अमृतम रावण रहस्य विशेषांक ४० सालों का सतत संघर्ष और अध्ययन
- रावण संहिता में ग्रह-तंत्र और आयुर्वेदिक ज्योतिष का रहस्य (Ravana Samhita and Astro-Ayurveda Science | Planetary Healing by Ravana)
- पाठकों को पढ़ने के साथ- साथ चिंतन, मंथन कर परम शिवभक्त दशानन को न्याय भी दिलाना होगा! ताकि भारत से राहु यानी मुस्लिमों का प्रकोप कुछ कम हो सके!
- भारत के आध्यात्मिक विद्वान और धर्म से जुड़े कथावाचक ये सब हिंदू धर्म के रक्षक तथा सम्मान बढ़ाने वाली आत्माएं हैं! इन्होंने तुलसीदास की श्रीरामचरित मानस के अलावा रावण के रहस्यमयी विज्ञान की तरफ़ देखा ही नहीं! न कोई अध्ययन, अनुसंधान किया!
- भिण्ड मुरैना की कहावत है कि जब पादने से ही कम चल जाए, तो हिंगने कौन जाये! इन धर्माचार्यों को केवल पैसा-प्रसिद्धि और पैर छुवाई तक ही मतलब रहा और रावण को कोसकर महापाप के भागी हुए! क्योंकि रावण राहु के स्वाति नक्षत्र में जन्मे थे! रावण का अपमान सीधे तौर पर राहु और शिवजी की बेइज्जत है!

ग्रहा न केवल गगनस्थिताः, किंतु शरीरस्थाः अपि।— रावण संहिता
- रावण केवल ग्रहों का ज्ञाता नहीं था —वह ग्रहों की भाषा समझने वाले त्रिकालदर्शी ऋषि थे! दशानन ने कहा था —ग्रहों को पूजा नहीं, संवाद चाहिए।
और शायद यही कारण है कि आज भी रावण की ज्योतिष दृष्टि विज्ञान की सीमाओं से आगे जाकर मानव आत्मा को छूती है।

- जब आधुनिक विज्ञान ग्रहों की दूरी माप रहा था, रावण पहले ही यह सिद्ध कर चुका था कि —सभी नवग्रह ग्रह शरीर के भीतर भी निवास करते हैं।
- रावण का यह “ग्रह-तंत्र” केवल ज्योतिष नहीं था, यह आयुर्वेदिक कॉस्मिक साइंस का आरंभ था।

- 🔯 1. ग्रह और शरीर के ऊर्जा केंद्र (Chakra Mapping by Ravana)

ग्रहाः न केवल फलदाताः, किंतु चेतनानुशासकाः अपि।-रावण
🌗 2. राहु और केतु – अदृश्य परंतु प्रबल ऊर्जा केंद्र
रावण ने राहु और केतु को केवल “छाया ग्रह” नहीं कहा, बल्कि उन्हें मन और आत्मा के इंटरसेक्शन पॉइंट” बताया। उसने लिखा —
- राहुः संशोधनकारी, केतु ज्ञानप्रदाता। राहु मानसिक जाल को काटने वाली तंत्रशक्ति है —वह भ्रम से मुक्ति देता है। केतु आध्यात्मिक एकाग्रता का प्रतीक है — वह आत्मा को ईशत्व की ओर ले जाता है।
🔮 वैज्ञानिक दृष्टि:
- राहु और केतु वास्तव में लूनर नोड्स हैं —जहाँ पृथ्वी, चंद्र और सूर्य की कक्षाएँ मिलती हैं। रावण ने इन्हें मानव मस्तिष्क के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध से जोड़ा था!
🌿 3. आयुर्वेदिक ज्योतिष – शरीर में ग्रहों का उपचार
रावण ने कहा —ग्रहविकाराः औषधिभिः शम्यन्ते।
- अर्थात्, ग्रह दोषों का निवारण औषधि और आहार से संभव है।

🔥 4. ग्रहों का तंत्र-संतुलन – ‘अष्टदीप विधि’
- रावण ने दीपक को “जीवदीप” कहा।उसकी अष्टदीप विधि में हर ग्रह के लिए एक विशेष तेल और दिशा बताई गई —

💫 5. रावण का ज्योतिष – जहाँ ग्रह मनुष्य के भीतर रहते हैं रावण के अनुसार मानव शरीर ही ब्रह्मांड का प्रतिरूप है।
- अर्थात् —सूर्य हमारे भीतर हृदय बनकर धड़कता है, चंद्र मस्तिष्क में कल्पना बनता है, राहु स्वप्नों का निर्माता है, और शनि धैर्य का प्रहरी। यह दृष्टिकोण आज के Holistic Healing & Astrotherapy का आधार है!
रावण संहिता में ग्रह-तंत्र और आयुर्वेदिक ज्योतिष – दुर्लभ वैज्ञानिक दृष्टि से रहस्य
Meta Description:
रावण संहिता में ग्रह और शरीर के ऊर्जा केंद्रों का अनोखा संबंध बताया गया है।
जानिए कैसे रावण ने ग्रह दोषों का उपचार औषधि, दीपक और तंत्र से संभव बताया।
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