श्री रावण रहस्य विशेषांक ४० वर्षों का सतत संघर्ष और अनुसंधान रावण के ऊपर लगे कलंक को मिटाना भी शिवा भक्ति ही है!
- रावण कोई राक्षस नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक और तंत्रयोगी था जिसने अमरत्व, औषध विज्ञान और ब्रह्म चेतना को एक सूत्र में पिरोया। जानिए श्री दशानन रावण के दुर्लभ रहस्यों को।
- रावण – जिसने शिव और सबको को समझा, पर खुद को खो दिया।

💫 रावण के आदर्श का निचोड़
कर्मणा जायते जन्तुः कर्मणा एव च म्रियते।
कर्म बन्धः विमोक्षश्च कर्म हि पुरुषो महान्॥
- अर्थात्- मनुष्य कर्म से जन्म लेता है, कर्म से मरता है। कर्म ही उसका बंधन भी है और मुक्ति भी।
💬 भावनात्मक समापन
- रावण की कथा न केवल इतिहास है, वह विज्ञान, दर्शन, और आत्मबोध का ऐसा संगम है! जहाँ अमरत्व कोई वरदान नहीं, बल्कि चेतना की यात्रा है।

रावण का रहस्य — विज्ञान, तंत्र और वेद का अज्ञात सम्राट (Ravana Secrets in Ayurveda, Tantra & Science)
- रावण – जो राक्षस नहीं, बल्कि मानवता के ज्ञान का महासागर था! सार्वभौम सम्राट, ब्रह्मवेत्ता, तंत्रयोगी और ज्योतिषाचार्य — इन सभी का अद्वितीय संगम था लंकेश रावण। जिसने मृत्यु को नहीं मिटाया, बल्कि अमरत्व की प्रक्रिया को विज्ञान के रूप में समझा।
🔱 1. रावण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण — अमरता नहीं, ऊर्जा का संरक्षण
- रावण ने शिव से अमरत्व नहीं, अमरभाव प्राप्त किया।वह समझता था कि जीवन नाशवान है, परंतु ऊर्जा अमर है।
- रावण ब्रह्मांडीय चेतना (Cosmic Consciousness) को घृत, जड़ी-बूटियों और चूर्ण तेलों में सहेजने की विधियाँ खोजीं।
- जायफल और अकोल कूट चूर्ण तेल में डालकर… धान्य के कोठे में 90 दिन रख देने से मनुष्य दिव्यरूप धारण करता है।
- यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि अल्केमिकल आयुर्वेद (Alchemical Ayurveda) की प्रक्रिया थी —जहाँ औषधि का पाचन सूर्य, चंद्र और पृथ्वी की ऊर्जा से होता है।
🌿 2. आयुर्वेदिक प्रयोग: रावण का हर्बल अल्केमी (Herbal Alchemy)
- रावण को औषध निर्माण की रहस्यमय विधियाँ ज्ञात थीं —
- निर्गुण्डी मूल को घृत में पकाकर सेवन — आकाशगमन योग (Levitation Energy)।
- सफेद गुंजा रस से शरीर अभिषेक — अग्नि से अप्रभावित होना (Fire Immunity)।
- चिरमिती रस से वस्त्र रंगना — जल स्तंभन क्रिया (Water Stopping Energy)।
- ये सभी प्रयोग दर्शाते हैं कि रावण ने आयुर्वेद, रसायनशास्त्र और सूक्ष्म तंत्रज्ञान को एक सूत्र में पिरोया था।
!!ॐ नमो भगवते रुद्राय जलं स्तंभय ठ:!!
- यह जल-स्थापन मंत्र, क्वांटम ऊर्जा के कंपन से द्रव्य के प्रवाह को रोकने की क्रिया है।
- 🧠 3. पराविद्या बनाम अपराविद्या — ज्ञान का द्वैत दर्शन
- 🔱 रावण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण — अमरता नहीं, ऊर्जा का संरक्षण
- रावण ने ब्रह्म को विज्ञान में और विज्ञान को ब्रह्म में देखा। वह जानता था कि “अपराविद्या” (भौतिक विज्ञान) और “पराविद्या” (आध्यात्मिक विज्ञान) एक ही ऊर्जा के दो आयाम हैं।
- मैं प्रवृत्ति का अनुयायी हूं, निवृत्ति का नहीं। निवृत्ति कायरता है, प्रवृत्ति वीरता।
- रावण ने जीवन को संघर्ष का प्रयोगशाला माना —जहाँ साधक अपने कर्मों से ही मोक्ष का निर्माण करता है।
🔥 रावण का शिवतत्व — तंत्र और ब्रह्मज्ञान का मिलन!
- रावण का समर्पण “रुद्र” को नहीं, बल्कि “रुद्रत्व” को था —वह ऊर्जा जो विनाश नहीं, पुनर्रचना (Reconstruction) करती है। अमरता प्राप्त नहीं की जा सकती, किंतु सन्मार्ग पर कर्म करना ही अमरत्व है।
यह रावण के दर्शन का मूल है —
कर्म ही शिव है, और शिव ही चेतना।
📚 रावण का वेदांत — मोक्ष नहीं, मोचन
- रावण ने कहा था —वेद में मोक्ष शब्द ही नहीं है।ऋचायें दीर्घायु और विजय की घोष करती हैं।
- रावण निवृत्ति नहीं, प्रवृत्ति का पक्षधर था। उसने जीवन को त्याग का नहीं, सृजन का उत्सव माना। यही कारण है कि रावण आज भी संस्कृति का विरोध नहीं, चेतना का विस्तार है।
दक्षिण दिशा का रहस्य- अगस्त्य और लंकेश का संवाद
- जब शिव ने कहा —महर्षि अगस्त्य को हमने दक्षिण भेजा है, ताकि ज्ञान का प्रवाह बना रहे। तो रावण ने इस आदेश को दक्षिण तंत्र परंपरा का आधार बनाया।
- यही से “रावण संहिता”, “उड्डीस तंत्र” और “लंकाधिपति रसायन” जैसे ग्रंथ बने।

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