भारत में बहुत कम लोग जानते हैं कि कार्तिकेय के छ मुखों के छ मंदिर भी हैं! जाने दुर्लभ रहस्य
🌺 अमृतम पत्रिका साभार प्रस्तुत – भगवान कार्तिकेय के षडानन (छः मुख) का रहस्य और छह मंदिरों की अद्भुत कथा 🌺
- भगवान कार्तिकेय की पूजा के मंगल दोष का निवारण नहीं होता और विवाह में मंगल की विशेष भूमिका होती है! सुखी वैवाहिक जीवन के लिए कार्तिकेय के समक्ष राहुकाल में रोज Raahukey oil के ५ दीपक जलाने से तुरंत विवाह हो जाता है!

- जानिए भगवान कार्तिकेय के षडानन (छः मुख) का रहस्य और दक्षिण भारत के छह प्रमुख मुरुगन मंदिरों की कथा। मंगल दोष और विवाह बाधा निवारण के लिए कार्तिकेय पूजा का महत्व।
🔱 प्रस्तावना
- भारतीय संस्कृति में भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, षण्मुख, स्कन्द, और मंगलनाथ भी कहा जाता है, वीरता, बुद्धि, शक्ति और मंगल के अधिपति माने जाते हैं। वे शिव-पार्वती के पुत्र और गणेश जी के छोटे भाई हैं।
- विशेष बात यह है कि उनके छः मुख (षडानन) ब्रह्माण्ड के छः दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, और इन्हीं छः मुखों से जुड़े भारत के छः पवित्र मंदिर आज भी भक्तों को दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- ऋषि पराशर ने श्लोक के माध्यम से मंगल दोष का वर्णन करते हुए बताया है कि जब मंगल ग्रह अशुभ भावों में स्थित होता है, तब जातक के जीवन में कष्ट, विवाह में विलम्ब और रोग-शोक उत्पन्न होते हैं।
- भगवान कार्तिकेय ही मंगलनाथ हैं और उनकी पूजा से मंगल दोष तथा मांगलिक कष्ट शांत होते हैं।

✨ भगवान कार्तिकेय और मंगल ग्रह का संबंध
- मंगल ग्रह शरीर में रक्त, साहस और आत्मविश्वास के कारक हैं।
- कार्तिकेय ही पृथ्वीपुत्र मंगल के अधिपति हैं।
- मान्यता है कि मंगल के कुपित होने से कैंसर जैसे रोग पनपते हैं।
- जो व्यक्ति भगवान कार्तिकेय की उपासना करता है, उसका जीवन साहस, स्वास्थ्य और सफलता से भर जाता है।
🌟 षडानन कार्तिकेय के 6 मंदिर और उनके रहस्य
1️⃣
पलनी मुरुगन मंदिर (Palani, Tamil Nadu)
- कोयम्बटूर से लगभग 100 किमी दूरी पर स्थित।
- यहाँ भगवान कार्तिकेय के हाथ में दंड (छड़ी) है, इसलिए इन्हें दंडपति कहते हैं।
- दंडीस्वामी परंपरा की स्थापना यहीं से हुई थी।
- यहाँ वे शिष्य रूप में पूजे जाते हैं।

2️⃣
स्वामीमलय मुरुगन मंदिर (Swamimalai, Kumbakonam)
- यहाँ भगवान कार्तिकेय ने अपने पिता भगवान शिव को ॐ शब्द का रहस्य बताया।
- इसके बाद ब्रह्मा और विष्णु सहित अन्य देवताओं को भी यह ज्ञान प्राप्त हुआ।
- यहाँ कार्तिकेय को ज्ञानदाता के रूप में पूजा जाता है।
3️⃣
तिरुत्तनी मुरुगन मंदिर (Tiruttani, near Tirupati)
- तिरुपति से लगभग 50-60 किमी दूरी पर स्थित।
- यहाँ भगवान कार्तिकेय का दूसरा विवाह हुआ था।
- मंदिर तक पहुँचने के लिए 365 सीढ़ियाँ हैं, जो वर्ष के 365 दिनों का प्रतीक हैं।
- अविवाहितों को यहाँ दर्शन करने से शीघ्र विवाह का योग बनता है।

4️⃣
पज्हमुदिर्चोलाई मुरुगन मंदिर (Pazhamudircholai, Madurai)
- मीनाक्षी मंदिर से लगभग 25-30 किमी दूरी पर स्थित।
- यहाँ भगवान कार्तिकेय अपनी दोनों पत्नियों – देवयानी और वल्ली – के साथ गृहस्थ रूप में पूजनीय हैं।
- विवाह और पारिवारिक सुख की प्राप्ति के लिए यह मंदिर अत्यंत पवित्र है।

5️⃣
तिरुचेंदूर मुरुगन मंदिर (Tiruchendur, Tamil Nadu)
- यह एकमात्र समुद्र तट पर स्थित कार्तिकेय मंदिर है, अन्य सभी पहाड़ियों पर बने हैं।
- यहाँ कार्तिकेय योद्धा और सेनापति के रूप में पूजे जाते हैं।
- भक्त मानते हैं कि इस मंदिर में शत्रु पर विजय और रोगों से मुक्ति मिलती है।
6️⃣
तिरुप्परंकुंड्रम मुरुगन मंदिर (Thiruparankundram, near Madurai)
- यहाँ भगवान कार्तिकेय का विवाह इंद्र की पुत्री देवयानी से हुआ था।
- अविवाहित युवक-युवतियाँ यहाँ दर्शन करने से शीघ्र विवाह प्राप्त करते हैं।
- यह मंदिर दाम्पत्य सुख का प्रतीक है।

🕉️ वेद्यनाथ धाम का वास्तविक रहस्य
- आम मान्यता है कि बिहार का बैद्यनाथ धाम ही ज्योतिर्लिंग है, परंतु स्कन्द पुराण के अनुसार वास्तविक वेद्यनाथ ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत में वेदेहीश्वरं कोइल में स्थित है।
- यह मंदिर 2000 से अधिक शिवलिंगों से सुसज्जित है।
- यहाँ कार्तिकेय ने तपस्या की और असाध्य रोग से मुक्ति पाई थी।
- यही कारण है कि इसे “चमत्कारिक वैद्यनाथ धाम” कहा जाता है।

🔮 मंगल दोष निवारण और कार्तिकेय की कृपा
- हर मंगलवार को यहाँ विशेष मंगल दोष निवारण पूजा की जाती है, जिसमें 43 घंटे लगते हैं।
- अविवाहितों, रोगियों और मांगलिक दोष से पीड़ित जातकों के लिए यह पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
- मंगल स्वामी कार्तिकेय का आशीर्वाद पाकर व्यक्ति साहस, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त करता है।
🌼 निष्कर्ष
- भगवान कार्तिकेय केवल एक देवता ही नहीं, बल्कि साहस, ज्ञान और मंगल के अधिपति हैं! भगवान कार्तिकेय षडानन रूप के ये छः मंदिर भारत की आध्यात्मिक धरोहर हैं। यहाँ दर्शन और पूजा करने से मांगलिक दोष, विवाह बाधा और शारीरिक रोग दूर होते हैं।
न मंगली चंद्र भृगौ द्वितीये
न मंगली पश्यन्ति जीवतस्य:।
न मंगली चंद्र गतश्च केन्द्रे
न मंगली मंगल राहु योग।
अथ मङ्गलयोगवर्णनम्
एकेने भवेन्नासारश्चतुर्थे सप्तमे तथा।
अष्टमे द्वादशे चैव कुरुते मङ्गलान्नृणाम्॥
इस श्लोक में पराशर ऋषि ने बताया है कि मंगल यदि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में स्थित हो तो यह मङ्गल दोष (मांगलिक दोष) का निर्माण करता है।
प्रथ्वीपुत्र स्वामी कार्तिकेय ही मंगलनाथ हैं (#)
मंगल ग्रह शरीर में रक्त, हिम्मत, आत्मविश्वास के कारक हैं। मङ्गल ग्रह के कुपित होने से ही कैंसर रोग पनप रहें हैं। मेरा मंगल तेरा मंगल सबका मंगल होते रे! वाली सोच रोगों से बचाती है।
दुनिया में जहां पर भी भगवान कार्तिकेय मङ्गल स्वामी के मंदिर हैं वहां अपार सम्पदा, संवृद्धि है। भारत में तमिल लोगों के कार्तिकेय जी यह कुल देवता हैं।
तमिलनाडु राज्य के रक्षक के रूप में इन्हें चक्रवर्ती सम्राट और राजा की उपाधि प्राप्त है। तमिल के अधिकांश कार्तिकेय मंदिरों की देखभाल पर सरकार अरबों रुपए खर्च करती है।
वार्षिक बजट में इनका धर्मादा कोष अलग से निश्चित रहता है।
मङ्गल स्वामी भगवान कार्तिकेय षड़ानन के 6 मुख के 6 अलग -अलग मन्दिर
पहला पलनी तमिलनाडु में पलनी मुरुगन मंदिर – कोयम्बटूर से 100 km करीब यहां इनके हाथ मे एक दंड होने से इन्हें दण्डपति कहते हैं। दंडीस्वामी पंथ या परंपरा इनके द्वारा ही शुरू की गईं । ये शिष्य रूप में स्थित हैं ।
भगवान शिव भी शिष्य बने-
दूसरा स्वामीमलय स्वामीमलय मुरुगन मंदिर कुम्भकोणम – जहां अपने पिता भगवान शिव को ॐ शब्द का रहस्य इनके पुत्र मुरुगन स्वामी ने बताया था। बाद में ब्रह्म, विष्णु आदि देवताओं को ॐ का रहस्य शिव से ज्ञात हुआ था।
तीसरा तिरुतनी, तिरुपति से 50 km तिरुतनी मोरगन स्वामी- यहां दूसरा विवाह हुआ था। यहां 365 सीढ़ियां हैं जो 365 दिन की प्रतीक हैं।
अविवाहितों जातकों के लिए विशेष तिरुपति से करीब 60-70 km अविवाहित लोग पैदल चढ़कर जाए, तो अतिशीघ्र विवाह होता है । क्लेश कारक दाम्पत्य जीवन सुखमय हो जाता है । एक बार अवश्य जावें।
चौथा है- पज्हमुदिर्चोलाई , पजहामुद्रिचोलाई कार्तिकेय मन्दिर – मदुरै मीनाक्षी मन्दिर से करीब 25-,30 km है ।दोनों पत्नियां साथ होने से यह गृहस्थ रूप में पूजनीय हैं।
पांचवा है- तिरुचँदुर तिरुचंदुर मुरुगन स्वामी – मदुरै से लगभग 155 km यह समुद्र किनारे बसा एक मात्र मंदिर है शेष सब 5 मंदिर पहाड़ी पर हैं। यहां भगवान कार्तिकेय एक योद्धा सेनापति रूप में विराजमान हैं।
छठवां है- तिरुप्परणकुंरम तिरुप्परामकुंराम मोरगन स्वामी- मदुरै से कुछ ही दूरी पर लगभग 10-15 km मोरगन स्वामी मंदिर नाम से प्रसिद्ध है।
यहां इंद्र की बेटी देवयानी से विवाह किया था । अविवाहित लोग यदि दर्शन करें, तो शीघ्र विवाह होता है। इस प्रकार भगवान कार्तिकेय के 6 मुखों के 6 अलग-अलग मंदिर हैं। ये मंगलनाथ भी हैं।
बिहार का वेद्यनाथ धाम ओरिजनल ज्योतिर्लिंग नहीं है
स्कन्द पुराण के अनुसार ओरिजनल बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग- दुनिया में बहुत कम लोगों को मालूम है कि ओरिजनल बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत के वेदेहीश्वरं कोइल में स्थित है।
यह ज्योतिर्लिंग शिवालय लगभग तीन से 5 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है। भगवान मोरगन ने किया था तप – इस स्थान पर कार्तिकेय ने घनघोर तो किया था, जब वे असाध्य त्वचा रोग से पीड़ित हो गए थे।
भगवान शिव , तब इस पुण्य क्षेत्र में वैद्य बनकर आये थे। यह दुनिया का ऐसा एक मात्र शिवालय है जहां सभी नवग्रह एक ही सीध यानि लाइन में हाथ जोड़े खड़े हैं।
शिवलिंगों का अंबार
वेदेहीश्वरं कोइल शिव मंदिर में लगभग 2000 से अधिक शिंवलिंग अनेक देवी-देवताओं, ऋषि, सप्त ऋषियों- मुनियों द्वारा स्थापित हैं।
जटायु की समाधि इस मंदिर में ही जटायु का दाह संस्कार हुआ था। हालाँकि जटायु के पर केरल के कोट्टियम के नज़दीक जटायु पर्वत पर काटे गए थे। यहाँ श्रीराम के पदचिह्न एक पत्थर पर उत्कीर्ण हैं।
अंगारक स्वामी मंदिर दुनिया का एक मात्र दुर्लभ अंगारक मन्दिर है। यहां पर हर मंगलवार को मङ्गल दोष निवारक पूजा करे जाती है, जिसमें 43 घण्टे का समय लग जाता है।
भोलेनाथ का भंडार-
यह स्थान ज्योतिष की सप्त नाड़ी सहिंता, नन्दी सहिंता के लिए प्रसिद्ध है। यहां आसपास करीब 100 से अधिक स्वयम्भू शिंवलिंग और माँ काली के मंदिर जंगलों में हैं, जो दर्शनीय हैं। मंगल से पीड़ित, मांगलिक दोष से परेशान हों, तो जिनका विवाह नहीं हो पा रहा है उन्हें एक बार ज़रूर जायें। इन सब तीर्थ स्थान पर ।
🙏 अमृतम पत्रिका की यही मंगलकामना है –
“मेरा मंगल, तेरा मंगल, सबका मंगल हो।
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