शिव के साधे सब सधे, सब साधे सब जाएँ! यही सुखी जीवन का मूल मंत्र है
- amrutam के इस पूरे लेख में उ/ऊ शब्द का सर्वाधिक उपयोग हुआ है! प्रेरणा से परिपूर्ण ये पाठ पाठकों को पढ़कर प्रसन्नता प्रदान करेगा

शिवालय के समक्ष उपासक की उपस्थिति
- प्रत्येक माह की मास शिवरात्रि का उपवास, सूखे वन तथा तन-मन को उपवन बनाकर जीवन को उम्दा बना सकती है।
- उमा-महेश्वर उमेश (शिव, महादेव, श्रीगणेश और कार्तिकेय) जैसे देवों में ही सर्व कल्याण, उत्थान करने की क्षमता है!

- आध्यात्म के उपभोक्ता मत बनो, भय, भ्रम, भ्रान्ति भटकाव बन्द करो, उस पार ऊंकार (महाकाल) पहुँचायेगा। बार-बार मत भटको विश्व में वास केवल विश्वनाथ का ही है यही विश्वास बनाये रखो।
महामृत्युजंय मन्त्र में ऊर्वारुक शब्द आया है।
- ऊर्वा कहते हैं तरबूज को। अर्थात मस्तिष्क को तर करने वाला फल। महाशान्ति दायक होने के कारण तरबूज जैसे फल को मन्त्रों में समाहित किया गया।
- यह फलों का महाभाग्य है। उबासी (जंभाई) अर्थात आलस्य फैलाने वाले नकारात्मक ऊर्जा से भरे लोगों से दूर रहो ये लोग सदा उल्टा सोचते हुए उल्टी करते रहते हैं।
- शिवसाधना से नियमित करना चाहिये। हर विकल्प की काट या हथियार संकल्प है।

उपनिषद वाक्य है-
शिवः संकल्प मस्तु कठोर संकल्प में ही शिव का वास है। उर्वरा शक्ति से भरा व्यक्ति उपजाऊ भूमि से भी ज्यादा उपयोगी होता है। उपमेय बनो। उपमा बन जाओं। ऊँट के मुँह में जीरा जैसी महत्वहीन है।
- उपजाऊ भूमि और अधिक उपज (कमाने) वाला व्यक्ति ही सबका, समाज का, संसार का, सहयोगियों, सहपाठियों, सत्संगियों, साधुओं का शिव (कल्याण) करता है।
आप में क्षमता है, आप सल्तनत उलट सकते हो। इस लेख को उपन्यास की तरह मत पढ़ों। ये प्रेरणा वाक्य है। यह ब्रम्ह उवाच है।
शिवालय की सेवा: उत्थान और उन्नति का मार्ग
यदि हमारे पास कोई उम्दा और उत्थानकारी कार्य न हो, तो शिवालय की सेवा सर्वोत्तम साधना है।
आज से ही, अभी से और इसी क्षण से जब तक हमारे पास कोई उम्दा उत्थान, उन्नति हेतु काम नहीं है तब तक किसी शिवालय की साफ-सफाई का नियम बना लो!
पहाड़ों, पर्वतों पर स्थित मन्दिरों की देखभाल करो! संभव हो, तो राहु काल में रोज नित्य कर्पूर और Raahuley oil का दीपक रोज जलाओ।
राहु- केतु और कालसर्प-पितृदोष की शांति हेतु यह एक अद्भुत अवधूत का बताया हुआ आध्यात्मिक योग है।
सुख सम्पन्नता दायक अमृतमय-अमृतम Raahukey तेल
अमृतम राहुकी तेल एक अदभुत ग्रहनक्षत्र नाशक तेल है इसमें बादाम तेल, केशर इत्र, चन्दनादि तेल और जैतुन का समिश्रण है।
बादाम शरीर के वात रोगों, पूर्व जन्म के पापों से मन मस्तिष्क में भारी पन दूर कर मन शान्त करता है।
बादाम तेल शिवलिंग पर अर्पित करने से बुद्धि का विकास होता है। बादाम शनि राहु-केतु के प्रकोप तथा कालसर्प पितृदोष को शान्त करता है!
परिवार के सभी सदस्य प्रत्येक शनिवार को पूरे शरीर में Raahukey तेल लगाकर ही स्नान करें!

- शिव को साधें सब सधैं
- मासिक शिवरात्रि का महत्व
- महामृत्युंजय मंत्र का रहस्य
- ऊर्वारुक का अर्थ
- शिव संकल्प उपनिषद
- शिवालय की सेवा
- राहुकाल में दीपक जलाने का महत्व
- Raahuley Oil आध्यात्मिक उपयोग आदि ये सब जानने के लिए amrutam से जुड़ें!

शिव उपासना और नक्षत्र रहस्य| अमृतम् मासिक पत्रिका से साभार
दरिद्र दोष दूर करने का उपाय
- अमृतम् मासिक पत्रिका में बताया गया है कि यदि स्नान करते समय विशेष जड़ी-बूटियों और तेल से शरीर को धोया जाए तो दरिद्र दोष दूर हो जाता है।
- केशर इत्र गुरु ग्रह तथा सद्गुरु (शिव) की कृपा धारण करता है।
- चन्दनादि तेल मन की चंचलता को शांत कर उन्माद रोग का नाश करता है।
- 🌞 सूर्य और 🌙 चन्द्र सृष्टि के आदि से अंत तक सत्य-शिव-सुन्दरम् के प्रतीक हैं। ये कभी नष्ट नहीं होते, बल्कि सदा उन्नति और उत्थान की शक्ति प्रदान करते हैं।
नक्षत्र और शिव कृपा
- वैदिक ज्योतिष के अनुसार सत्ताइस नक्षत्रों में कुछ विशेष नक्षत्र शिव उपासना से गहरा संबंध रखते हैं:
- कृतिका नक्षत्र (मेष-वृषभ राशि)
- उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र (सिंह-कन्या राशि)
- उत्तराषाढ़ा नक्षत्र (धनु-मकर राशि)
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र (मीन राशि)
- 👉 इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातक अथाह संपत्ति और मनचाही उन्नति प्राप्त करते हैं, बशर्ते वे अधिक से अधिक शिव साधना करें।

दीपावली और शिव उपासना
- हर उत्सव में दीप प्रज्ज्वलन का महत्व है, परंतु दीपावली पर दीप जलाना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
- कर्पूर, तैल और Raahukey oil के दीप जलाने से राहु-केतु दोष शांत होते हैं।
- गुरु, योग्य ब्राह्मणों और बड़े बुजुर्गों की सेवा कर आशीर्वाद लेना अनिवार्य है।
- गाय को गंगाजल से स्नान कराकर, उसके कान में 12 बार “नमः शिवाय च नमः शिवाय” मंत्र सुनाना और रोटी में घी, हल्दी, गुड़ लगाकर 27 दिन तक खिलाना शुभ फल देता है।
- अमृतम् चंदन से गाय के माथे पर तिलक या त्रिपुंड लगाने से घर-परिवार में समृद्धि आती है।

महाभारत कालीन कथा: उत्तरा और शिव साधना
महाभारत काल में अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा का जन्म उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। उन्होंने कार्तिक मास में प्रतिदिन 1008 दीप शिवालय में जलाकर भगवान शिव को प्रसन्न किया और अभिमन्यु जैसा वीर पुत्र पाया।
यह परंपरा हमें बताती है कि दीप ज्योति और शिव साधना जीवन में अतुल्य शक्ति और वंश वृद्धि का आशीर्वाद देती है।
दीपदान द्वारा पितृ ऋण से मुक्ति
उत्सव केवल आनंद ही नहीं, बल्कि पितृ ऋण से उऋण होने का अद्भुत अवसर है।

- स्कंध पुराण के अनुसार, शिवलिंग पर मधुपंचामृत अर्पण करने से जीवनदायिनी शक्तियाँ बनी रहती हैं।
- पितृ मातृका जैसे दिव्य रूपों की उपासना हमारे पूर्वजों के ऋण से मुक्ति और वंश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।
निष्कर्ष
- 👉 शिव उपासना, दीप प्रज्ज्वलन, नक्षत्र साधना और पितृ सेवा – ये सब मिलकर जीवन से दरिद्र दोष, ग्रह बाधा और कष्टों का नाश करते हैं।
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