जब विज्ञान, तंत्र और ज्योतिष मिलते हैं — तब जन्म लेता है परिवर्तन! अनुभव में आया है कि राहु के नक्षत्रों जैसे आद्रा, स्वाति और शतभिषा में जन्मे जातक में अमरत्व की कामना बहुत होती है! अमृत की लालसा में वे अनेक खोज कर संसार के लिए अनेक आविष्कार छोड़ जाते हैं! श्रीरावण सहित भूत, भविष्य और वर्तमान के सभी वैज्ञानिक ऋषि-महर्षियों की तरह हैं या उनका अवतार! ये सभी भयंकर रूप से कालसर्प-पितृदोष से प्रभावित और परेशान रहे! भृगु और रावण सहिंता के मुताबिक श्री दशानन रावण का जन्म नक्षत्र स्वाति था! रावण ने ही विद्युत यानी लाइट की खोज की थी! स्वर्ण की खोज करने वाले हिरण्यकश्यप आद्रा नक्षत्र में जन्मे थे! कंस का नक्षत्र भी आद्रा था! रावण का शिवजी से संवाद और राहु का रहस्य विधि के विधान को पलटना मूर्खता कहलाती है, रावण। अमरत्व का आभास पाओगे, परंतु प्राप्त नहीं कर सकोगे। रुद्र वचन! लंका का यह संवाद केवल देव और दैत्य के बीच नहीं था, बल्कि यह मानव की अमरता की जिज्ञासा और कर्म-विज्ञान के संघर्ष का प्रतीक था। श्री दशानन रावण, जिसे “ त्रिकालज्ञ ” कहा गया, शिव-भक्त होने के साथ-साथ राहु-प्रभावित स्वाति नक्षत्र ...
सावधानी न बरतने से लोग सिर्फ मरते ही नहीं, पैदा भी होते हैं! प्रकृति के नियम ✅ खाना – 24 घंटे के भीतर बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जाते हैं। ✅ पानी – 4 घंटे में बाहर आना चाहिए, वरना शरीर को नुकसान पहुँचाता है। ✅ हवा – कुछ सेकंड में बाहर निकल जाती है, वरना हम जीवित नहीं रह सकते। ❌ लेकिन नकारात्मक बातें – घृणा, गुस्सा, ईर्ष्या, असुरक्षा… इन्हें लोग दिनों, महीनों और सालों तक अपने भीतर दबाकर रखते हैं। 👉 यही बातें हमें धीरे-धीरे मानसिक रोगी बना देती हैं। 🌸 निर्णय आपका 🌸 क्योंकि शरीर भी आपका है और मन भी आपका है।
जवानी में नांरी से बुढ़ापे में बीमारी से बच गए तो सन्त बन जाओगे। ■ जिस देश में एक बीड़ी से 5 लोग पीते हों उस देश की एकता अखंडता को कोई खतरा हो ही नहीं सकता अहीर, गड़रिया गुर्जर अंजर (अस्त्र वाले) कंजर,बंदर ये दुनिया में न होते तो लोग खोल किवरिया सोते। सरकारी अस्पताल जान से जाना प्राईवेट हॉस्पिटल जमीन जायदाद से जाना हम पानी इसलिए पीते हैं क्योंकि हम खा नहीं सकते बारिश का मौसम- झमाझम बारिश का मौसम और फर्क हालातों का...! रईस को मस्ती सूझ रही है और गरीब की बस्ती डूब रही है...!! गणितज्ञ पत्नी के बालों की तरफ करते हुए बोला.... यह काली घटा- सौन्दर्य की जमा पूंजी है पत्नी चिढ़कर बोली आपको हमेशा जमा-घटा की बाते ही सूझती है। विवाह अब मन से मन का मिलन नहीं रहा क्यों की अब सेर, छटांक, मन का युग खत्म हो गया है। दो मन मिलें तो क्या होता है गणितज्ञ ने लिखा की अस्सी सेर या ब्याह होता है। पति में छोटी इ ओर पत्नी में बड़ी ई यह भी अधिकारों का हनन है। अपनी सीट रोकने के लिये लोग रूमाल रख के जाते हैं... राहुल "बोरा" रख के गये है... मोतीलाल नारद मुनी हर जगह पहुंच नही पाते थे इसलिये भगवान ने ...
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