठेकेदार से पूछना पड़ेगा।
👉 जिनकी दाल नहीं गलती
वे सब्जी भी बना सकते हैं। आखिर जीवन जीने के लिए रास्ते और भी हैं।
👉 नमक पर सवाल
जख्मों पर नमक छिड़कना है—तो बताओ, टाटा वाला सही रहेगा या पतंजलि वाला?
👉 डिनर सेट में लंच
डिनर सेट में लंच करने से वास्तु दोष लगता है। ध्यान रहे, वरना गृहशांति भंग हो जाएगी।
😄 ये ब्लॉग व्यंग्य + सामाजिक कटाक्ष का बढ़िया कॉम्बो है।
क्या आप चाहेंगे कि मैं इसे मज़ेदार कॉमिक पोस्टर/कार्टून डिज़ाइन में भी बदल दूँ?
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