प्रदूषण से मुक्ति देने वाली आयुर्वेदिक औषधि Lozenge Malt! ये गले, फेफड़ों को काँच सा साफ़ रखता है-
॥अमृतम्।। मासिक पत्रिका
KUFKEY STRONG SYRUP
- पुरानी सर्दी, खाँसी गले में फांसी की तरह चुभती है। धीरे- धीरे व्यक्ति की आंतरिक शक्ति क्षीण हो जाती है!
- लगातार स्वांसी के कारण जवानी में ही पानी पतला होकर शीघ्रपतन से घिर जाता है!
- खाँसी पुरानी होने से बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते हैं। अतः सभी उम्र वालों को पुरानी से पुरानी एवं नई स्वाँसी के लिए कफकी स्ट्रांग सीरप अमृत तुल्य औषधी है।
- फेंफड़ों को हर-बल देने वाली एक असरकारक अद्भुत हर्बल औषधि
- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए, करे खांसी का मुकाबला कफ की स्ट्रांग सीरप
- यदि सर्दी, खासी का समय पर उपचार न किया जाए तो खाँसते-खाँसते कफ के साथ खून आने लगता है और क्षय रोग की सम्भावना बढ़ जाती है।
- आज की बढ़ती आबादी, अनियमित खान-पान तथा हर प्रकार के प्रदूषण में हमें जो अनेक प्रकार के रोग दिये हैं, उनमें विशेष कष्टदायक रोग हैं-
- सूखी कफदार तथा कुकुर खाँसी, श्वास, दमा, जुकाम, सर्दी, गले सम्बन्धी रोग तथा ब्रोन्काइटिस (वास नली की सूजन)।
- पुराने जुकाम में नजला होकर स्मरण शक्ति कमजोर होने लगती है। इस तरह रक्त-बल और वीर्य क्षीण होकर व्यक्ति कमजोर हो जाता है।
- इन रोगों से राहत पाने के लिए अद्भुत आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माता अमृतम् फार्मास्युटिकल्स ने अमृतम कफ की स्ट्राग सायरप में वासा (अडूसा) तुलसी, मुलेठी, हंसराज आदि जड़ी बूटियों का समावेश करके और भी गुणकारी बनाया है।
- ऐठन वाली पीड़ा के साथ होने वाली खाँसी को रोकने तथा तुलसी और वासा ये दोनों अपने विशेष गुणों के कारण सूखी आराम पहुँचाने में लाभकारी हैं।
- Lozenge के सेवन से गले व छाती में रूका अटका हुआ बलगम बीला होकर आसानी से बाहर निकल जाता है तथा साँस लेने में आराम मिलने लगता है।
- अमृतम कफकी स्ट्रांग सीरप की शीशी को अच्छी तरह हिलाकर गुन-गुने गरम पानी से लेने पर यह अपना चमत्कारीय प्रभाव तत्काल दिखाती है।
- अमृतम कफकी स्ट्रांग सीरप अनेकों अद्भुत व असरदार प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के विशेष मिश्रण से निर्मित किया है। जैसे-
- तुलसी प्रतिरोधकक्षमता में वृद्धिकारक। हृदय को हितकारी कफ, श्वांस, खाँसी एवं दुर्गन्धनाशक, रक्तदोष, शूल, ज्वर और हिचकी
- कफ की स्टाँग सीरप में प्रयुक्त तुलसी के संस्कृत पर्यायवाची नामों में आध्यात्मिक एवं औषधीय गुण सूत्र रूप में गुम्फित हैं-
तुलसी-वैष्णवी-वृन्दा-सुगन्धा- गन्धहारिणी।
अमृता-पत्र-पुष्पा, च पवित्रा सुरवल्लरी ।।
- अर्थात्- तुलसी रोग नाशकारिणी। वैष्णवी विष्णु को तथा विष्णु भक्तों को अति प्रिय। वृन्दा- दैत्यराज शंखचूड़ की पतनी वृन्दा ही तुलसी हुईं।
- सुगन्धा- इसकी सुगन्ध मानव हितकारिणी एवं अन्य दुर्गन्धियों को दूर करने वाली। अमृता इसके पत्ते और फूल (मंजरी) मानव के पाप-ताप नाशकारिणी होने से तथा औषधिय गुण होने से यह अमृता है।
- तुलसी वृक्ष के नजदीक कभी कोई कीड़े-मकोड़े, कीटाणु नहीं आते हैं, यह पूर्णतः कीटाणुनाशक है, इसलिए पूजनीय है। पवित्रा- सभी पूजा कार्यों में प्रयुक्त होने से यह पवित्रा है।
- सुर-बल्लरी- देवताओं से भी मान्या (पूजनीया) होने से यह सुर-बल्लरी है।
तुलसी का महत्व
- मनुष्य, दोष, द्वेष-दुर्भावना दुष्टता के द्वार खोले खड़ा है इसीलिए वह पागलपन का शिकार हो जाता है। जबकि शेर कभी पागल नहीं होते।
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