ख़ूबसूरती स्त्री की आँख और फाँख में नहीं हमारी दृष्टि में होती है-

  1. पहली बात, तो ये है कि भारत में बेशुमार नारी सौंदर्य उत्पाद जो आयुर्वेदिक के नाम से बेचे जा रहे हैं और बनाये जाते हैं खतरनाक केमिकल द्वारा! 
  2. जनता सुंदरता बढ़ाने के लिए बिना जाने समझे, बिना फ़ार्मूला पढ़े इस्तेमाल कर रही है! 

सौंदर्य क्या है?

मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।

  1. अर्थात- मन ही बंधन और मुक्ति का कारण है।
  2. सौंदर्य वह नहीं जो दिखे, वह है जो जागृति दे। अर्थात् आकृति नहीं, भावना सुंदर होती है। मीराबाई का प्रेम सुंदर था, न कि उनका श्रृंगार। राम का त्याग सुंदर था, न कि उनका मुकुट।
  3. राम का सौंदर्य उनके मुखमंडल में नहीं, बल्कि उनके वचन, करुणा और मर्यादा में था। मीराबाई का सौंदर्य उनके वस्त्रों में नहीं, बल्कि भक्ति में था, जो कृष्ण तक पहुँची।
  4. देखा जाए, तो कोई भी वस्तु सुंदर नहीं होती, दृष्टि सुंदर होती है। अब बेचारा आम आदमी सोच में पड़ जाता है कि अगर सबकी दृष्टि अलग-अलग है, तो सुंदरता की दुकान कौन चला रहा है?
  5. भारत सहित विदेशों में एक आयुर्वेदिक सप्लीमेंट नारी सौंदर्य माल्ट नाम का उत्पाद तेजी से वायरल होकर अथाह बिक रहा है! क्योंकि इसकी मार्केटिंग का तरीका विचित्र है! ये ब्रांड सार्क टेंक सीजन सोनी टीवी पर भी आ चुका है! 
  6. नारी सौंदर्य माल्ट पीसीओडी और pcos नामक स्त्री रोग दूर करने के लिए बेचा जा रहा है! महिलाये इसकी तारीफ़ करते हुए नहीं थकती! पता नहीं इसमें ऐसा कौनसा जादुई फ़ार्मूला मिलाया है जिसके कारण मात्र पाँच सालों में इसकी बिक्री शून्य से करोड़ों में पहुँच गई! 
  7. देश में बड़े ब्रांडों को इस आयुर्वेदिक प्रोडक्ट ने पछाड़ दिया! इसमें क्या है भगवान जाने! 
  8. विज्ञान कहता है कि सुंदरता symmetry, proportion और balance का परिणाम है। हमारा मस्तिष्क उन चीजों को सुंदर मानता है जो हमें harmonious लगती हैं। इसलिए गुलाब सुंदर लगता है, मगर कांटे नहीं। पर ध्यान रहे, कांटों के बिना गुलाब भी अधूरा है, जैसे Instagram बिना filter के!
  9. सौंदर्य न वस्तु का गुण है, न आंख का भ्रम! वह संवेदना है जो मन और आत्मा को जोड़ती है। जब मन प्रसन्न होता है, तब साधारण फूल भी मंदिर बन जाता है और जब मन दूषित होता है, तब अप्सरा भी साधारण लगती है।

सौन्दर्यं न त्वयं रूपे, गुणे धर्मे च दृश्यते।

मनःशुद्धौ स्थितं सौन्दर्यं, नैनं रूपेण लभ्यते॥

  1. आर्युर्वेद के अनुसार सौंदर्य न रूप में है, न आभूषण में वह मन की शुद्धता में बसता है।

विज्ञान की दृष्टि से सौंदर्य

  1. विज्ञान कहता है कि हमारा मस्तिष्क symmetry और balance को सुंदर मानता है। यदि किसी चेहरे का अनुपात सुनियोजित है, तो मस्तिष्क उसे “आकर्षक” मानता है। पर असली रहस्य यह है कि मन की खुशी से perception बदल जाता है। जब मन प्रसन्न हो, तो हर व्यक्ति सुंदर लगता है। जब मन उदास हो, तो दर्पण में भी मुस्कान खो जाती है।

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