सफलता बढ़ाने का वैदिक रहस्य। राहु काल शिवलिंग निर्माण, अष्ट सिद्धि साधना, त्रिकोण शिवलिंग लाभ, राहु काल पूजा, शिव सिद्धि रहस्य राहु काल का अर्थ है- रहस्य और परिवर्तन का समय!

  1. राहु काल में ध्यान और मिट्टी से निर्माण माइंडफुल एक्टिविटी के रूप में काम करता है
  2. सेरोटोनिन और डोपामिन हार्मोन बढ़ाता है! मन को अल्फा ब्रेनवेव्स की अवस्था में लाता है। मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। राहु काल में त्रिकोण शिवलिंग निर्माण: अष्ट सिद्धि और सफलता का रहस्य
  3. जानिए राहु काल में त्रिकोण पार्थिव शिवलिंग बनाने की दुर्लभ आयुर्वेदिक-तांत्रिक विधि। अष्ट सिद्धि प्राप्त करने और जीवन में
  4. यदि इस समय में श्रद्धा और अनुशासनपूर्वक त्रिकोण पार्थिव शिवलिंग निर्माण किया जाए, तो अष्ट सिद्धियों के साथ भविष्य में अप्रत्याशित सफलता निश्चित प्राप्त होती है।

शिवं विना न सिद्धिर्भवति, शिवं विना न शान्तिः।शिव पुराण

  1. राहु काल में अष्ट सिद्धि त्रिकोण शिवलिंग पार्थिव निर्माण का रहस्य

भय, तनाव और मानसिक भ्रम दूर होकर

निर्णय शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि और

आर्थिक स्थिरता और कार्यक्षेत्र में तेजी से

उन्नति तथा तंत्र-सिद्धि, ध्यान-सिद्धि, और

करियर में चमत्कारी सफलता के लिए

शिवे रुष्टे गुरुस्त्राता, गुरौ रुष्टे न कश्चन।

तस्मात् शिवं सदा ध्यायेत्, सिद्धिर्भवति निश्चितम्॥

स्रोत: brainkey.in | amrutampatrika.com

यत्र शिवो तत्र सिद्धिः, यत्र भक्ति तत्र मुक्तिः

त्रिकोणं पार्थिवं लिङ्गं, राहुकाले विशेषतः।

यः निर्माति विधानेन, सिद्धिः तस्य न संशयः॥

अर्थात -जो व्यक्ति राहु काल में श्रद्धा एवं

नियमपूर्वक त्रिकोणाकार पार्थिव शिवलिंग

का निर्माण करता है, उसे अष्ट सिद्धियाँ एवं

अथाह सफलता प्राप्त होती है।

राहु काल क्यों विशेष माना गया है?

राहु एक छाया ग्रह है, जो माया, रहस्य, तंत्र,

अदृश्य ऊर्जा और सफलता के अप्रत्याशित

मार्गों का प्रतीक है।

वैदिक ज्योतिष अनुसार राहुकाल में शिवलिंग

निर्माण व्यक्ति की अवचेतन दिव्य एवं अष्ट

सिद्धि-शक्तियों को जाग्रत कर देता है।

राहु कालं न भयेत्तत्र, शिवं ध्यायेत् स सर्वदा।

रौद्र रूपे महादेवो, रक्षते साधकं सदा॥

अष्ट सिद्धियाँ क्या हैं?

शिव पुराण और योगशास्त्र में वर्णित आठ दिव्य शक्तियाँ जो साधक को मिल सकती हैं

1. अणिमा: सूक्ष्म रूप धारण करने की क्षमता

2. लघिमा: अत्यंत हल्का बनने की शक्ति

3. महिमा: विशालता प्राप्त करने की सिद्धि

4. गरिमा: भारीपन और स्थिरता की शक्ति

5. प्राप्ति: इच्छित वस्तु को प्राप्त करने की सिद्धि

6. प्राकाम्य: इच्छित वस्तु पाने की साकार शक्ति

7. ईशित्व: नियंत्रण और शासन करने की शक्ति

8. वशित्व: मन, तत्वों,परिस्थितियों पर अधिकार

अणिमा लघिमा चैव महिमा गरिमा तथा।

प्राप्तिः प्राकाम्यमीशित्वं वशित्वं चाष्ट सिद्धयः॥

अष्ट त्रिकोण पार्थिव शिवलिंग का रहस्य

सामान्य शिवलिंग गोलाकार होता है, परंतु

जब इसे त्रिकोण आकार में बनाया जाता है,

तब यह ऊर्जा त्रिकूट जगाकर इड़ा, पिंगला,

सुषुम्ना नाड़ी का संतुलन बनाता है। त्रिकोण

शिवलिंग में तीन प्रमुख ऊर्जा केंद्र सक्रिय होते हैं:

• ब्रह्मा ऊर्जा (सृजन शक्ति)

• विष्णु ऊर्जा (पालन शक्ति)

• महेश ऊर्जा (संहार शक्ति)

यह त्रिगुणात्मक शक्ति साधक को जीवन

के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करती है।

धन, स्वास्थ्य, यश, प्रेम, और आत्मसिद्धि।

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