दाल की दरियादिली अमृतम पत्रिका, ग्वालियर मई 2008 से साभार
जहाँ डाल-डाल पर, सोने की चिडिया करती बिखेरा-उस भारत में डाल-डाल पर डकैत और डसने वाले नागों बसेरा है।
- भारत में भ्रष्टाचार का ऐसा भांगड़ा चल रहा है। सभी आश्चर्य चकित हैं! जब डाल-डाल पर डाकू विराजमान हों, तो आदमी का दाल-रोटी खा पाना कैसे संभव है?

- भारत की विशेषता है यहाँ हरा आविष्कार कम चमत्कार ज़्यादा होते हैं! सन्त महात्मा, कथावाचक, ज्योतिषियों आदि का भरपूर है।
- भगवान और भक्तों से भरे भारत देश में कथावाचक, भरपूर में दाल-रोटी न मिलने से आत्महत्या करता है! गरीब को बिटिया बेचनी पड़ती है।
- योग्य विद्वान मेहनती छात्र आर्थिक तंगी और परिवार की दाल रोटी चलाने के चक्कर में विधाअध्ययन स्थगित कर छोटे मोटे काम या नोकरी करने पर विवश हो जाता है! महंगाई, मक्कारी, मक्खन बाजी ने मनुष्य के मन को छिन्न- भिन्न कर दिया है!

रोज खाने बाली दाल का यह हाल है कि साल में सात बार भाव बढ़ते हैं। कहते थे कि दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ।महंगाई के कारण दाल दगाबाज हो गई है!
दालेन जीवनं नित्यं, दालेनैव तृप्तता।
यो न जानाति दालस्य भावं, सः रसहीनकः॥
- अर्थात -जो दाल का भाव नहीं समझता, वह जीवन के रस से वंचित रहता है!
- नटराज का नाम गुनगुनाने वाला नेता अब दाल छोड पनीर, पराठे, पूड़ी खाने लगे है।
दाल की दादागिरी और नातेदारी
- दाल सबके लिए वैसी ही है जैसे- जो रिश्ता वृक्ष का छाल से, बंदर का डाल से, रोटी का थाल से, मछली का जाल से, तलवार का तलवार से!
मूसल और दाल सदियों की जोड़ी!
मूसल का दाल से रिश्ता उतना ही पुराना है जितना भारत का इतिहास और भूख का अहसास।
- जीवन का काल से, अमिताभ का नमक हलाल से, लकड़ी का टाल से, मरीज का अस्पताल से, जवाब का सवाल से, पानी का ताल से, गणित का प्रकाल से, जीवन का जंजाल से, घर का दीवाल से, संगीत का ताल से, स्त्री का गाल से, (बार बार गाल देखती है!
दाल-रिश्तों की रानी, रसोई की महारानी! दाल का रिश्ता हर किसी से है
- मृत्यु का काल से, मजदूर का हड़ताल से, भोपाल का ताल से, प्रसव स्त्री का बच्चे की नाल से, उज्जैन का महाकाल से, पर्यटकों का नैनीताल से, पाकिस्तान का दोगली चाल से।
कुंतल केयर का कमजोर बाल से, फुटबॉल का बंगाल से, घोड़े का खुर की नाल से, खाल का गाल से, सिखों नीमें निहाल से, होली का गुलाल से, ग्राहक का मॉल से, मोबाइल का मिसकॉल से।
और जब गल जाए, तो बेड़ा पार करा जाती है!
पत्नी का ससुराल से, गाय भैंसों का घोसी यानि पाल से, गाँव का चौपाल से, ग्वालियर का बेजाताल से, यूनियन का हड़ताल से, चालकों का हलाल से!
चालाकों का चाल से, लोभी का माल यानी धन से, देहाग्नि का राल से, नाग और राहु का पाताल से, व्यापारी का मार्च के साल से वही रिश्ता आदमी का दाल से है!

मूसल का दाल से गहरा नाता रहा है।
दाल कमी मूंग बनकर छाती पर दली जाती है, तो कभी, तुअर बनकर POOR (गरीब) को सताती है। दाल हीं खिचड़ी बन मरीज का पथ्य बनती है। जिनकी दाल गल जाती है उनका बेड़ापार
हो जाता है।
दाल-रोटी की सहेली, भात की प्रेमिका और हींग, जीरा, देशी घी से गहरे रिश्ते है। दाल में काला कर, दगाबाज करने वाले दलालों और दोगलों ने देश को दल-दल में धकेल दिया है!
गरीबों के दिलों में दाल ने दहशत फेला दी है। मध्यम वर्ग को भी अब दाल-आटे के भाव मालूम पड़ रहे हैं!
दाल की चाल को समझ पाना 'दाता यानि दीनदयाल के वश में भी नहीं है!

रसोई का आधार, दीन-हीनों की दम है! हे दाल देवी! एक दिन महंगी होने के कारण देवता भी दर्शन को तरस जाएँगे!
कथा-प्रवचनों में तुम्हारी चर्चा होगी! एक- दो साड़ी बाद जब दाल किसी पर कृपा करेगी, तो वो दरिद्र स्वयं को धन्य समझेगा!
अन्नं ब्रह्मेति चोक्तं वै, दालं तत्र प्राणरूपिणी।
यत्र दालं न दृश्येत, तत्र भूख निवारिणी।। रसचतुर्वेदी सूत्रम्
दुष्ट दाल से लोग भविष्य में वंचित हो जाएँगे! दयानिधि का कृपापात्र ही दाल का भक्षण कर सकेगा!

दुख-दर्द में सदा साथ निभाने वाली हे दालदेवी, तुम्हें प्रणाम! शत-शत नमन! दूर से नमस्कार!
अतः दुआ करो कि दूरदराज में दाल दरिद्र-दुखी, दोस्त-दुश्मन, दूरदृष्टि न रखने वाले ग़रीब पर दया बनाये रखें!
दाल-चावल की दयादृष्टि से ही उस दयावान दयालु के लिए दुआ संभव है! क्योंकि २ दिन दाल न खाने से ये दोगली देह दिमाग़ हिला देती है!
हे दयासागर दाल! तू सदेव सब पर दीनता, दया बनाये रखना! क्योंकि दाल से दमदार इस टेन के लिए दूसरा कोई स्वादिष्ट और पौष्टिक तत्व नहीं है!
हम भारत वासी दाल के दाने-दाने को मोहताज न हों जायें! दूषित दल-दल रूपी दुनिया में जीने का एक मात्र सहारा है दाल!

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