इड़ा नाड़ी के असंतुलन से नींद न आने की बीमारी होने लगती है! जाने तीन नाड़ियों और त्रिदोषों का तांत्रिक रहस्य

  1. राहुकाल, त्रिकोण शिवलिंग और नाड़ी संतुलन! राहु का नींद से गहरा नाता है! राहु का ध्यान जल्दी गहरी नींद लता है! नींद व सफलता का तांत्रिक रहस्य जानकर आश्चर्य से भर जाएँगे!

  1. भारत में ९९ फ़ीसदी लोग अपने मन की मर्जी से चलकर भयंकर रूप से प्रताड़ित और परेशान हैं! आज हिन्द के लोगों को समय पर नींद नहीं आने से अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है!
  2. हर नार पहले ही नारियों से पीड़ित है! हालाँकि स्त्री को भी अच्छे मिस्ट्री नहीं मिल पा रहे! ये लोग न दिन में सकूँ देते हैं और रात में भी संग सोकर भी पलंग पर ढेर होकर पद जाते हैं!
  3. नारी का मन होता है कि मेरा पति मेरे स्तन को सहलाए! प्यार करे! लेकिन लिंग में ताक़त न होने से ठीक से शीलभंग नहीं कर पाते उन्हें तीन महीने Bferal कॉम्बो लेना हितकर होगा!
  4. अमृतम कालसर्प विशेषांक, आयुर्वेदिक नाड़ी विज्ञान, brainkey.in और राहु रहस्य में गहराई से बताया गया है। नींद का संबंध केवल मन या विचारों से नहीं, बल्कि विशिष्ट नाड़ियों के संतुलन या अवरोध या बाधा से होता है। नींद लाने में बाधक प्रमुख नाड़ी- पिंगला नाड़ी

१. पिंगला नाड़ी- यह सूर्य नाड़ी कहलाती है!

  1. शरीर के दाहिने भाग में प्रवाहित होती है।इसका संबंध सूर्य, अग्नि, तामसिकता के अभाव और मानसिक उत्तेजना से है।जब यह नाड़ी अत्यधिक सक्रिय overactive हो जाती है, तो व्यक्ति को
  2. अधिक सोच, तनाव, गर्मी और अनिद्रा (Sleeplessness) का अनुभव होता है।
  3. संकेत- सोने से पहले दाहिनी नासिका से अधिक श्वास चलना (पिंगला सक्रियता)।शरीर में हल्की गर्मी, बेचैनी या चंचलता। मन में बार-बार विचारों का घूमना।

बायीं करवट लेकर सोना इससे इड़ा नाड़ी सक्रिय होती है।

•चन्द्रबोधन प्राणायाम यानि बायीं

Left नासिका से श्वास लेकर दाहिनी

Right नाक से छोड़ना चाहिए !

  1. चन्दन, गुलाब, ब्राह्मी, जटामांसी, शंखपुष्पी जैसे शीतल औषधियों का प्रयोग। या इनसे निर्मित brainkey Gold Malt सेवन करें!

२. इड़ा नाड़ी (Iḍā Nāḍī) नींद लाने वाली

  1. यह चन्द्र नाड़ी है! शरीर के बाएँ भाग से प्रवाहित। इसका संबंध चन्द्र, शांति, विश्राम और निद्रा से है।
  2. जब इड़ा सक्रिय होती है, शरीर शांत, शीतल और गहरी नींद के लिए तैयार होता है। चरक सहिंता अनुसार

इडा प्रवृत्ते च शयनीयं भवति।

  1. जब इड़ा नाड़ी सक्रिय होती है, तब सोना शुभ होता है।
  2. ३. सुषुम्ना नाड़ी यानि ध्यान की नाड़ी यह रीढ़ की मध्य रेखा में बहती है।
  3. यह जागरण और समाधि दोनों की अवस्था लाती है, लेकिन सामान्य नींद में इसका अत्यधिक प्रवाह बाधक बन सकता है। क्योंकि यह मानसिक सक्रियता और चैतन्यता बढ़ा देती है।

इडा चन्द्रस्वभावा स्यात्, पिंगला सूर्यसंयुता।

निद्रायाः कारणं चन्द्रः, तस्मात् इडा प्रबोधिनी॥

  1. अर्थात-इड़ा नाड़ी चन्द्र के समान शीतल है, पिंगला सूर्य के समान। नींद का कारण चन्द्र है, इसलिए इड़ा नाड़ी के प्रवाह से निद्रा आती है।

नाड़ी का नाम- प्रवृत्ति - नींद पर प्रभाव

पिंगला (सूर्य) गर्म, सक्रिय नींद में बाधक

इड़ा (चन्द्र) शीतल, शांत। नींद लाने वाली

सुषुम्ना मध्य, ध्यानात्मक जागरण या समाधि जैसी अवस्था

  1. नींद, नाड़ी और राहु का रहस्य! चमत्कारी योग! इड़ा नाड़ी और राहु का संबंध
  2. राहु ग्रह का संबंध अधोमुख चन्द्र तत्त्व और इड़ा नाड़ी से है। राहु नाड़ी को शांति, ठहराव और मनोबल देता है, यदि उसकी ऊर्जा संतुलित रूप में ग्रहण की जाए।
  3. अतः राहुकाल में ध्यान, दीपदान या शिव पूजन करने से इड़ा नाड़ी सक्रिय होती है, जिससे तनाव घटता है, नींद गहरी होती है, और मन स्थिर होता है।

राहुः चन्द्रस्वभावोऽपि, नाड्याः इडायाः अधिपः स्मृतः।

  1. राहु का स्वभाव चन्द्रमय है! वह इड़ा नाड़ी का अधिपति माना गया है। ( राहुतंत्र, अध्याय ३)
  2. त्रिकोण पार्थिव शिवलिंग का रहस्य (Tantra-Based Vedic Secret)
  3. रुद्रयामल तंत्र और शिवतंत्रसार में कहा गया है —
  4. त्रिकोण पार्थिव लिंग (मिट्टी से बना त्रिकोण आकार का शिवलिंग) रहस्यमयी नाड़ी-तंत्र को संतुलित करने वाला शिवरूप माना गया है।
  5. त्रिकोण का तीन कोण प्रतीक हैं 
  6. इड़ा (चन्द्र नाड़ी)
  7. पिंगला (सूर्य नाड़ी)
  8. सुषुम्ना (मध्य नाड़ी)
  9. जब मिट्टी (पृथ्वी तत्व) से बना त्रिकोण शिवलिंग राहुकाल में अभिषिक्त किया जाता है, तो यह तीनों नाड़ियों का समन्वय कर देता है! जिससे मन की अशांति, नींद की कमी, चिंता, भय और नकारात्मक ऊर्जा मिटती है।

राहुकाल में Raahukey तेल से दीपदान के अद्भुत फायदे

ग्रंथ संदर्भ:

  1. राहुतंत्र अध्याय ५,
  2. शिवरहस्य तंत्र खंड २,
  3. कालसर्प विज्ञान सार
  4. जब राहुकाल में Raahukey तेल जो राहु तत्व जैसे - तिल, सरसों, जटामांसी, अनंतमूल, कर्पूर, नील कमल अर्क से सिद्ध होता है से दीपक जलाया जाता है, तब राहु दोष और मानसिक व्यग्रता दूर होती है।
  5. राहु का तामसिक प्रभाव शांत होकर इड़ा नाड़ी सक्रिय करता है। मन स्थिर होता है और नींद स्वाभाविक रूप से आने लगती है।
  6. नकारात्मक विचार और अनिद्रा नष्ट होती है।
  7. राहु की छाया मन पर नहीं टिकती; गहरी निद्रा और मानसिक तृप्ति मिलती है। पितृ प्रसन्नता और पूर्वजों की कृपा मिलती है।

  1. अथर्ववेद (पितृसूक्त) में कहा गया है 
  2. दीपेन पितरः तृप्ताः भवन्ति। दीपक से पितर संतुष्ट होते हैं।
  3. गुप्त रोग, तनाव और भय का क्षय होता है।
  4. शिवपुराण के अनुसार, राहु काल में शिव की उपासना मन की नाड़ियों को विश्राम देती है।
  5. प्राचीन वैदिक निष्कर्ष

राहुकाले शिवं ध्यात्वा, त्रिकोणलिङ्गमभ्यर्चयेत्।

दीपैः तिलसिद्धैः पूज्ये, निद्रा शान्तिश्च जायते॥

रुद्रयामल तंत्र, अध्याय ११

  1. अर्थात-जो व्यक्ति राहुकाल में मिट्टी के त्रिकोण शिव मंदिर या घर, दुकान, फैक्ट्री में तेल के दीपक जलाता है, उसे गहरी नींद, मानसिक शांति और दुर्भाग्य से मुक्ति प्राप्त होती है।
  2. राहुकाल, त्रिकोण पार्थिव शिव प्रतीक और नाड़ी नींद और मानसिक शांति का वैदिक रहस्य
  3. राहुकाल के समय ध्यान, मिट्टी से बने त्रिकोण शिव प्रतीक और दीपक जलाने से नाड़ियों का संतुलन बढ़ता है। आयुर्वेद व नाड़ी-विज्ञान के अनुसार यह अभ्यास नींद, मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा में सहायक है।

1. राहुकाल: मन की छाया और शांति का समय

  1. भारतीय ज्योतिष और आयुर्वेद दोनों में राहुकाल को अंतर्मन की परीक्षा का समय माना गया है। यह वह समय होता है जब मन में अनचाहे विचार, अस्थिरता या बेचैनी अधिक रहती है। लेकिन यही समय ध्यान, प्राणायाम, या शांत साधना के लिए सबसे उपयुक्त भी होता है, क्योंकि इस समय मन की गहराई तक पहुँचना आसान होता है।

राहुकाले मनःशान्तिर्भवति ध्यानेन संयता।

राहुकाल में ध्यान करने से मन शांत होता है(शिवरहस्य ग्रंथ)

त्रिकोण पार्थिव शिव प्रतीक का रहस्य

  1. मिट्टी से बना त्रिकोण आकार का शिव प्रतीक (त्रिकोण लिंग) केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि नाड़ी-विज्ञान का भौतिक रूप भी माना गया है।त्रिकोण के तीन कोण दर्शाते हैं!
  2. इड़ा नाड़ी → चन्द्र, शीतलता और नींद
  3. पिंगला नाड़ी → सूर्य, सक्रियता और जागृति
  4. सुषुम्ना नाड़ी → संतुलन, ध्यान और एकाग्रता जब व्यक्ति ध्यानपूर्वक इस त्रिकोण रूप शिव प्रतीक के सामने बैठता है, तो उसका ध्यान तीनों नाड़ियों को संतुलित करता है — जिससे तनाव घटता है, नींद सुधरती है, और मन स्थिर होता है।

मिट्टी और दीपक- पृथ्वी व अग्नि तत्व का संतुलन

  1. आयुर्वेद के अनुसार मिट्टी (पृथ्वी तत्व) स्थिरता और ठहराव का प्रतीक है, जबकि दीपक (अग्नि तत्व) जागरूकता और ऊर्जा का।दोनों का संयोजन शरीर और मन में सामंजस्य लाता है।

पृथ्वी स्थैर्यं ददाति, अग्निः तेजः प्रबोधयेत्।

उभयं संयमं याति, यत्र मनो विश्राम्यति॥ (तत्त्वमुक्तावली)

  1. अर्थात, जब मिट्टी और दीपक का संतुलन होता है, तो मन अपनी प्राकृतिक विश्रामावस्था (Deep Sleep Mode) में लौट आता है।

दीपक का प्रकाश और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

  1. राहुकाल के समय दीपक जलाना अंधकार पर चेतना का प्रतीक है। प्रकाश के प्रति ध्यान केंद्रित करने से मस्तिष्क की पीनियल ग्रंथि सक्रिय होती है, जो मेलाटोनिन हार्मोन (नींद लाने वाला रसायन) को नियंत्रित करती है। इसलिए दीपक केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि स्लीप थेरेपी (Sleep Therapy) का प्राकृतिक रूप है।

इड़ा नाड़ी सक्रिय करने के वैदिक उपाय

  1. नींद लाने के लिए आवश्यक है कि इड़ा नाड़ी (चन्द्र नाड़ी) सक्रिय हो। यह शरीर के बाएँ भाग में प्रवाहित होती है।

सरल वैदिक उपाय

  1. सोने से पहले बायीं करवट लेकर लेटना।
  2. चन्द्रबोधन प्राणायाम – बायीं नासिका से धीरे-धीरे श्वास लेना, दाहिनी से छोड़ना।
  3. कुछ क्षण मिट्टी के शिव प्रतीक के सामने दीपक के प्रकाश को देखकर ध्यान करना! इन तीनों क्रियाओं से पिंगला (सूर्य नाड़ी) शांत होती है और इड़ा नाड़ी जागृत होती है! परिणामस्वरूप मन विश्रांत और नींद स्वाभाविक बनती है।

इडा चन्द्रस्वभावा स्यात्, पिंगला सूर्यसंयुता।

रात्रौ चन्द्रनियुक्तेन मनः शान्तिं प्रयच्छति॥ (नाडीसूत्र संग्रह)

  1. चन्द्रस्वरूप इड़ा नाड़ी रात में सक्रिय होने पर मन को शांति और विश्रांति प्रदान करती है। ध्यान, दीपक और धरती: नींद की त्रिवेणी है!
  2. राहुकाल में शांत ध्यान, मिट्टी से बने शिव प्रतीक और दीपक का संयोजन वास्तव में मनोवैज्ञानिक और वैदिक दृष्टि से तनाव-मुक्ति, नींद सुधार और मानसिक पुनःस्थापन का एक सुंदर माध्यम है। यह कोई तांत्रिक रहस्य नहीं, बल्कि आयुर्वेद, नाड़ीविज्ञान और ऊर्जा-संतुलन की प्राचीन भारतीय परंपरा का हिस्सा है।

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