कालसर्प और राहु के कष्टों से मुक्ति पाने के गुप्त रहस्य
जीवन को बदलना चाहते हो,
तो अवश्य पढ़ें!
राहु के गुप्त और गोपनीय रहस्य
प्राचीन ग्रंथ राहु तंत्र में उल्लेख मिलता है
कि सोमवार को जब शुक्र का महालक्ष्मी
नक्षत्र पूर्वाषाढ़ हो, तब पाँच महाभूत प्रतीक त्रिकोण युक्त पार्थिव शिवलिंग बनाने से
राहु की विशेष कृपा मिलने लगती है!
शुक्र राहु और दैत्यों के गुरु हैं! दुखों से
मुक्ति पाने के लिए राहुकाल में पूजा जरूरी है! शुरू के १५ दिन भयंकर निगेटिव ऊर्जा
निकलने से उच्चाटन भी होगा लेकिन
५४ दिन बाद जीवन तेजी से बदलेगा!
दुख-रोग, कष्ट, भय,भ्रम, डर, तनाव,
डिप्रेशन ये सब राहु का भोजन है! राहु मन-मस्तिष्क, अंतर्मन और आत्मा की सफ़ाई
कर उन्नति प्रदान करता है! सफलता में
सहायक है!
amrutampatrika.com और अमृतम कालसर्प विशेषांक से साभार
प्राचीन ‘राहु तंत्र’ ग्रंथ में वर्णित है कि
शुक्रस्य पूर्वाषाढायां त्रिकोणयुक्तं शिवलिङ्गं निर्मितं!राहोः प्रसादकारणं भविष्यति न संशयः॥
अर्थात्-
जब सोमवार के दिन शुक्र का
महालक्ष्मी नक्षत्र पूर्वाषाढ़ गोचर
में प्रभावी हो, तब
पाँच महाभूतों यानी जल, अग्नि, वायु,
पृथ्वी, आकाश) के प्रतीक त्रिकोण
सहित पार्थिव शिवलिंग बनाकर
शिव-राहु की उपासना करने से
राहु की अद्भुत और तीव्र कृपा प्राप्त होती है।
🌑 राहु, शुक्र और दैत्य-शक्ति का गूढ़ संबंध
•शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु हैं और राहु-
असुरों के संरक्षक।
•दोनों मिलकर छाया, मायावी
शक्ति, तंत्र, तेज, उन्नति और मनोबल को नियंत्रित करते हैं। इसलिए शुक्र + राहु
योग जब भी निर्मित हो, साधना अत्यंत
प्रभावी होती है।
राहुकाल में पूजा क्यों अनिवार्य मानी गई?
राहुकाल वह समय है जब नकारात्मक
ऊर्जा सतह पर आती है! मन की अशांति
बाहर निकलती है! राहु अपने शिष्य को
परीक्षा लेकर वरदान देता है।
इसी समय की गई पूजा उच्चाटन
(Negativity Removal) और
तेज-वृद्धि दोनों प्रदान करती है।
पहले 15 दिन क्या होता है? (गुप्त चेतावनी)
राहु तंत्र कहता है कि
प्रथम पञ्चदशाहेन चित्ते च विक्षेपो भवेत्॥
पहले 15 दिनों में
घर या मन से भयंकर नकारात्मक
ऊर्जा निकलती है। बेचैनी, भारीपन, भ्रम, अवसाद, डर, अप्रिय सपने पुरानी दबाई
गई भावनाओं तथा विचारों का उभार
यह सब उच्चाटन का संकेत है कि
राहु आपका भीतर का बोझ साफ़
कर रहा है।
54 दिन बाद राहु का वरदान फलित
होता है! फिर, बुद्धि प्रखर, निर्णय क्षमता
सशक्त, नाम, प्रतिष्ठा और अवसरों की
वृद्धि, आर्थिक प्रगति, बाधा नाश,
ग्रहजनित भय व कष्टों का अंत हो जाता है!
राहु का भोजन और राहु की कृपा
राहु तंत्र में लिखा है
दुःख–रोग–भय–क्लेशो राहोर्भक्ष्यम्।
अर्थात
दुख, रोग, कष्ट, भय, भ्रम, तनाव,
डिप्रेशन — यही राहु का भोजन है।
जब आप इन्हें शिवलिंग पर समर्पित
करते हैं, राहु इन्हें भक्षण करके
मन-मस्तिष्क को शुद्ध करता है।
राहु—मन की सफाई करता है
अंतर्मन को दृढ़ बनाता है
•आत्मा को नकारात्मक बंधनों
से मुक्त करता है
•जीवन में तेज, आकर्षण
और सफलता देता है
राहुकाल में ये उपाय १०० गुना
फलकारक है! यह करें
ॐ काला-ध्वजाय नमः।
चित्तशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा॥
इसके निरंतर प्रयोग से
•पारिवारिक, सांसारिक और
कानूनी राहु दोष शांत!
•कालसर्प पीड़ा कम
•आत्मबल में वृद्धि
•मानसिक अवरोध दूर
•आर्थिक, व्यवसायिक
और मान-सम्मान में उन्नति
राहु का सिद्ध रहस्य सार
•राहु = मन का शल्य चिकित्सक
•राहु = भ्रम काटने वाला ग्रह
•राहु = सफलता का शॉर्टकट
•राहु = कर्म, बुद्धि, साहस और
चमत्कार का कारक
•राहुकाल = मनोवैज्ञानिक
नकारात्मकता से मुक्ति
•15 दिन = अशुद्धि निकालना
•54 दिन = जीवन में चमत्कार
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