दीपावली की रात अगर दीपक सही दिशा में जल गया,तो दरवाज़े से पहले ही दरिद्रा मुड़कर भाग जाती है। यह सिर्फ़ पूजा नहीं ऊर्जा को निर्देशित करने की एक सटीक प्रक्रिया है। जहाँ दीपक, ध्वनि और सुगंध एक साथ सक्रिय होते हैं — वहाँ महालक्ष्मी ठहर जाती हैं।
- दक्षिण दिशा में दीपक क्यों जलाते हैं? राहुकाल, ऊर्जा विज्ञान और महालक्ष्मी तंत्र का रहस्य! दीपक, ध्वनि और सुगंध से बनता है धन का चुंबक! छोटी दीपावली का शक्तिशाली अनुष्ठान!
- छोटी दीपावली १९ अक्टूबर महालक्ष्मी को घर में स्थायी रूप से विराजित करने का दिव्य विज्ञान और शास्त्रीय रहस्य अमृतम पत्रिका ग्वालियर से साभार
छोटी दीपावली का Real Power Code
- सिर्फ पूजा नहीं ऊर्जा को निर्देशित करने की प्रक्रिया है। 16 पूजन सामग्री = 16 एनर्जी सेंसर! दक्षिण दिशा का दीपक = धनलक्ष्मी का दरवाज़ा!शंख की ध्वनि + कपूर की सुगंध से रोग विकार, तनाव जैसे नकारात्मकता का विसर्जन! इसलिए कहते हैं दीपावली की रात दरवाज़ा खोलकर नहीं, दीपक जलाकर श्री महालक्ष्मी को बुलाओ।
- आज का दिन केवल रोशनी का नहीं! आर्थिक तंगी, रोग, तनाव और परेशानियों को दूर भगाने का शुभ अवसर भी है।
- छोटी दीपावली को शास्त्रों में विशेष शुभ मुहूर्त माना गया है, जब छोटी दीपावली, पितृ शिवरात्रि और नरक चौदस जैसे पावन पर्व एक साथ मिलते हैं। इस दिन किया गया लक्ष्मी पूजन हर प्रकार की दरिद्रता को मिटाकर समृद्धि का स्थायी द्वार खोलता है।
श्रीमहालक्ष्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि।
हरप्रिये नमस्तुभ्यं नमो कमलवासिनि॥ (श्रीयंत्र रहस्य)
- संपूर्ण ब्रह्मांडों के देवताओं, ग्रहों की की अधिष्ठात्री हैं। कृपा कर मेरे घर में स्थायी निवास करें।
- प्रातः की प्राचीन पूजा परम्परा प्रक्रिया और दरिद्रा निवारण का पारंपरिक उपाय
- स्नान से पहले नीम की दातून करें। अपामार्ग बूटी को सात बार अपने ऊपर से घुमाकर घर के बाहर फेंकें।माना जाता है — इससे महालक्ष्मी की ज्येष्ठ बहन दरिद्रा घर से विदा होती है।
- दरिद्रा निवारण का कण्ठ सूत्र! अपामार्ग और नीम की तांत्रिक क्रिया
- सुबह स्नान से पूर्व नीम की दातुन और अपामार्ग से शरीर के चारों ओर सात बार घुमाकर बाहर फेंकना केवल परंपरा नहीं, एनर्जी कटिंग तकनीक है। इससे शरीर से नकारात्मक तरंगें अलग होकर बाहर चली जाती हैं, जिससे दरिद्रा ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती।
राहु काल का रहस्य
- शाम 4:30 से 6:00 बजे तक के समय राहुकाल में 5 चौमुखी दीपक में Raahukey Oil भरकर दीपक को दक्षिण दिशा में जलाएं। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता दूर होकर लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
शास्त्र और विज्ञान का संगम
- दीपक की लौ और शंख-घंटी की ध्वनि से उत्पन्न कंपन बनाते हैं। एंटीबेक्टिरियल सुगंधित धूप और कपूर वातावरण को प्रभाव से शुद्ध करते हैं। मौली और कलश ऊर्जा का स्थिर संचार बनाते हैं। यह सब मिलकर एक ऐसा ऊर्जात्मक क्षेत्र बनाते हैं जो दरिद्रता को दूर और महालक्ष्मी की उपस्थिति को स्थायी करता है।
- छोटी दीपावली केवल दीयों की रोशनी नहीं, यह आध्यात्मिक जागरण और आर्थिक उन्नति का आरंभ है। आज के दिन का हर छोटा सा पूजा कर्म दरिद्रता मिटाने और समृद्धि लाने वाला दिव्य विज्ञान है।
- जहाँ दीप जलते हैं, ध्वनि गूंजती है, सुगंध फैलती है और हृदय से ह्रीं मंत्र गूंजता है वहाँ दरिद्रा ठहर नहीं सकती।
- रहस्यमयी अनुष्ठान- दक्षिण दिशा में दीपक क्यों जलाया जाता है?
- छोटी दीपावली पर 5 चौमुखी दीपक को Raahukey Oil से भरकर दक्षिण दिशा में जलाना कोई साधारण क्रिया नहीं है। दक्षिण दिशा पितृ दिशा कहलाती है। इस दिशा में दीपक जलाने से पितृ ऊर्जा स्थिर होती है। यही स्थिरता घर में धन की जड़ें जमाती है।
- RAAHUKEY OIL से प्रज्वलित चौमुखी दीपक का हर मुख चार दिशाओं की धन तरंगों को खींचकर घर में स्थापित करता है।
- श्रीमहालक्ष्मी पूजन की 16 दिव्य सामग्री और उनका वैज्ञानिक-धार्मिक गुप्त रहस्य, जो घर को बनाता है धन आकर्षण केंद्र
- महालक्ष्मी पूजन की थाली में रखी हर वस्तु सिर्फ़ प्रतीक नहीं, यह शास्त्र और विज्ञान दोनों का अद्भुत संगम है! आमतौर पर लोग थाली में पूजा सामग्री रखते हैं, लेकिन आज आप जानेंगे-इन 16 वस्तुओं में छिपे हैं ऐसे संकेत, जो आपके घर को ऊर्जा का चुंबक बना सकते हैं।
- आसन — स्थिरता और एकाग्रता का आधार। जिस पर बैठकर पूजा करने से मानसिक तरंगें संतुलित होती हैं। यह केवल बैठने का नहीं, बल्कि ऊर्जा ग्रिड है। जिस पर बैठने से शरीर की बायोइलेक्ट्रिक तरंगें स्थिर होती हैं
- गंगाजल — पवित्रता का प्रथम स्पर्श। इसमें रोगाणुनाशक गुण होते हैं, जो मन और स्थान दोनों को निर्मल बनाते हैं।
- कलश, नारियल व आम्रपल्लव आदि के बंदनवार- ब्रह्मांडीय ऊर्जा का जीवंत रूप। इसके अंदर और ऊपर (नारियल व आम्रपल्लव) से ‘सत्-रज-तम’ का समन्वय होता है। सृष्टि और ऊर्जा का प्रतीक। जीवन की अखंडता का संकेत।
- अक्षत (चावल)- ये घर के धन संकेतक की तरह काम करता है। जितनी स्वच्छ नीयत से अर्पण करेंगे, उतनी तरंगें आपके जीवन में लौटेंगी। अखंडता और समृद्धि का प्रतीक। जीवन में निरंतरता और पूर्णता का संदेश।
- कुमकुम / हल्दी — सौंदर्य और शक्ति का संगम। रंगों की ऊर्जा मन में सकारात्मकता जगाती है। यह सिर्फ़ रंग नहीं, माइक्रो वाइब्रेशन कैचर है। कुमकुम में ‘फेरिक ऑक्साइड’ और हल्दी में ‘करक्यूमिन’ होता है जो नकारात्मकता सोखता है।
- सिंदूर — स्त्रीशक्ति, समर्पण और मंगल का प्रतीक। आध्यात्मिक रूप से ऊर्जा को स्थिर करता है। मस्तिष्क के ‘अजना चक्र’ को एक्टिवेट करता है, जिससे संकल्प मजबूत होता है।
- दीपक — अंधकार में ज्ञान का प्रकाश। लौ का कंपन वातावरण में शुभ तरंगें फैलाता है। लौ में तीन स्तर की ऊर्जा होती है: ताप (शक्ति), प्रकाश (बुद्धि), और कंपन (संरक्षण)।
- धूप / अगरबत्ती / कपूर — सुगंध मन को स्थिर करती है और रोगाणु नाश करती है। कपूर जलने पर हवा में ‘कैंफर वाष्प’ बनती है, जो वाइरस और बैक्टीरिया को नष्ट करती है और वातावरण हल्का करती है।
- पुष्प या फूल -भक्ति की कोमल अभिव्यक्ति। फूलों की तरंगें हार्मोनिक रेज़ोनेंस उत्पन्न करती हैं। फूल ऊर्जा को संचारित नहीं करते, बल्कि फैलाते हैं। लक्ष्मी साधना में फूल तरंगों को बाहर की दिशा में धकेलते हैं।
- नागबल्ली यानि पान और सुपारी — सम्मान और स्वागत का प्रतीक। पूजा में पूर्णता और आदर का भाव जगाता है।पारंपरिक ऊर्जा द्वार खोलने का प्रतीक। घर में समृद्धि के चैनल एक्टिवेट करता है।
- फल-कृतज्ञता से अर्पण किया गया फल ऊर्जा को कर्मफल में बदलता है। श्रम और कृतज्ञता का प्रतीक। कर्म के प्रतिफल को देवी के चरणों में अर्पित करना।
- मिठाई / नैवेद्य — प्रसन्नता और साझा करने की परंपरा। एंडॉरफिन बढ़ाकर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। एंडॉरफिन और सेरोटोनिन बढ़ाता है यानी आप पूजा में खुद को महालक्ष्मी ऊर्जा से जुड़कर सामंजस्य करते हैं।
- धान्य (गेहूं/चावल) यह धन नहीं, बल्कि धारण शक्ति का प्रतीक है। धन को टिकाए रखने की क्षमता इसी में है। अन्नपूर्णा का आशीर्वाद। जीविका और समृद्धि का शाश्वत प्रतीक।
- सिक्के, धन (सोना-चांदी)-धातुएं ऊर्जा को रिफ्लेक्ट करती हैं। इसलिए पूजन में इन्हें रखा जाता है। श्री महालक्ष्मी का तेजस्वी रूप। धन में धर्म और संयम का संदेश समेटे हुए।
- शंख / घंटी — शुभ नाद। ध्वनि तरंगों से नकारात्मकता दूर होती है और कंपन शुद्ध होते हैं। 432 Hz से 528 Hz के बीच की ध्वनि तरंगें निकालते हैं। ये वही तरंगें हैं जो महालक्ष्मी के आवाहन मंत्रों से मेल खाती हैं।
- मौली / कलावा — संरक्षण और संकल्प की डोर। मनुष्य और देवी के बीच ऊर्जा का सूत्र। यह संकल्प को बांधता है, और ऊर्जा को सील करता है। यानी जो बुलाया गया, अब वो घर में ही रहेगा।
लक्ष्मी- महालक्ष्मी का रहस्य और फर्क, अंतर जाने-
- कहते हैं लक्ष्मी चलायमान है! इसलिए उसे रोकना कठिन है।लेकिन महालक्ष्मी तंत्र और श्रीयंत्र रहस्य के अनुसार सभी अष्टलक्ष्मी शिव की शक्तियां हैं! ये एक बार आने पर जोड़ी विदा नहीं होतीं और स्थाई रूप से निवास करती हैं! —
- अघोर तंत्र कहता है जहाँ प्रकाश, ध्वनि और सुगंध एक साथ सजीव हों, वहाँ लक्ष्मी ठहर जाती है।
- प्रकाश = दीपक
- ध्वनि = शंख/घंटी
- सुगंध = धूप-कपूर! ये तीनों मिलकर एक एनर्जी रिंग बनाते हैं, जो लक्ष्मी ऊर्जा को घर में बांध लेती है।
- विशेष रहस्य: सिक्के या चांदी के साथ 1 एक चुटकी अक्षत क्यों रखें? क्योंकि अक्षत में स्थिर तरंगें होती हैं और धातु में परावर्तक गुण। इन दोनों के मेल से एक ऐसा एनर्जी कूप बनता है जो धन तरंगों को बाहर जाने नहीं देता।यही कारण है कि तिजोरी में चावल और सिक्के साथ रखे जाते हैं।
दीपज्योतिः समायुक्ता, ध्वनिः पुष्पगंधयुता।
दक्षिणायां प्रतिष्ठिता, धनलक्ष्मिः सदा स्थिता॥
- जहाँ दीपक की ज्योति, ध्वनि और पुष्प-सुगंध एक साथ दक्षिण दिशा में प्रतिष्ठित हों, वहाँ धनलक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं।
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