अर्श सीधे फर्श पर लाकर पटकता है! बवासीर से देह की तासीर और तक़दीर बिगड़ जाती है
- pileskey gold malt बवासीर (पाइल्स) एवं फिशर का आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों द्वारा इलाज!
- अर्श की ये बीमारी नर और नारी दोनों को फर्श पर गिरा देते है! अर्श जीवन से हर्ष मिटा देता है!
- अमृतम Pileskey गोल्ड माल्ट बवासीर की दवा का प्रयोग हमारे अनेक पाठक कर चुके हैं और उन्हें खासा लाभ पहुंचा है।

- वासीर को इंगलिश में 'पाइल्स' अथवा 'हैमेरोइड्स' नाम दिया गया है जबकि हिंदी एवं संस्कृत में इस रोग को 'अर्श' नाम से पुकारा जाता है।
- यह एक आम बीमारी है जो भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि संसार के सभी देशों में पायी जाती है!
- अर्श का कारण आज तक अज्ञात है-
- बवासीर का रोग क्यों होता है, अभी तक अज्ञात है! कुछ विद्वानों के अनुसार जन्म से ही गुदामार्ग के निचले भाग में दो स्थानों पर शिराओं के सघन जाल होते हैं ।
- ऊपर का शिरा-जाल गुदा द्वार से लगभग एक इंच की दूरी पर होता है, जबकि नीचे का शिरा-जाल गुदा-मुख के बिलकुल समीप पाया जाता है!
- किसी कारण जब इन शिरा-जालों पर दबाव बढ़ जाता है या उनमें चोट आ जाती है, तो स्थानीय शोथ बढ़ जाता है और बवासीर के मस्से बन जाते हैं ।
इस रोग को बढ़ावा देनेवाले मुख्य कारण हैं - कब्जियत, पाचनक्रिया के विकार, अतिअम्लीयता, वायु रोग, एक ही स्थान पर अधिक समय तक बैठे रहना, साइकिल चल एवं घुड़सवारी करना इत्यादि!- हमारे पास आनेवाली स्त्री-रोगियों में ऐसी कहानी मिल कि उनका रोग गर्भावस्था में प्रारंभ हुआ!
- कारण भी स्पष्ट है, पेट में बढ़ते हुए गर्भ के कारण गुदामार्ग के शिराजाल पर दबाव बढ्द जाता है, जिसके परिणामस्वरूप बवासीर क रोग लग जाता है।
पाइल्स के लक्षण एवं निदान
- बवासीर के मुख्य लक्षण हैं- गुदा में रक्त गिरना, शौच क्रिया में पीड़ा होना, शोध मस्से और स्थानीय खुजली अनुभव होना आदि
चरक सहिंता के अनुसार
- लक्षणों के आधार पर बवासीर को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। प्रथम श्रेणी के लक्षण हैं गुदामार्ग से रक्त आना, स्थानीय शोथ होना और पीड़ा-जलन आदि की शिकायतें होना इत्यादि!
- दूसरी श्रेणी के रोगियों में ऊपर लिखी शिकायतें और बढ़ जाती हैं! इसके अलावा मस्सों का कुछ भाग गुदा मार्ग से बाहर निकल सकता है, जो शौच क्रिया के उपरांत भीतर चला जाता है।
- लेकिन तीसरी अवस्था में गुदा के बाहर निकले मस्से बाहर ही रहते हैं- भीतर नहीं जाते!
- लक्षणों की इस जानकारी के अतिरिक्त निदान स्थापित करने के लिए मस्सों का परीक्षण किया जा सकता है और प्रोक्टोस्कोपी भी!
आयुर्वेदिक चिकित्सा-
- वर्तमान चिकित्सा पद्धति में बवासीर के सर्व सामान्य साधन हैं - कब्ज हटानेवाली दवाओं का प्रयोग और मस्सों पर मलहम लगाना। इसी प्रकार गरम पानी में पुटाश डालकर स्थानीय सिकाई की जाती है।
- कुछ चिकित्सक मस्सों में टीका लगाकर सुखाने की चेष्टा करते हैं। इसके अलावा मस्सों को बांधने या शल्य द्वारा काटने की व्यवस्थाएं प्राप्त हैं। इन साधनों से लाक्षणिक लाभ तो मिल जाता है, लेकिन स्थायी लाभ नहीं मिल पाता और रोगी पूर्णरूप से ठीक नहीं हो पाते ।
- अर्श के इलाज के लिए चरक संहिता में मुख्य रूप से निम्न विधियों का उल्लेख मिलता है, जैसे
(१) खिलायी जानेवाली औषधियां,
(२) स्थानीय रूप से लगायी जानेवाली औषधियां एवं अन्य प्रक्रियाएं,
(३) शल्यक्रिया,
(४) क्षार सूत्र क्रिया,
(५) अग्नि-क्रिया, इत्यादि ।
- इसी प्रकार आयुर्वेद में हरे पत्ते और शाकों के प्रयोग पर बल दिया गया है।
- जैसे निशोथ की पत्ती, पलाश की पत्ती, चित्रक की पत्ती, चौलाई के पत्ते, शतावरी के कोमल पत्ते, बथुआ के पत्ते, जौ की पत्तियां, वाकुची के पत्ते, मकोई के पत्ते, मांस रोहिणी के पत्ते, इमली के पत्ते, पोई का शाक! कचूर के पत्ते, गाजर के पत्ते, धनिया के पत्ते इत्यादि
Pileskey एक अनुभूत योग लगभग बीस वर्ष पूर्व अमृतम ने अत्यंत वैज्ञानिक रीति से Pileskey नामक वनौषधि की खोज की थी, जो इस रोग के लिए अत्यंत गुणकारी सिद्ध हुई है।
- pileskey दूध के साथ पीने से बवासीर संबंधी रक्त बंद हो जाता है, पीड़ा, जलन, सूजन, खुजली आदि शिकायतें समाप्त हो जाती हैं और मस्से ठीक हो जाते हैं।
- रोग एवं रोगी की अवस्था के आधार पर इस बूटी के प्रयोग से लगभग तीन-चार महीने में पूर्ण लाभ मिल जाता है और शल्य चिकित्सा की आवश्यकता नहीं रहती । इसके प्रयोग से फिशर भी ठीक हो जाते हैं।
- इस आयुर्वेदिक वनौषधि से किसी प्रकार के विकार नहीं बनते! इसके विपरीत रोगियों की पाचन क्रिया सुधर जाती है और स्वास्थ्य अच्छा हो जाता है।
- जो रोगी इस औषधि का एक बार प्रयोग कर लेते हैं, वे अन्य रोगियों को इसके प्रयोग के लिए प्रेरित करते हैं।
- अब तक बवासीर बूटी से हजारों की संख्या में रोगी लाभान्वित हो चुके हैं।
💎 Pileskey Gold Malt –
बवासीर और फिशर का हर्बल इलाज
- बवासीर को संस्कृत में अर्श कहा गया है। यह रोग शिराओं में सूजन और पाचन विकार के कारण होता है।
बवासीर के कारण
- कब्ज और अनियमित खानपान
- पाचन तंत्र की कमजोरी
- लंबे समय तक बैठे रहना
- गर्भावस्था के दौरान दबाव
- वायु और अतिअम्लीयता
बवासीर के लक्षण
- शौच के समय रक्त आना
- गुदा में पीड़ा व जलन
- खुजली और सूजन
- मस्सों का उभरना
Pileskey Gold Malt के फायदे
- गुदा की सूजन और जलन में राहत
- रक्तस्त्राव को रोकने में सहायक
- कब्ज और पाचन विकार में लाभकारी
- गुदामार्ग को प्राकृतिक रूप से मजबूत करना
- बिना सर्जरी बवासीर और फिशर का आयुर्वेदिक समाधान
👉 इसमें हरीतकी, त्रिफला, दारुहल्दी, गिलोय, अजवाइन जैसी औषधियाँ सम्मिलित हैं।
🌱 आयुर्वेद क्यों चुनें?
- बिना किसी साइड इफेक्ट के प्राकृतिक इलाज
- रोग की जड़ पर असर
- लंबे समय तक लाभकारी
- शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. क्या Lozenge Malt बच्चों को दिया जा सकता है?
हाँ, इसे बच्चों और बड़ों दोनों को दिया जा सकता है।
Q2. Pileskey Gold Malt लेने का सही तरीका क्या है?
भोजन के बाद गुनगुने दूध/पानी के साथ 1-2 चम्मच लेना लाभकारी है।
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