मङ्गल स्वामी कार्तिकेय : धरती के अदृश्य रक्षक! जहाँ महादेव बने दिव्य चिकित्सक! जाने वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का असली रहस्य! amrutam से साभार

  1. कार्तिकेय के छह मुख – जीवन के छह ऊर्जा द्वार और तमिलों के कडवुल भगवान मुरुगन की रहस्यमयी शक्ति”
  2. मङ्गल दोष से मुक्ति का रहस्य – छः मंदिरों की यात्रा! भूमि से ब्रह्म तक कार्तिकेय की मङ्गलमयी कथा
  3. क्यों दक्षिण की धरती है अधिक उपजाऊ? जानें कार्तिकेय सूत्र! मंगल का दंगल कैसे करें कम? शिवपुत्र का गूढ़ उपाय”
  4. षण्मुख देव : रक्त, भूमि और भाग्य के अधिपति मुरुगन ऊर्जा : जो मिटा दे कैंसर और अमंगल दोनों!
  5. भगवान कार्तिकेय भूमि स्वामी हैं! ये जगत के मांगकारक हैं! दक्षिण भारत में मोरगन स्वामी की ज़्यादा पूजा होने से वहाँ की धरती बहुत उपजाऊ है और वहाँ ज़मीनी विवाद कम ही होते हैं।

क्यों दक्षिण भारत की भूमि है अधिक उपजाऊ?

  1. दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की व्यापक पूजा होती है।इन्हें भूमि स्वामी कहा गया है और यही कारण है कि दक्षिण की धरती अधिक उपजाऊ, और वहाँ भूमि विवाद कम हैं। इसके विपरीत, उत्तर भारत में मङ्गल उपासना का अभाव भूमि-संबंधी क्लेशों का कारण बनता है।
  2. उत्तर भारत में भूमि को लेकर हमेशा खून ख़राबा होना आम बात है! amrutam पत्रिका, ग्वालियर से साभार!
  3. महादेव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय सदैव कुमारावस्था में रहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण और कार्तिकेय दोनों में बहुत समानता है।

भगवान कार्तिकेय मंगलस्वरूप धरती के रक्षक

  1. भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, स्कन्द या मोरगन स्वामी कहा जाता है, वे भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र और भूमि के अधिपति हैं। ज्योतिष के अनुसार ये मङ्गल (Mars) के स्वामी हैं अर्थात रक्त, मांस और मज्जा के नियंत्रक। जो व्यक्ति दूसरों का मङ्गल नहीं सोचता, उसमें अमंगल की वृत्ति बढ़ती है! यही नकारात्मकता कर्कट रोग यानि कैंसर का कारण मानी गई है!

मङ्गलं भगवान् कार्तिकेयं षण्मुखं भजे।

यः पापं हरते नित्यं, रोगं च व्यपनोदति॥

  1. अर्थात-जो कार्तिकेय की आराधना करता है, उसके समस्त रोग और दोष दूर हो जाते हैं।

भगवान कार्तिकेय केवल युद्ध देवता नहीं

  1. वे मङ्गल, भूमि, स्वास्थ्य और विवाह के अधिपति हैं। इनके छः मुख जीवन के छः आयामों का प्रतीक हैं! ज्ञान, बल, प्रेम, धर्म, आरोग्य और समृद्धि। इनके स्मरण से मंगल, मन और मर्म तीनों शुद्ध हो जाते हैं।
  2. तिरुमलय रहस्य नामक ग्रन्थ में यह उल्लेख है।प्रथ्वीपुत्र स्वामी कार्तिकेय ही मंगलनाथ हैं। भगवान कार्तिकेय मोरगन स्वामी द्वारारचित ग्रन्थ श्री स्कन्द महापुराण 18 पुराणों में सबसे बड़ा ग्रन्थ हैं।
  3. स्कन्धपुराण १६ खंडों-भागों में है। इसमें 84000 से भी अधिक भगवान शिव के स्वयम्भू शिवालय शिवमंदिरों का वर्णन है।

चमत्कारी ग्रन्थ है-स्कन्द पुराण

  1. ज्योतिष के चमत्कारी उपाय, ग्रह-नक्षत्रों को प्रसन्न करने वाले मन्त्र, पूर्व जन्म के दोषों की शान्ति, कालसर्प-पितृदोष का निवारण इस ग्रंथ स्कन्द पुराण में समाहित हैं।

हस्त रेखा के बारे में-

  1. स्कन्द पुराण में सामुद्रिक शास्त्र के बारे में बहुत ही रहस्यमयी तत्व छिपे हुए हैं। सामुद्रिक शास्त्र के रचयिता मोरगन स्वामी परम् गुरु भक्त कहलाते हैं। समुद्र इनके गुरु है, इन्होंने अपने गुरु ऋषि समुद्र से ही सामुद्रिक शास्त्र यानि हस्त रेखा विज्ञान के बारे में ज्ञान प्राप्त किया था, इसलिए इसे सामुद्रिक शास्त्र कहा जाता है।

भगवान कार्तिकेय के गुरु-

  1. ये परम् गुरु भक्त होने के कारण जहाँ भी समुद्र या महासागर स्थित हैं, कार्तिकेय के विशाल मंदिर अधिकांश वहीं मिलते हैं।

भोलेनाथ के पुत्र है-मंगल

  1. यह भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कहे जाते हैं, इनके 6 मुख हैं। इन 6 मुखों के दक्षिण भारत में अलग-अलग महाविशाल और प्राचीन मन्दिर हैं। यह शरीर में रक्त, मांस-मज्जा के कारक हैं। मङ्गल करने की भावना न होने से, किसी का बुरा सोचने तथा नकारात्मक विचार रखने और मङ्गल के कुपित होने से ही कैंसर अर्थात कर्कट रोग उत्पन्न होता है।

केंसर का कारक- मङ्गल

  1. ज्योतिष ग्रंथों की मान्यता है कि, जो लोग जीवन में किसी का मङ्गल नहीं करते, साथ ही अमंगल भी करते हैं, तो ऐसे जातक मङ्गल दोष एवं कर्कट रोग यानि कैंसर से पीड़ित होते हैं।
  2. दुनिया में जहां पर भी भगवान कार्तिकेय मङ्गल स्वामी के मंदिर हैं वहां अपार समृद्धि है। भगवान कार्तिकेय या मोरगन स्वामी भारत में तमिल लोगों के यह कुल देवता हैं।
  3. तमिलनाडु राज्य के रक्षक के रूप में इन्हें राजा की उपाधि प्राप्त है। तमिल के अधिकांश कार्तिकेय मंदिरों की देखभाल पर सरकार अरबों रुपए खर्च करती है। वार्षिक बजट में इनका धर्मादा कोष अलग से निश्चित रहता है।

षण्मुखं स्कन्ददेवं तं, मुरुगं मंगलं शिवम्।

दर्शनात् सर्वसिद्धिं च, ददाति नात्र संशयः॥

  1. अर्थात- षण्मुख कार्तिकेय के दर्शन से समस्त सिद्धियाँ और मंगल प्राप्त होते हैं।

भगवान कार्तिकेय 6 मुख के 6 अलग-अलग मन्दिर

  1. पहला पलनी तमिलनाडु में पलनी मुरुगन मंदिर– कोयम्बटूर से 100 km करीब यहां इनके हाथ मे एक दंड होने से इन्हें दण्डपति कहते हैं। दंडीस्वामी पंथ या परंपरा इनके द्वारा ही शुरू की गईं । ये शिष्य रूप में स्थित हैं ।
  2. दूसरा स्वामीमलय स्वामीमलय मुरुगन मंदिर कुम्भकोणम–जहां अपने पिता भगवान शिव को ॐ शब्द का रहस्य इनके पुत्र मुरुगन स्वामी ने बताया था। बाद में ब्रह्म, विष्णु आदि देवताओं कोॐ का रहस्य शिव से ज्ञात हुआ था! इस मंदिर में भोलेनाथ कार्तिकेय के शिष्य रूप में विराजमान हैं!
  3. तीसरा तिरुतनी, तिरुपति से 50 km तिरुतनी मोरगन स्वामी- यहां दूसरा विवाह हुआ था। यहां 365 सीढ़ियां हैं जो 365 दिन की प्रतीक हैं।
  4. अविवाहितों के लिए विशेष तिरुपति से करीब 60-70 km अविवाहित लोग पैदल चढ़कर जाए, तो अतिशीघ्र विवाह होता है । क्लेश कारक दाम्पत्य जीवन सुखमय हो जाता है । एक बार अवश्य जावें ।
  5. चौथा है- पजहामुद्रिचोलाई कार्तिकेय मन्दिर– मदुरै मीनाक्षी मन्दिर से करीब 25-,30 km है । दोनों पत्नियां साथ होने से यहाँ कार्तिकेय गृहस्थ रूप में पूजनीय हैं। गृहस्थ जीवन में क्लेश, विवाद या तलाक की नोबत आने पर इनके दर्शन से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है।
  6. पांचवा है- तिरुचँदुर तिरुचंदुर मुरुगन स्वामी– मदुरै से लगभग 155 km यह समुद्र किनारे बसा एक मात्र मंदिर है शेष सब 5 मंदिर पहाड़ी पर हैं। यहां भगवान कार्तिकेय एक योद्धा सेनापति रूप में विराजमान हैं ।
  7. छठवां है- तिरुप्परामकुंराम मोरगन स्वामी-मदुरै से कुछ ही दूरी पर लगभग 10-15 km मोरगन स्वामी मंदिर नाम से प्रसिद्ध है । यहां इंद्र की बेटी देवयानी से विवाह किया था । अविवाहित लोग यदि दर्शन करें, तो शीघ्र विवाह होता है।
  8. इस प्रकार भगवान कार्तिकेय के 6 मुखों के 6 अलग-अलग मंदिर हैं। ये सदैव सबका मङ्गल करने वाले धरती पुत्र मंगलनाथ भी हैं।
  9. कार्तिकेय के 6 मुख – मनुष्य के 6 तत्वों का प्रतीक इनके षण्मुख रूप का अर्थ 6 मंदिरों से नहीं, बल्कि 6 जीव-ऊर्जाओं से है:

ओरिजनल वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग -कार्तिकेय की तपस्थली

  1. बहुत कम लोग जानते हैं कि वास्तविक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत के वेदेहीश्वरं कोइल में स्थित है, न कि झारखंड में। यहीं भगवान कार्तिकेय ने त्वचा रोग से मुक्ति हेतु तप किया था। ये खोज रावण की नहीं है!
  2. भगवान शिव स्वयं वैद्य बनकर प्रकट हुए और उन्होंने कार्तिकेय को आरोग्य प्रदान किया! इसी कारण यह स्थान वैद्यनाथ कहलाया। यह मंदिर 5 किलोमीटर के विस्तार में फैला है, जहाँ 2000 से अधिक स्वयम्भू शिवलिंग, जटायु की समाधि, तथा अंगारक स्वामी मन्दिर स्थित हैं, जहाँ हर मंगलवार मङ्गल दोष निवारक पूजा होती है!
  3. भगवान शिव, तब इस पुण्य क्षेत्र में वैद्य बनकर आये थे। यह दुनिया का ऐसा एक मात्र शिवालय है जहां सभी नवग्रह एक ही सीध यानि लाइन में हाथ जोड़े खड़े हैं।
  4. यह स्थान इसलिए अद्वितीय है कि यहाँ सभी नवग्रह एक सीध में स्थित हैं, जो पृथ्वी की चुंबकीय रेखाओं (geomagnetic lines) से मेल खाती है। यह आधुनिक energy alignment temples का प्राचीन उदाहरण है।
  5. शिवलिंगों का अंबार-वेदेहीश्वरं कोइल शिव मंदिर में लगभग 2000 से अधिक शिंवलिंग अनेक देवी-देवताओं, ऋषि, सप्त ऋषियों- मुनियों द्वारा स्थापित हैं।
  6. जटायु की समाधि- इस मंदिर में ही जटायु का दाह संस्कार हुआ था। अंगारक स्वामी मंदिर दुनिया का एक मात्र दुर्लभ अंगारक मंदिर है। यहां पर हर मंगलवार को मङ्गल दोष निवारक पूजा करे जाती है, जिसमें 43 घण्टे का समय लग जाता है।

भोलेनाथ का भंडार-

  1. यह स्थान ज्योतिष की सप्त नाड़ी सहिंता, नन्दी सहिंता के लिए प्रसिद्ध है। यहां आसपास करीब 100 से अधिक स्वयम्भू शिंवलिंग और माँ काली के मंदिर जंगलों में हैं, जो दर्शनीय हैं।
  2. मंगल से पीड़ित, मांगलिक दोष से परेशान या विवाह में बढ़ा हो, तो एक बार जरूर जाएं
  3. मङ्गल दोष केवल विवाह में विलंब नहीं करता, बल्कि शरीर की अग्नि ऊर्जा को असंतुलित कर देता है! जिससे कैंसर, त्वचा रोग, रक्तदोष या गुस्सा बढ़ता है।
  4. मंगल का दंगल कैसे करें शांत?- जिनका विवाह नहीं हो पा रहा अथवा जिनका वैवाहिक जीवन अपूर्ण, अतृप्त, क्लेशकारक हो, उन्हें भगवान मुरुगन स्वामी ( कार्तिकेय) जिनके छः मुख के छः मंदिरों के दर्शन अवश्य करना चाहिए।

मंगल का दंगल कैसे करें कम

  1. मङ्गल शांति के उपाय जाने और अपनाएं। कुंडली में मांगलिक दोष दूर करने के लिए मॉर्गन स्वामी के छः मंदिरों के दर्शन करने के बाद तिरुपति बालाजी के करीब 4009 सीढ़ियों को पैदल चढ़कर दर्शन करें। ततपश्चात उज्जैन के मङ्गल नाथ पर भात पूजा, रुद्राभिषेक, कराएं । घर लौटकर गरीब कन्यायों को घर पर श्रध्दा पूर्वक भोजन करावें।अमृतम मधूपंचामृत और अनेक राहु दोष नाशक जड़ीबूटियों तथा बादाम जैतून,केशर, चन्दन से निर्मित राहु की तैल का मंगलवार को दुपहर 3.42 से 4.52 के बीच दीपदान करें यानी घर पर 9 दीपक जलावें। इस प्रयोग, प्रयास जीवन में चमत्कारी परिणाम करने में सहायक है। सभी प्रकार के अष्ट दरिद्र तथा भयंकर दुर्भाग्य दूर होकर सुख-सफलता, ऐश्वर्य में सहायक होगा।

तमिलों के कुल देवता कार्तिकेय

  1. तमिल लोग इन्हें कडवुल यानि तमिलों के देवता कहकर संबोधित करते हैं। श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि देशों में इनके बहुत प्राचीन और विशाल मंदिर हैं।

  1. भगवान कार्तिकेय के दो पत्नियाँ है। एक का नाम देवयानी, जो इन्द्र देव की पुत्री है। इन्हें देवसेना के नाम से भी पुकारा जाता है | दूसरी पत्नी वल्ली या कुर वल्ली यह भगवान विष्णु की पुत्री है।
  2. मुरुगन स्वामी की पहली पत्नी देवयानी से इनका विवाह स्थल तिरुपरकुन्रम पर्वत है। शास्त्रों में देवयानी को षष्‍ठी, लक्ष्‍मी, आशा, सुख प्रदा, सिनीवाली, कुहू, सद्वृति तथा अपराजिता कहते हैं।
  3. कार्तिकेय की पहली पत्नी दिव्यानि या देवयानी का विवाह स्थल.....
  4. दक्षिण के मदुरई/मदुरै शहर से करीब 10 km की दूरी पर स्थित थिरुपरनकुंद्रम मुरुगन या सुब्रमण्य स्वामी भगवान कार्तिकेय को समर्पित एक हिंदू मंदिर है और यह मुरुगन के छह मुख या निवासों में से एक है।

यहां परांगीनाथर के रूप में शिव की पूजा की थी।

  1. किंवदंती के अनुसार यह वह जगह है जहां मुरुगन ने राक्षस सुरपद्मन का वध किया और स्वर्ग के राजा इंद्र की दिव्य बेटी दिव्यानि/देवयानी से विवाह किया था।
  2. देवयानी क्रिया या कर्म रूप में तथा और वल्ली इच्छा शक्ति के रूप में इनकी सहभागिनी हैं। अतः देवताओ के रक्षक सुब्रमण्यम ने इन दोनो से विवाह कर शक्तियों को प्राप्त किया था।

कुमार कार्तिकेय क्यों कहलाते हैं

भगवान स्कन्द या मङ्गल स्वामी कार्तिकेय को हमेशा एक कुमार बालक के रूप में ही दर्शाया जाता है, वे विवाहित हैं, उनकी दो पत्नियां हैं-

पहली- देवसेना एवं दूसरी- वल्ली। ये महायोद्धा हैं लेकिन फिर भी उनका स्वरूप एक बालक का ही है।अपनी माता पार्वती के श्राप फलस्वरूप वह कभी अपनी बाल्यावस्था को त्याग ही नहीं पाए। उनके इस बालक कुमार स्वरूप के पीछे भी स्कन्द पुराणमें एक रहस्यमय किस्सा छिपा हुआ है, जिसकी जानकारी आगे कभी दी जावेगी।

भगवान कार्तिकेय के विभिन्न नाम

संस्कृत ग्रंथ अमरकोष के अनुसार

कार्तिकेय के निम्न नाम हैं:

कुमार कार्तिकेय, महासेन,शरजन्मा, षडानन,

पार्वतीनन्दन, स्कन्द, सेनानी, देवताओं के सेनापति, अग्निभू, प्रथ्वीपुत्र, मंगलनाथ, गुह, बाहुलेय, तारकजित्, विशाख, शिखिवाहन, शक्तिश्वर, कुमार, क्रौंचदारण तथा कार्तिकेय डोटी नेपाल में

भगवान कार्तिकेय को मोहन्याल कहते है।

मंगलदोष दूर करने वाला मन्त्र

ऊं शारवाना-भावाया नमः

ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा

देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नमोस्तुते:

ॐ सुब्रहमणयाया नमः

अपने शत्रुओं के नाश के लिए इस मंत्र का मंगलवार को 9 दीपक अमृतम “राहुकी तेल” के जलाकरऊपर लिखे मन्त्र का 9 माला जाप करना चाहिए।

सभी तरह के ताप, दुखों और कष्टों का दूर

या कम करने के लिए भगवान

कार्तिकेय का गायत्री मंत्र निम्नलिखित है: –

ओम तत्पुरुषाय विधमहे:

महा सैन्या धीमहि

तन्नो स्कन्दा प्रचोद् यात:

दक्षिण भारतीय तत्काल प्रभावी मङ्गल मंत्र

दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप किया जाता है:

हरे मुरूगा हरे मुरूगा शिवा कुमारा हरो हरा

हरे कंधा हारे कंधा हारे कंधा हरो हरा

हरे षण्मुखा हारे षण्मुखा हारे षणमुखा हरो हरा

हरे वेला हरे वेला हारे वेला हरो हरा

हरे मुरूगा हरे मुरूगा ऊं मुरूगा हरो हरा

भगवान कार्तिकेय सर्वसुख शांति-शक्ति के देवता हैं। यही मंगलनाथ औऱ मंगल ग्रह के स्वामी, प्रथ्वीपुत्र भी हैं। भवन-भूमि इन्ही की कृपा से प्राप्त होती है।

संसार-सृष्टि में सबसे ज्यादा अमंगल कारक दोष इन्ही की देन हैं।

अचानक हानि, दुर्घटना,

कर्जा, कष्ट-क्लेश,

क्रोध, सम्पत्ति नाश, विवाद,

पुलिस से पीड़ित

अविवाहित जीवन

तलाक, पति-पत्नी,

बच्चों में अनबन

आदि जीवन के हरेक सुख भगवान मोरगन स्वामी

(कार्तिकेय) ही क्षीण या खत्म करते हैं 

जब कभी सृष्टि के देव-दानव पीड़ित-परेशान होते हैं, तो इनसे ही प्रार्थना कर power पाते हैं-

कार्तिकेया महातेजा

आदित्यवर-दर्पित:।

शाँति करोतु मे नित्यं

बलं, सौख्यं, च तेजसा।।

अतः power और पैसा इन दो ही ग्रहों की

कृपा से पा सकते हैं।

स्वामीमलय वह मंदिर हैं, जहां मुरुगन ने अपने पिता को ॐ शब्द का रहस्य बतलाया था। वेदों के ज्ञाता प्रजापति ब्रह्मा भी 'ॐ" को सिर्फ शब्द के तौर पर ही जानते थे, इस शब्द का अर्थ नहीं जानते थे।

पलानी मोरगन स्वामी तीर्थ….

यहां का एक बेहद लोकप्रिय मंदिर है पलानी। यहां मुरुगन शिष्य के तौर पर हैं, जिनके हाथ में दंड है। इसलिए उन्हें दंडपति कहा जाता है। यहां वे अपने पिता द्वारा गणपति से भेदभाव के चलते अपने पिता शिव का घर कैलाश पर्वत पर छोड़कर आए थे।

कार्तिकेय की इतनी संक्षिप्त जानकारी इस लेख में देना बहुत जरुरी था, ताकि लोग भय-भ्रम, तनाव, क्रोध

से मुक्ति पा सके। हालांकि अमृतम

brainkey gold malt

ब्रेन की गोल्ड माल्ट

मानसिक शांति हेतु चमत्कारिक दवा है ।

लगातार 30 दिन के निरन्तर सेवन से

तन-मन के ज्ञात-अज्ञात अनेक विकार

स्वतः ही स्वाहा हो जाते हैं।

मन को प्रसन्न रख तन की तपन दूर करने

में चमत्कारिक है।

धर्म के बहुत से अनसुलझे

रहस्यों को जानने के लिए

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