ह्री बीजमंत्र और श्री यंत्र का रहस्य!त्रिकोण से खुलते हैं वैभव के द्वार राहु काल में ह्री बीज साधना! त्रिकोण पूजन से धनलक्ष्मी की कृपा

  1. त्रिकोण का दिव्य रहस्य और ह्री बीज मंत्र और धन-समृद्धि का विज्ञान
  2. सनातन धर्म में त्रिकोण मात्र एक आकृति नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की सृजन, स्थिति और संहार की गूढ़ शक्ति का प्रतीक है। इसी त्रिकोण में धन, लक्ष्मी और शिवत्व की दिव्य ऊर्जा समाई हुई मानी जाती है।

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  2. ह्री बीज मंत्र और श्रीयंत्र का दिव्य रहस्य धन और समृद्धि का आध्यात्मिक विज्ञान सनातन परंपरा में ह्रीं कोई सामान्य बीज मंत्र नहीं, बल्कि महालक्ष्मी का हृदय स्वरूप माना गया है।
  3. ह्री बीज के दोनों ओर स्थित दिव्य त्रिकोणों में धन लक्ष्मी और गज लक्ष्मी श्री महालक्ष्मी के दो प्रमुख स्वरूप त्रिकोण में विराजमान रहते हैं। इन दोनों शक्तियों का जागरण ही व्यक्ति के जीवन में धन, यश और समृद्धि का संचार करता है।

🔱 त्रिशूल का गूढ़ अर्थ

  1. ह्री बीज से उत्पन्न त्रिशूल केवल एक प्रतीक नहीं! यह त्रिपाप (पाप, मोह, भय) और त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) का नाशक माना गया है। ऊपरी त्रिकोण महादेव का प्रतीक है, जो स्थैर्य, ऊर्जा और शिवत्व का संचार करता है।

ह्रीं बीजं परमं दिव्यं, त्रिशूलं सर्वसिद्धिदम्।

त्रिपापदोषनाशाय, शिवशक्तिप्रकाशकम्॥

  1. ह्री वह दिव्य ध्वनि है जिसमें लक्ष्मी, शिव और ब्रह्मांड की सृजन ऊर्जा समाई है। जब भक्त इसे श्रद्धा से जगाता है! धन, वैभव, यश और सौभाग्य स्वयं उसके चरणों में आता है।

ह्रीं लक्ष्म्याः पद्मनाभस्य, दिव्यं बीजं महामनुः।

यः जपेत् श्रद्धया नित्यं, तस्य लक्ष्म्याः न वञ्चना॥

  1. ह्री बीज कोई साधारण ध्वनि नहीं — यह समृद्धि, आरोग्य और आध्यात्मिक जागरण की चाबी है।
  2. राहु काल में श्रद्धा से प्रतीक निर्माण और दीप पूजन करने से जीवन में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
  3. राहु काल में खेत की माटी से ये आकृति निर्मित कर raahkey तेल के दीपक जलाकर पूजा करें और चमत्कार देखें!

श्री यंत्र में त्रिकोण और दीप पूजन की विधि

  1. श्रीयंत्र में नौ त्रिकोण होते हैं जो महालक्ष्मी के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। त्रिकोण की मध्य रेखा पर ह्री बीज लिखें।

आध्यात्मिक ऊर्जा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  1. त्रिकोणीय आकृति ऊर्जा को केंद्रित और स्थिर रखती है।
  2. दीपक की लौ और ध्वनि तरंगें मिलकर रेज़ोनेंस उत्पन्न करती हैं। यह रेज़ोनेंस वातावरण में अल्फा ब्रेन वेव्स जैसी स्थिर तरंगें उत्पन्न करता है, जो शांति, एकाग्रता और समृद्धि के लिए अत्यंत अनुकूल हैं।
  3. त्रिकोण केवल एक आकृति नहीं, यह शिव और शक्ति का मिलन बिंदु है। ह्री बीज के साथ त्रिकोण की साधना करने से न केवल आध्यात्मिक चेतना जागती है, बल्कि धन, यश और स्थायी समृद्धि भी आकर्षित होती है।
  4. जहाँ ह्री बीज का जप और त्रिकोण पूजन होता है, वहाँ लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।

ह्री बीज मंत्र - महालक्ष्मी का हृदय

ह्रीं बीजं परमं दिव्यं, त्रिशूलं सर्वसिद्धिदम्।

त्रिपापदोषनाशाय, शिवशक्तिप्रकाशकम्॥

  1. अर्थात-ह्री बीज और त्रिशूल सर्व सिद्धियों को देने वाला है। यह त्रिपाप व त्रिदोषों का नाश कर शिव-शक्ति की ज्योति प्रकट करता है।
  2. ह्री बीज मंत्र !!ह्रीं!! को महालक्ष्मी की हृदय ध्वनि कहा गया है। यह बीज मंत्र ब्रह्मांड की उस ऊर्जा को जाग्रत करता है, जो धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का संचार करती है। ह्री बीज के दोनों ओर स्थित दो दिव्य त्रिकोणों में धन लक्ष्मी, धन और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री। गज लक्ष्मी राजसी वैभव और स्थायी समृद्धि की देवी। ये दोनों शक्तियाँ श्रीयंत्र के मूल में निवास करती हैं।

🔱 त्रिशूल और त्रिकोण का गूढ़ अर्थ

  1. ह्री बीज से उत्पन्न त्रिशूल केवल एक प्रतीक नहीं है — यह त्रिपाप (पाप, मोह, भय) और त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) का नाशक है।
  2. ऊपरी त्रिकोण — शिव तत्व का प्रतीक है। निचला त्रिकोण — शक्ति और लक्ष्मी का प्रतीक है।दोनों के संयोग से शिव-शक्ति की पूर्णता प्रकट होती है।

ह्री बीज और समृद्धि का आध्यात्मिक विज्ञान

  1. ह्री ध्वनि का कंठ और हृदय चक्र पर सीधा प्रभाव होता है। इसके जप से पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय होता है, जिससे मन शांत, स्थिर और ग्रहणशील बनता है। यही ग्रहणशीलता लक्ष्मी तत्व के आकर्षण का मार्ग बनती है।

ह्रीं लक्ष्म्याः पद्मनाभस्य, दिव्यं बीजं महामनुः!

यः जपेत् श्रद्धया नित्यं, तस्य लक्ष्म्याः न वञ्च!!

  1. ह्रीं बीजमंत्र महालक्ष्मी का दिव्य महामंत्र है। जो श्रद्धा से इसका जप करता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा कभी कम नहीं होती।

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