छठे, आठवे और बारहवें भाव या स्थान पर कुंडली में बैठे क्रूर ग्रह विपरीत राजयोग निर्मित करते हैं! इनसे डरें नहीं! भाग्य का सूचक है-
- नीच ग्रह कभी दोष कारक नहीं होते बल्कि — रूपांतरण की शक्ति है!
- जन्मकुंडली में बीच राशि गत ग्रह दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने और किस्मत पलटने की ताक़त रखते हैं!
जब कोई ज्योतिषी कहता है- आपकी कुंडली में नीच ग्रह हैं, तो ज़्यादातर जातक डर जाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि नीच ग्रह बर्बादी नहीं करते!
नीच ग्रह छिपी हुई क्षमता को जगाते हैं और सबसे ज़्यादा रूपांतरण इन्हीं के कारण होता है!रावणसहिंता के अनुसार जन्मकुंडली में जिस भाव या स्थान पर नीच ग्रह होते हैं!
- रावण सहिंता शांति कांडम के अनुसार राहु काल में मिट्टी का स्वस्तिक बनाकर पंचामृत अर्पित कर Raahukey oil के दीपदान से जीवन चमत्कारी तरीके बदलने लग जाता है!
इतनी शक्ति हमे देना दाता
- वह जातक की उस स्थान से सम्बंधित नीचता मिटाकर उसे ऊँचा उठाते हैं! ऐसे लोग अक्सर शून्य से शिखर पर पहुँच कर दम लेते हैं!
हे भोले! सुध लीजो हमारी
- जातक को नीचे से ऊपर उठाने के लिए ही महादेव में जन्मकुंडली में नीच ग्रह को रखने की व्यवस्था की! डर गए, तो निश्चित मार गए! मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा! बस, यही भाव नीच राशि गत जातक का अभाव मिटा देता है!

- प्राचीन रावण सहिंता पृष्ठ के चित्र! रावण रहस्य विशेषण ११०० पेज का गूगल पर brainkey.in पर उपलब्ध है! whatsapp पर लिंक पाने के लिए ९९२६४५६८६९ पर दीपक से बात करें
- जैसे मंगल अष्टम भाव में कर्क राशि गत नीच का होने से मानसिक संतुलन बिगाड़ता है और ऐसा इंसान कभी फ्री या बिना कम के नहीं बैठ सकता! मंगल ग्रह उसे हमेशा चलायमान रखना चाहता है!
- अष्टम भाव रिसर्च, खोज, अनुसंधान और गहन अध्ययन का है! अगर जातक इसे अपना उद्देश्य नहीं बनाता, तो उसका जीवन तबाह हो सकता है! फिर, मन में ये धारणा बन जाती है कि नीच ग्रह ने सफल नहीं होने दिया!
- अष्टम भाव में मंगल धनु ख़ान में ही आयेगा और देन बैठा मंगल विपरीत राजयोग निर्मित करता है! क्योंकि रावण सहिंता के मुताबिक छठे, आठवे और बारहवें का स्वामी ग्रह यदि इन्हीं तीनों में से किसी स्थान पर हो, तो जातक विपरीत परिस्थियों में सफलता पाता है!
- जाने रावण सहिंता के रहस्य- हमेशा याद रखें कि नीच राशि में ग्रह होने का मतलब बुरा नहीं होता। उल्टा ये ज़्यादा ताक़तवर बनते हैं ज्योतिष में लोग सबसे ज़्यादा डरते हैं -
- मेरे ग्रह नीच राशि में हैं! मेरी कुंडली में नीच ग्रह है इसलिए सब बिगड़ गया! उच्च ग्रह तो अच्छा होता है! नीच तो बर्बादी लाता है!
- सच्चाई बिल्कुल उलटी है! अक्सर नीच ग्रह ही जीवन में सबसे बड़े परिवर्तन और उन्नति के कारक बनते हैं। क्योंकि नीच ग्रह का प्रभाव सीधा नहीं,उल्टा और ज़ोरदार होता है।
- नीच ग्रह बर्बादी नहीं — भाग्य बदलने की चाबी हैं!ज्योतिष में जब भी कोई अपनी कुंडली दिखाता है तो सबसे पहले एक ही डर बोला जाता है! ये भ्रम मस्तिष्क से पूरी तरह निकाल दो कि पत्रिका में ग्रह नीच में है! इसलिए जीवन में परेशानियाँ हैं!
- नीच ग्रह जातक की नीचता को मिटाते हैं, उसे चलायमान बनाते हैं और उसे साधारण से असाधारण बना सकते हैं।
- अष्टम में मंगल नीच नहीं, एक शोधकर्ता का ग्रह अगर किसी की जन्मकुंडली में मंगल अष्टम भाव में कर्क राशि में नीच का है, तो यह जातक को मानसिक स्थिरता कम और निरंतर गति में रखता है। ऐसा इंसान कभी आराम से बैठ नहीं पाता! उसे हमेशा कुछ न कुछ करते रहना पड़ता है। क्योंकि मंगल उसे निरंतर चलायमान बनाना चाहता है।
- अष्टम भाव का अर्थ ही है —
- रिसर्च
- खोज
- अनुसंधान
- गहराई से अध्ययन
- गुप्त ज्ञान
- जीवन का ट्रांसफॉर्मेशन
- अगर जातक इस भाव की दिशा में नहीं चलता! तो वही ग्रह जीवन में भारी संघर्ष और मानसिक उथल-पुथल दे सकता है और तब लोग कहते हैं — मेरा मंगल नीच में है इसलिए सफल नहीं हुआ!
- सच्चाई यही है कि ग्रह ने रास्ता दिया था, आपने रास्ता नहीं चुना। नीच मंगल और विपरीत राजयोग — जब संकट ही वरदान बन जाता है
- छठे, आठवें और बारहवें भाव का स्वामी इन्हीं भावों में से किसी में बैठा हो, तो जातक विपरीत परिस्थिति में सफलता पाता है। यानी अगर मंगल अष्टम भाव में बैठा है और वही भाव उसका स्वामी भी है, तो जातक का जीवन साधारण नहीं होगा। वह संघर्षों में निखरता है, दबाव में जीतता है और विपरीत परिस्थितियों में विपरीत राजयोग बनाता है।
षष्ठाष्टमद्वादशे, स्वगृहे स्वामी यदि स्थितः।
विपरीतयोगो नाम, दुःखं परिवर्तते सुखम्॥
- छठे, आठवें या बारहवें भाव का स्वामी अगर इन भावों में बैठा हो तो विपरीत योग बनता है, जो दुख को सुख में बदल देता है।
- विपरीत राजयोग कैसे काम करता है? -साधारण ग्रह जहाँ डराते हैं — नीच ग्रह वहीं आपको एक दिशा में धकेलते हैं।
- अष्टम भाव में मंगल जातक को एक अन्वेषक, खोजी और परिश्रमी व्यक्ति बना सकता है।
- ऐसा जातक आराम नहीं चाहता — उसे ऊँचाइयाँ चाहिए।
- जो अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगा दे, वह भारी सफलता पाता है और यही नीच ग्रह की सबसे बड़ी ताक़त है! वे आपको आपकी कुंडली से बाहर निकलने पर मजबूर करते हैं।
- विश्वास बढ़ाने वाला रहस्य - नीच ग्रह कभी बर्बादी नहीं लाते — वे दिशा बदलते हैं। नीच ग्रह सफलता आराम में नहीं, संघर्ष में देते हैं।
- अष्टम भाव में मंगल हो तो जातक रिसर्च, इन्वेस्टिगेशन, आयुर्वेद, ज्योतिष, मिस्टिक साइंस या किसी गहराई वाले काम में चमकता है।
- अगर जातक ने इस ऊर्जा को रोक दिया — तो वही ग्रह जीवन को हिला देता है।
- राहु काल में मिट्टी के दीपक में Raahukey तेल जलाकर, !!ह्रीं!! बीजमंत्र के साथ ग्रह की ऊर्जा को शुभ दिशा में सक्रिय किया जा सकता है।
नीचग्रहं न तु दोषाय, नायकत्वाय जायते।
- नीच ग्रह दोष नहीं, नेतृत्व का बीज होता है।
- नीच ग्रह से डरें नहीं! आपको महान बनाने का प्रयास है! नीच ग्रह भाग्य नहीं बिगाड़ता — भाग्य जगाता है।
- विपरीत परिस्थिति में ही सफलता खिलती है।
- रावण तंत्र के अनुसार नीच ग्रह एक रूपांतरण का संकेत है।
- अष्टम भाव में मंगल — मानसिक स्थिरता नहीं, गहराई और शोध का रास्ता दिखाता है।
नीच ग्रह क्या करता है — उल्टे को सीधा बनाता है
- प्रत्येक ग्रह जिस भाव में बैठा है, उस भाव को तो प्रभावित करता ही है! लेकिन उसके सामने यानी सप्तम भाव पर उसकी दृष्टि बहुत गहरी होती है।
ज्योतिष शास्त्र कहता है-
- उच्च ग्रह जिस भाव में बैठा है, सामने वाले भाव पर नीच दृष्टि डालता है।
- नीच ग्रह जिस भाव में बैठा है, सामने वाले भाव पर उच्च दृष्टि डालता है। यानी नीच ग्रह जहां बैठा है वहां तो संघर्ष दे सकता है, लेकिन जहां देखता है — वहां गज़ब का शुभ फल देता है।
नीचस्थो यदि पश्येत् सप्तमं फलदो महान्।
उच्चस्थो यदि पश्येत् सप्तमं दुःखकारकः॥
- जब कोई ग्रह नीच राशि में होकर सप्तम भाव को देखता है, तो बहुत शुभ फल देता है। लेकिन जब वही ग्रह उच्च होकर सप्तम भाव को देखता है, तो फल बाधक भी बन सकता है।
ग्रह को भाव के हिसाब से समझिए
- अष्टम भाव में नीच ग्रह — धन भाव को उच्च दृष्टि से देखेगा! धन में सहयोग देगा।
- चतुर्थ भाव में नीच ग्रह -दशम भाव को उन्नत करेगा करियर और पदोन्नति में मदद।
- तृतीय भाव में नीच ग्रह — नवम (भाग्य भाव) को बल देगा! किस्मत खुल सकती है।
- पंचम भाव में नीच ग्रह-लाभ भाव पर शुभ दृष्टि इनकम और यश बढ़ेगा। इसके विपरीत अगर यही ग्रह उच्च होते, तो सामने वाले भाव को नीच दृष्टि से देखकर अड़चनें देते।
देशी और सड़क भाषा में सीधा मतलब 🚦
- नीच ग्रह धोखा नहीं, बूस्टर होता है।
- नीच ग्रह आपको रोकता नहीं, धक्का देकर आगे बढ़ाता है।
- उच्च ग्रह अगर गलत भाव में बैठ जाए तो रुकावट भी दे सकता है।
- भाग्य बदलता है, जब आप नीच ग्रह को डर नहीं, ताक़त मानते हैं।
निवेदन
वर्तमान युग में
- 2रा भाव (धन)
- 9वां भाव (भाग्य)
- 10वां भाव (राज्य/करियर)
- 11वां भाव (लाभ) इनका विशेष महत्व है।
- यदि इन भावों पर नीच ग्रह की दृष्टि पड़ रही है, तो यह उल्टा आपका भाग्य चमका सकता है।
नीचोऽपि दृष्ट्या करुणां करोति,
उच्चोऽपि दृष्ट्या व्यथां प्रयच्छति॥
- अर्थात-नीच ग्रह भी अपनी दृष्टि से करुणा और शुभफल दे सकता है, जबकि उच्च ग्रह भी विपरीत फल दे सकता है।
राहु काल में विशेष प्रयोग
- अगर किसी की कुंडली में नीच ग्रह हैं, तो राहु काल में
- मिट्टी के दीपक में Raahukey तेल जलाकर, ग्रहों की शुभ दृष्टि को सक्रिय किया जा सकता है।
- ह्रीं बीजमंत्र, मंगल के नीच प्रभाव को बदलने में विशेष शक्तिशाली माना गया है।
!!ह्रीं!! बीजं सर्वमङ्गलं, नीचग्रहं परिवर्तयेत्।
- नीच ग्रह बर्बादी नहीं करते — वो दिशा बदलते हैं। उनका प्रभाव सीधा नहीं, पर गहरा और शुभ होता है। ज्योतिष में डर नहीं, समझ ज़रूरी है।
Comments
Post a Comment