अमृतम रावण रहस्य विशेषांक ४० सालों का सतत संघर्ष और लेखन का परिणाम!
- जब विज्ञान, तंत्र और ज्योतिष मिलते हैं — तब जन्म लेता है परिवर्तन!
अनुभव में आया है कि राहु के नक्षत्रों जैसे आद्रा, स्वाति और शतभिषा में जन्मे जातक में अमरत्व की कामना बहुत होती है! अमृत की लालसा में वे अनेक खोज कर संसार के लिए अनेक आविष्कार छोड़ जाते हैं!
- श्रीरावण सहित भूत, भविष्य और वर्तमान के सभी वैज्ञानिक ऋषि-महर्षियों की तरह हैं या उनका अवतार! ये सभी भयंकर रूप से कालसर्प-पितृदोष से प्रभावित और परेशान रहे!

- भृगु और रावण सहिंता के मुताबिक श्री दशानन रावण का जन्म नक्षत्र स्वाति था! रावण ने ही विद्युत यानी लाइट की खोज की थी! स्वर्ण की खोज करने वाले हिरण्यकश्यप आद्रा नक्षत्र में जन्मे थे! कंस का नक्षत्र भी आद्रा था!
रावण का शिवजी से संवाद और राहु का रहस्य
विधि के विधान को पलटना मूर्खता कहलाती है, रावण।
- अमरत्व का आभास पाओगे, परंतु प्राप्त नहीं कर सकोगे। रुद्र वचन!
- लंका का यह संवाद केवल देव और दैत्य के बीच नहीं था, बल्कि यह मानव की अमरता की जिज्ञासा और कर्म-विज्ञान के संघर्ष का प्रतीक था।
- श्री दशानन रावण, जिसे “त्रिकालज्ञ” कहा गया, शिव-भक्त होने के साथ-साथ राहु-प्रभावित स्वाति नक्षत्र में उत्पन्न हुआ था।
- राहु और स्वाति — दोनों ही परिवर्तन, प्रयोग और असंभव को संभव बनाने की शक्ति का प्रतीक हैं।
- आज का युग भी उसी राहु-ऊर्जा से संचालित हो रहा है —चाहे वह ChatGPT, Google, Instagram, या कंप्यूटर की खोज हो! हर नए विचार और नवाचार के पीछे वही राहु का विद्रोही तत्व” कार्य करता है —जो परंपरा को चुनौती देकर नये ब्रह्मांड की रचना करता है।

- 🔭 राहु-स्वाति नक्षत्र : वायु की गति और मस्तिष्क की बिजली
- स्वाति नक्षत्र, तुला राशि का 15वां नक्षत्र, राहु ग्रह के अधीन होता है। इसका अधिदेवता है वायु देव — गति, प्रेरणा और स्वतंत्रता के स्वामी।
स्वाति नक्षत्रे जाताः सर्वे चञ्चला धीराः।
वायुवत् गतिसंपन्ना बुद्धिमन्तो नृपोपमाः। (ज्योतिष महोदय तन्त्र)
- स्वाति नक्षत्र में जन्मे लोग वायु के समान गति-शील, चतुर, बुद्धिमान और राजसी स्वभाव वाले होते हैं। राहु जब इस नक्षत्र में बलवान होता है, तब व्यक्ति में
- अद्भुत जिज्ञासा,
- रहस्यमय प्रयोग-प्रियता,
- और विज्ञान को साधना के रूप में देखने की दृष्टि जन्म लेती है।
- ऐसे लोग संसार में नया अध्याय लिखते हैं। वह चाहे वेदकालीन रावण हो या आधुनिक काल का वैज्ञानिक —दोनों में एक ही ज्वाला जलती है — “मैं कुछ नया करूँगा!
⚛️ रावण : विज्ञान और तंत्र का प्रथम प्रयोगकर्ता
- रावण को आज तक केवल “लंकापति” कहा गया, पर वह वास्तव में प्रथम वैज्ञानिक-तांत्रिक था।
- रावण ने अपने ग्रंथ “रावण संहिता” और उड्डीस तंत्र में वायुवेग, ग्रहों की विद्युत शक्ति, और चक्रों की गति का वर्णन किया।
कर्मं प्रधानं पुरुषस्य देहे, विद्यां च संविद्यते देवतासु।रावणसंहिता!
- अर्थात् शरीर में कर्म की गति ही देवत्व को जन्म देती है। रावण का यह विश्वास था कि
- वेद केवल आरंभ हैं,
- तंत्र उनका प्रयोग है,
- और विज्ञान उनका विस्तार।
- इसीलिए उसने निवृत्ति (संन्यास) को नहीं, बल्कि प्रवृत्ति (कर्म) को महान कहा। यह वही विचार है, जो आज राहु की ऊर्जा के रूप में आधुनिक विज्ञान को चला रहा है।
राहु का विज्ञान : कालसर्प और विद्युतचुंबकीय ऊर्जा
- राहु कोई दानव नहीं, बल्कि छाया ग्रह है —यानी, अदृश्य लेकिन प्रभावी शक्ति।
- ज्योतिष में राहु को विद्युत, चुंबकत्व, और तरंग का प्रतीक माना गया है।
- आधुनिक विज्ञान के अनुसार, Rahu = Electromagnetic Field जो दिखाई नहीं देता, पर सब पर असर डालता है।
कालसर्प योग — ऊर्जा का कुंडलित बंधन
- जब राहु और केतु सभी ग्रहों को अपने बीच बाँध लेते हैं, तब वह योग कहलाता है — कालसर्प योग। यह योग भय नहीं, बल्कि ऊर्जा का अत्यधिक संकेन्द्रण है।
राहुकेतोः समायोगे ग्रहाः सर्वे गता यदि।
ततः कालसर्पनाम्ना दोषो न, शक्तिरूच्यते॥
- अर्थात् -जब सभी ग्रह राहु-केतु के बीच आते हैं, तो वह दोष नहीं, बल्कि शक्ति बन जाता है, जो व्यक्ति को महान कार्यों के लिए प्रेरित करती है। इसी कालसर्प ऊर्जा को Raahukey तेल अपने विशिष्ट तंत्र-निर्माण द्वारा जाग्रत करता है।
- 🌘 Raahukey तेल :
- तांत्रिक परंपरा और आधुनिक विज्ञान का संगम
- Raahukey तेल, अमृतम संस्था द्वारा निर्मित, वह विशिष्ट तांत्रिक-औषधीय सूत्र है जो राहु ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा को प्रयोग-योग्य शक्ति में बदल देता है।
Raahukey का रहस्य :
- इसमें प्रयुक्त है — नीलगिरी, कर्पूर, शमी पर्ण, तिल तेल, और राहुगंधक चूर्ण
- ९० दिनों तक धान्य-कोठे में रखकर संस्कारित किया जाता है।
- तांत्रिक ग्रंथों के अनुसार, राहु की ऊर्जा वायु और गंध तत्व से जुड़ी होती है।
- यह तेल उन्हीं तत्वों से निर्मित है, जो राहुवायु को संतुलित करते हैं।
कालसर्प-पितृदोष मुक्ति के लिए उपयोग :
- राहुकाल दीपदान — प्रतिदिन राहुकाल में ५ दीपक Raahukey तेल से जलाएं।
- इससे जीवन में अवरोध, भय और भ्रम नष्ट होते हैं।
- कालसर्प निवारण हवन — इस तेल से हवन करने पर
- कालसर्प योग की तीव्र ऊर्जा शान्त होकर रचनात्मक बनती है।
- एकाग्रता एवं आविष्कार-शक्ति बढ़ाना —
- राहु-स्वाति वालों के लिए यह “मस्तिष्क तेल” की तरह कार्य करता है।
- यह विचारों की हवा को दिशा देता है।

राहोः तेलं प्रदीप्तं यः प्रयुञ्जीत भक्तितः।
तमो नाशं सुखं ज्ञानं लभते नैव संशयः॥ तंत्रसार संग्रह
- अर्थात् -जो भक्त राहु-तेल से दीप जलाता है, उसके अंधकार (भय, मोह, भ्रम) का नाश होकरज्ञान, वैभव और सुख की प्राप्ति होती है।
🔬 आधुनिक दृष्टि : राहु और वैज्ञानिक सोच
- यदि हम राहु की व्याख्या विज्ञान की दृष्टि से करें —तो राहु वह Quantum Field है जो दिखाई नहीं देता, पर हर जगह विद्यमान है।
राहु का प्रभाव विज्ञान की भाषा में:

- इस प्रकार राहु, आधुनिक विज्ञान का प्रतीक बनता है —जहाँ अंधकार नहीं, बल्कि अदृश्य शक्ति का अस्तित्व है।
🕯️ राहुकाल में दीपदान का रहस्य
- प्रत्येक दिन १.३० घंटे का समय राहु का होता है जिसे “राहुकाल” कहा जाता है। यह काल अशुभ नहीं, बल्कि गुप्त ऊर्जा के उद्घाटन का समय है।
- यदि रोज़ राहु काल में RAAHUKEY तेल से दीप जलाया जाए, तो व्यक्ति के अवचेतन में छिपी नवप्रेरणा जाग्रत होती है।
- समुद्र मंथन के बाद जब राहु को अमृत न देकर देवताओं ने छल किया और सप्ताह के सात वारों में भी राहु को कोई स्थान नहीं मिला, तो राहु ने अपने आराध्य महादेव से भावुक प्रार्थना की!
- भोलेनाथ ने काफ़ी मंथन के बाद प्रतिदिन ९० मिनिट दिन में यानी सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य राहु काल का समय निर्धारित किया और निर्देश दिया कि राहु काल में जो भी जातक शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत, इत्र तेल अर्पित कर तिल तेल में वंग, नाग, यशद और स्वर्ण मक्षिका भस्म आदि मिश्रित तेल द्वारा दीपदान करेगा, उसे राहु कभी पीड़ित नहीं करेंगे!
महालक्ष्मी व्रत, दीपावली आदि धनदायक पर्व पर भी राहु काल में दीपक जलाने से दरिद्रता, ग़रीबी, रोग, शोक दूर होंगे!
राहुकाले दीपदानं, तामसं हन्ति तत्क्षणात्। राहु गणेश तंत्र
भावार्थ: राहुकाल में दीपदान करने से तामस (अंधकार, भय, आलस्य) का तुरंत नाश होता है।
- आज के युग में, जब व्यक्ति उदास, भ्रमित, तनावग्रस्त रहता है —राहुकाल में दीपदान ध्यान-चिकित्सा की तरह कार्य करता है। यही वह समय है जब मस्तिष्क की छाया ऊर्जा सक्रिय होती है।

🧠 रावण का आविष्कार पुष्पक विमान, विद्युत आदि से लेकर ChatGPT तक — राहु की प्रेरणा
इतिहास से वर्तमान तक, जो भी “परंपरा से हटकर” सोचने वाले लोग हुए, वह सब राहु-ऊर्जा के प्रतीक हैं —
युग, व्यक्ति, राहु-स्वाति समान गुण
त्रेतायुग-रावण की खोज -तंत्र, विज्ञान, विद्रोही चेतना
आधुनिक युग में निकोला टेस्ला-विद्युत तरंगों का अन्वेषक
डिजिटल युग के स्टीव जॉब्स
साधारण को असाधारण बनाने की क्षमता
AI युग, ChatGPT / Google / Instagram, रोबोट और मानव मस्तिष्क की छाया को कृत्रिम रूप देना
- राहु = Illusion + Intelligence रावण ने इसे तंत्र में साधा, आधुनिक वैज्ञानिकों ने इसे टेक्नोलॉजी में बदला।
- दोनों का उद्देश्य एक ही —अमरता नहीं, पर अमर कार्य।
🌕 मोक्ष नहीं, उत्कर्ष चाहिए
- रावण ने शिव से कहा था —मैं निवृत्ति नहीं चाहता, क्योंकि वह कायरता है।
- मैं प्रवृत्ति चाहता हूँ — क्योंकि जगत में रहकर कर्म करना वीरता है।
- यह राहु की आत्मा है। वह भागना नहीं सिखाता, सामना करना सिखाता है। राहु का स्वभाव है कि वह मोक्ष नहीं, उत्कर्ष देता है।
- संन्यास नहीं, प्रयोग देता है। शांति नहीं, चेतना देता है!
और यही Raahukey तेल का उद्देश्य है — मनुष्य को जीवन से पलायन नहीं, बल्कि जीवन से साक्षात्कार कराना।
🔱 निष्कर्ष : राहु की छाया में प्रकाश
राहु की छाया में जो प्रकाश है! वह अमरता नहीं, परंतु अनुभव की पराकाष्ठा है। जब व्यक्ति राहुकाल में दीप जलाता है, तो वह अंधकार से नहीं डरता — वह उसे ज्ञान का प्रतीक बना देता है।
राहोः कृपया बुद्धिर्जायते दिव्यदर्शिनी।
तमो यत्र न दृश्येत् तत्रैव शिवमस्तु मे॥
भावार्थ:
- राहु की कृपा से वह बुद्धि उत्पन्न होती है, जो अंधकार में भी दिव्यता देख सके —और वहीं शिवत्व की अनुभूति होती है!
रावण ने शिव से कहा था —मैं कर्मकाण्ड में नहीं, कर्म में विश्वास रखता हूँ और आज वही भाव Raahukey तेल के प्रत्येक दीप में जलता है —
जब आप राहुकाल में दीप जलाते हैं, तो रावण का साहस, राहु की शक्ति, और स्वाति की वायु — तीनों आपके भीतर एक नई सृष्टि का बीज रोपते हैं।

Greatfully Blog
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