जब विज्ञान, तंत्र और ज्योतिष मिलते हैं — तब जन्म लेता है परिवर्तन! अनुभव में आया है कि राहु के नक्षत्रों जैसे आद्रा, स्वाति और शतभिषा में जन्मे जातक में अमरत्व की कामना बहुत होती है! अमृत की लालसा में वे अनेक खोज कर संसार के लिए अनेक आविष्कार छोड़ जाते हैं! श्रीरावण सहित भूत, भविष्य और वर्तमान के सभी वैज्ञानिक ऋषि-महर्षियों की तरह हैं या उनका अवतार! ये सभी भयंकर रूप से कालसर्प-पितृदोष से प्रभावित और परेशान रहे! भृगु और रावण सहिंता के मुताबिक श्री दशानन रावण का जन्म नक्षत्र स्वाति था! रावण ने ही विद्युत यानी लाइट की खोज की थी! स्वर्ण की खोज करने वाले हिरण्यकश्यप आद्रा नक्षत्र में जन्मे थे! कंस का नक्षत्र भी आद्रा था! रावण का शिवजी से संवाद और राहु का रहस्य विधि के विधान को पलटना मूर्खता कहलाती है, रावण। अमरत्व का आभास पाओगे, परंतु प्राप्त नहीं कर सकोगे। रुद्र वचन! लंका का यह संवाद केवल देव और दैत्य के बीच नहीं था, बल्कि यह मानव की अमरता की जिज्ञासा और कर्म-विज्ञान के संघर्ष का प्रतीक था। श्री दशानन रावण, जिसे “ त्रिकालज्ञ ” कहा गया, शिव-भक्त होने के साथ-साथ राहु-प्रभावित स्वाति नक्षत्र ...
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