अमृतम रावण रहस्य विशेषांक ४० वर्षों का सतत संघर्ष

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  1. पूरा जीवन रावण के सत्य को परखने में खपा दिया! हजारों हस्तलिखित पांडुलिपियों, पुस्तकों, ग्रंथों का अध्ययन किया!
  2. भारत की अनेक शासकीय, अशासकीय लायब्रेरियों का भ्रमण किया! यहाँ तक कायरो (मिस्र) देश के एलेक्जेंड्रिया के विशाल पुस्तकालय का भी भ्रमण किया!
  1. आज का ईरान प्राचीन काल का श्वेत द्वीप था! यहाँ अनेकों स्वयंभू शिवलिंगों की खोज कर शिवालय निर्मित किए! जनता रावण को सबकी रक्षा करने के कारण रक्षेंद्र संबोधित करती थी!
  2. श्री लंकेश्वर पुस्तक के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व की रात जब कैलाश में जब नृत्य का विशाल आयोजन हुआ, तो अचानक वीणा के तार गए तभी रावण ने योगबल से अपने हाथ की नस निकाल कर तुरंत तार जोड़ दिया!
  3. दशमुख का अर्थ — दस ज्ञान प्रणाली का प्रतीक
  4. रावण के दस मुख केवल प्रतीक थे — मानव चेतना के दस आयामों के। प्रत्येक मुख एक विद्या का द्योतक था —

1️⃣ वेद

2️⃣ तंत्र

3️⃣ आयुर्वेद

4️⃣ संगीत

5️⃣ ज्योतिष

6️⃣ खगोल शास्त्र

7️⃣ रसायन शास्त्र

8️⃣ वास्तु शास्त्र

9️⃣ राजनीति

🔟 ब्रह्मज्ञान

दशमुखो न तु दोषाय, ज्ञानमूर्तिर्दशात्मकः।

विज्ञानं दशधा यस्य, स एव रावणो महान्॥

  1. वास्तव में “रावण” शब्द संस्कृत के रव (सूर्य) + “” (नियंत्रक) से बना है —अर्थात् जो सूर्य अर्थात् ऊर्जा को नियंत्रित कर सके।

🔮 रावण – प्रथम ज्योतिषाचार्य और ग्रह अन्वेषक

  1. रावण संहिता में ग्रहों की स्थिति, कालचक्र और जन्मकुंडली की गणनाएँ आधुनिक खगोलशास्त्र से मिलती हैं।
  2. रावण ने बताया कि प्रत्येक ग्रह केवल भौतिक नहीं, बल्कि ऊर्जा तरंग (frequency) है।
  3. रावण ने राहु” को “छाया ग्रह” नहीं, बल्कि “क्वांटम छाया” कहा —जो मनोविज्ञान और अवचेतन मन से जुड़ा है।

रावण संहिता (अध्याय 3):

छायाग्रहौ रहुकेतू, मनसः प्रतिबिम्बकौ।

  1. आज “साइकोलॉजी” जिस subconscious mind की बात करती है, वह अवधारणा रावण ने लाखों वर्ष पहले रखी थी।

🪔 रावण और तंत्रशक्ति — ऊर्जा नियंत्रण का विज्ञान

  1. रावण अघोर तंत्र, शिवतंत्र और शाक्त उपासना का सर्वोच्च साधक था। उसके पास नाडीशास्त्र और कुण्डलिनी जागरण की गूढ़तम विद्या थी।
  2. कहते हैं उसने चेतना को बाह्य शरीर से पृथक करने का विज्ञान सिद्ध कर लिया था।
  3. रावण का “शिवतांडव स्तोत्र” केवल स्तुति नहीं- एक तंत्रिक frequency generator है। जब यह स्तोत्र गाया जाता है, तब ध्वनि तरंगें अल्फ़ा और थीटा वेव्स उत्पन्न करती हैं —जो ध्यानावस्था को गहराई देती हैं।

शिवतांडव स्तोत्र:

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले।

गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुंगमालिकाम्॥

  1. 🌿 रावण और आयुर्वेद — रसायन विज्ञान का जनक रावण संहिता के अतिरिक्त “अरोग्य तंत्र”, “कुमार तंत्र” और “अर्कप्रयोग” उसके नाम से प्रसिद्ध हैं।
  2. रावण ने आयुर्वेद में 32 प्रकार के रस योग (Mercurial preparations) की खोज की, जो आधुनिक रसायन चिकित्सा के समान हैं।

रावण का एक प्रसिद्ध सूत्र है —

घृतं मिथ्या यदि दत्तं भवति दुःखवर्धनम्।

  1. अर्थात् यदि घी शुद्ध न हो तो औषधि नहीं, विष बन जाता है। वह “रसायन चिकित्सा” का पिता कहा जा सकता है।

⚙️ लंका का स्वर्ण नहीं — वैज्ञानिक चमत्कार

  1. लंका का “सोना” वास्तव में सोनिक एनर्जी स्टोन (स्वर्ण धातु मिश्रण) था, जो सूर्य की किरणों से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता था।
  2. रावण ने “पुष्पक विमान” में सौर ऊर्जा प्रणाली और चुंबकीय प्रोपल्शन का उपयोग किया था।
  3. आधुनिक ion propulsion system उसी सिद्धांत पर काम करता है।

तुलसी रामायण में भी उल्लेख:

पुष्पक विमान बैठि रघुवीरा, चले आकाश भए सुखधाम।

  1. 🔱 रावण का शिवभक्ति रहस्य — ऊर्जा और संतुलन का योग

रावण भगवान शिव का परम भक्त था। उसकी भक्ति केवल पूजा नहीं, बल्कि ऊर्जा संलयन (Energy Fusion) की प्रक्रिया थी।

  1. रावण ने अपने रक्त से पार्थिव शिवलिंग की स्थापना की जो प्रतीक है कि मानव अपनी चेतना को भी अर्पित कर सकता है।

त्रैलोक्यनाथं त्रिजगत्प्रकाशं, रावण्यनेनार्पितरक्तधारम्॥

रावण और नाड़ी विज्ञान — आध्यात्मिक न्यूरोलॉजी

  1. रावण सुषुम्ना नाड़ी और इडा-पिंगला के संतुलन का गूढ़ ज्ञाता था। उसने बताया कि “सांस ही सबसे बड़ा मंत्र है।
  2. प्रत्येक मंत्र का प्रभाव केवल ध्वनि से नहीं, बल्कि प्राण तरंगों के अनुनाद (Resonance) से होता है।

स्वासोऽहमिति ज्ञात्वा, ब्रह्मलोकं प्रयाति च।

  1. आज का Breath Meditation इसी सिद्धांत पर आधारित है।

🔮 रावण की मृत्यु — ब्रह्मज्ञान की अंतिम परीक्षा

  1. रावण की मृत्यु वध नहीं, बल्कि ज्ञान की पूर्णता थी। वह जानता था कि उसकी मृत्यु से “संतुलन” स्थापित होगा। उसने अपने अंतिम क्षण में लक्ष्मण को राजधर्म, नीति और ज्ञान सिखाया —क्योंकि वह जानता था कि अहंकार का अंत ही ज्ञान का जन्म है।

ज्ञानं ददाति रावणः स्ववधात्पूर्वमेव हि।

🌕 रावण का मस्तिष्क — ब्रह्मांडीय तरंगों का संग्राहक

  1. आधुनिक विज्ञान कहता है कि मानव मस्तिष्क में 90% क्षमता सुप्त रहती है।
  2. रावण ने “सहस्रार चक्र” को पूर्णतः सक्रिय किया था,
  3. जिससे वह दूरवाणी, टेलीपैथी और स्पंदन संचार कर सकता था।
  4. लंका की सभ्यता “रावण वेव सिस्टम” से संचालित थी — जो ध्वनि तरंगों से संदेश प्रेषण करता था।

🕯️ रावण का रहस्य — मानवता का दर्पण

  1. रावण न तो देव था, न असुर — वह “मानव के दोनों छोरों” का प्रतीक था। उसके भीतर ज्ञान भी था, और अहंकार भी।
  2. वह यह सिखाता है कि अत्यधिक ज्ञान भी विनाश का कारण बन सकता है, यदि उसमें विनम्रता का दीपक न जले।

ज्ञानं हि परमं बलं, अहंकारो हि मृत्युना समानः।

✍️ निष्कर्ष —

रावण विज्ञान का सबसे मानवीय अध्याय

  1. रावण वह दर्पण है जिसमें मानव की श्रेष्ठता और सीमा दोनों साथ दिखती हैं। वह हमें सिखाता है कि सत्य केवल देवत्व में नहीं, बल्कि असुरता की छाया में भी छिपा होता है।
  2. रावण गिरा नहीं — उसने अहंकार को जलाकर अमरत्व प्राप्त किया।


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