सूर्य नमस्कार का विज्ञान- 12 मुद्राओं में सूर्य की दिव्य ऊर्जा और स्वास्थ्य का रहस्य क्या है?

  1. धर्म का विज्ञान-सूर्य नमस्कार! किरणों और 12 मुद्राओं में छिपी प्राण शक्ति, दिव्य ऊर्जा का रहस्य

जब धर्म, योग और विज्ञान मिलते हैं एक बिंदु शरीर, मन और आत्मा को जगाने वाला सूर्य

  1. सूर्य नमस्कार से जीवन की पूर्णता प्राप्त होती है! सूर्य नमस्कार केवल व्यायाम नहीं, बल्कि यह एक ध्यान, प्रार्थना और वैज्ञानिक संतुलन का पुल है। यह हमें याद दिलाता है कि सूर्य बाहर भी है और हमारे भीतर भी। जब 12 मुद्राओं में शरीर झुकता है, तो आत्मा प्रकट होती है और मन शांत हो जाता है।

सूर्यो ज्योतिर्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय॥– उपनिषद

  1. सूर्य नमस्कार केवल योग नहीं, यह ऊर्जा, विज्ञान और भक्ति का दिव्य संगम है। जब हाथ जुड़ते हैं, मस्तिष्क झुकता है और हृदय समर्पित होता है, तो मनुष्य केवल सूर्य को नहीं, अपने भीतर के तेज, बल और संतुलन को भी प्रणाम करता है। यही धर्म का विज्ञान है! सूर्य नमस्कार यानि किरणों और 12 मुद्राओं में शक्ति का संगम

नमस्ते अर्थात अभिवादन नहीं, न्यूरल ऊर्जा का विज्ञान

  1. जब हम हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं, तो यह केवल शिष्टाचार नहीं होता! बल्कि एक न्यूरो-साइंटिफिक एक्टिवेशन होता है।
  2. हथेलियों के प्रेशर पॉइंट्स पर हल्का दबाव हृदय और मस्तिष्क के बीच का न्यूरल कनेक्शन मजबूत करता है।
  3. सिर झुकाने से अहंकार का त्याग होता है,
  4. और हृदय की आवृत्ति (Heart Resonance) शांत होती है। यह मुद्रा ऑक्सिटोसिन हार्मोन को सक्रिय करती है, जिससे प्रेम, कृतज्ञता और आंतरिक संतुलन बढ़ता है।

नमः सूर्याय शश्वते तेजो रूपाय नमोऽस्तुते॥ (ऋग्वेद)

शरीर, मन और आत्मा का विज्ञान है -सूर्य नमस्कार

  1. सूर्य नमस्कार की 12 मुद्राएं, सूर्य के 12 नामों और 12 महीनों से जुड़ी हैं। हर मुद्रा सूर्य के अलग-अलग तेज और ऊर्जा केंद्र को जागृत करती है।

सूर्य की किरणें चिकित्सा का प्राचीन विज्ञान

  1. सूर्य केवल प्रकाश नहीं है! वह जीव ऊर्जा (प्राण) का स्रोत है।विटामिन D का निर्माण। नींद-जागरण चक्र (सर्केडियन रिद्म) का संतुलन। डोपामिन और सेरोटोनिन का स्राव जिससे मन प्रसन्न रहता है। हड्डियों, त्वचा और रक्त संचार का सुधार

सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च। यजुर्वेद (7/40)

यानी सूर्य सम्पूर्ण जगत का आत्मा है।

  1. प्रणामासन अर्थात सूर्य को प्रणाम करने से नम्रता, विनम्रता बढ़ती है! हस्तउत्तानासन से ऊर्जा ग्रहण! छाती व फेफड़ों का विस्तार होता है! पदहस्तासन से भूमि से जुड़ाव पाचन, रक्त प्रवाह सुधरता है! अश्वसंचलनासन से गति मानसिक सक्रियता! दंडासन से शक्ति बांह और रीढ़ की मजबूती! अष्टांग नमस्कार समर्पण से सातों चक्रों का जागरण होता है! भुजंगासन तेज और सूर्य की ऊष्मा जैसी जाग्रति! पर्वतासन से संतुलन मन व शरीर की स्थिरता से अश्वसंचलन पुनः समन्वय तथा स्नायु सुदृढ़ीकरण!
  2. पदहस्तासन से पुनः लचीलापन थकान का शमन होता है! हस्तउत्तानासन से उदय हृदय में ऊर्जा का उद्भव प्रणामासन कृतज्ञता, दिव्यता की वृद्धि!

सूर्य शक्ति का त्रिकोण विज्ञान, धर्म और ध्यान

विज्ञान – सूर्य किरणों से जीवन का संरक्षण

धर्म – सूर्य देव की उपासना से मन की शांति

ध्यान – सूर्य नमस्कार से आत्मा का तेज जागृत

असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। (बृहदारण्यकउपनिषद)

  1. सूर्य नमस्कार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है! बाहर के सूर्य से भीतर के चेतन सूर्य को जगाता है।

Comments

Popular posts from this blog

अमृतम रावण रहस्य विशेषांक ४० सालों का सतत संघर्ष और लेखन का परिणाम!

अमृतम ज्ञान

कॉमेडी की फैक्ट्री ब्रेन की चाबी