दीपावली की कालरात्रि ही महाकाली की शक्ति है — जो अहंकार, अज्ञान और अन्धकार को जलाकर जीवन को अमृतम बना देती है।
- महाकाली और दीपावली का रहस्यमय संगम — अन्धकार से अमृत तक का मार्ग ताकि पाठक अहंकार से संस्कार, अंधकार से उजाला की यात्रा महसूस कर सकें!

महाकाली और दीपावली —
अहंकार से संस्कार की ओर
- महाकाली और दीपावली का गुप्त रहस्य – वास्तविक संदेश! अंधकार से ज्ञान, समृद्धि और अमृतत्व की यात्रा
✨ दीपावली केवल महालक्ष्मी पूजन का पर्व नहीं — यह अहंकार के विनाश और आत्मज्ञान के उदय की रात्रि है।
पुराण कहते हैं कि अहंकार, अन्धकार और अज्ञान — तीनों साथ रहते हैं, और इनका अंत केवल प्रकाश (दीप) और विवेक (ज्ञान) से संभव है।
असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतम गमय॥ (बृहदारण्यक उपनिषद् 1.3.28)
अर्थात हे सूर्यदेव, भोलेनाथ! मुझे असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमृतत्व की ओर ले चल।
- दीपावली का यही सार है —अन्धकार का आरम्भ ही ज्ञान का जन्म है।
महाकाली — काल की जननी, ज्ञान की ज्योति

दीपावली राहु के स्वाति नक्षत्र में पड़ती है और ये वैदिक परंपरा से शुद्ध राहु यानी श्रीगणेश और अंधेरे को मिटाने वाली माँ काली को समर्पित है! इसीलिए अमावस्या रात्रि को कालरात्रि कहा गया है।
- यह वही रात्रि है जब महाकाली अपने कपाल से अन्धकार का परदा चीरती हैं। उनका रूप भय नहीं, बल्कि ब्रह्मज्ञान का प्रज्वलन है।
काली करालवदना, नीलोत्पलदलद्युतिः।
शिवसंयोगिनी शक्तिः, सर्वानर्थविनाशिनी॥— देवी महात्म्य
- महाकाली का अर्थ है — “समय को पार करने वाली चेतना। वह न केवल विनाश करती हैं, बल्कि नवसृजन की प्रेरणा भी देती हैं। इसीलिए दीपावली की रात में जब हम दीप जलाते हैं, तो वह काली की कालिमा में भी ज्योति भर देता है।
दीपावली – अंधकार की साधना, प्रकाश की अनुभूति
- प्राचीन ग्रंथों में दीपावली की रात्रि को “ज्ञान साधना की रात्रि” कहा गया है। इस दिन जब सूर्य तुला राशि (नीच भाव) में होता है, तब उसकी ऊर्जा मंद पड़ती है —
- यही वह क्षण है जब बाहरी प्रकाश कम होकर “अंतःप्रकाश” जगाना पड़ता है।
दीपो भासयते लोकं, तमः संहरते क्षणात्।
तथैव ज्ञानदीपेन, विनश्यत्यन्धकारकः॥
- जिस प्रकार दीपक अंधकार हर लेता है, वैसे ही ज्ञान अहंकार और अज्ञान को मिटा देता है।
🕯️ दीपदान — महाकाली की साधना का आधुनिक रूप
- महाकाली अंधकार में नहीं रहतीं —वे अंधकार को भेदने वाली शक्ति हैं। इसीलिए दीपावली पर दीपदान महाकाली साधना का प्रतीक माना गया है।
हर दीपक में एक संकल्प छिपा होता है —कि मैं अपने भीतर के अंधकार को जलाकर प्रकाशमान बनूँ।
प्रत्येक घर में पाँच दीप जलाना चाहिए —
- भगवान शिव के लिए – अहंकार नाशक।
- माता काली के लिए – भय नाशक।
- भगवान विष्णु के लिए – पालन करने वाली शक्ति।
- गुरु के लिए – ज्ञान देने वाली ज्योति।
- स्वयं के अंतःकरण के लिए – आत्मप्रकाश का दीप।
🪔 राहु, कालरात्रि और Raahukey तेल का प्रयोग
- ज्योतिष कहता है — दीपावली की रात स्वाति नक्षत्र (राहु का नक्षत्र) में पड़ने से यह राहु ऊर्जा का संधान करती है।
- राहु अंधकार का अधिपति है, परंतु जब उसे प्रकाश दिशा दी जाती है, तो वही ऊर्जा बुद्धि, साहस और आत्मविश्वास में बदल जाती है।
- इसलिए दीपावली की रात्रि में Raahukey Oil के दीपक जलाना विशेष लाभकारी है।

- Raahukey तेल रात्रिकालीन ग्रहों (राहु-शनि) की ऊर्जा को स्थिर करता है, और मन में संकल्प शक्ति, ध्यान और दिव्यता का संचार करता है।
🌕 अमृतम् की साधना — प्रकाश से प्रज्ञा तक
- अमृतम्” का अर्थ ही है — जो मृत्यु को भी अमृत बना दे। प्रत्येक दीपावली, हमें याद दिलाती है कि हर अंधकार के भीतर एक महाकाली सोई है — जिसे जाग्रत करना ही जीवन का असली उत्सव है।
शिवः संकल्पमस्तु। मेरे प्रत्येक विचार शिवमय हों, शुद्ध हों, कल्याणकारी हों।
🪷 संदेश — अपने भीतर दीप जलाओ
- महाकाली का अर्थ है —भीतर के भय को देखकर भी प्रकाश में स्थिर रहना। दीपावली का अर्थ है —उस भय को दीप बनाकर ज्ञान में बदल देना।
कालरात्रि भी झुके जहाँ एक दीपक के आगे,
वही महाकाली है, जो भय को भी भक्ति बना दे।
🌼 अंतिम प्रार्थना
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि, त्वमेव केवलं कर्ताऽसि।
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि, नमो नमः॥
- हे माँ काली, हमें अहंकार, अज्ञान और अंधकार से मुक्त करो —हमारे भीतर के दीप को प्रज्ज्वलित करो। और इस दीपावली, हर मनुष्य के जीवन में “अमृतम” भर दो।

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