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Showing posts from September, 2025

मन की मजबूती के लिए मानव को मन की मलिनता मिटानी पाफ़ेगी, तभी विजयी भव: का आशीर्वाद देना उचित होगा!

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🔥 दशहरा 2025 : रावण, राहु नक्षत्र और डिजिटल युग का नया रहस्य 🌟 दशहरा का असली संदेश दशहरा केवल एक पुतला दहन का त्यौहार नहीं है। यह वह क्षण है जब इंसान को अपने भीतर छिपे रावण को पहचानकर जलाना होता है। 👉 रावण कोई बाहरी दुश्मन नहीं, बल्कि हमारी इंद्रियों के मोह, आलस्य, क्रोध और डिजिटल व्यसन का प्रतीक है। 👉 असली विजय है – मन पर नियंत्रण और आत्मा की शक्ति जागृत करना। 🙏 रावण – भक्ति, विद्या और त्याग का अद्भुत संगम रावण को हम अक्सर सिर्फ खलनायक समझते हैं। परंतु सच यह है कि वे महाभक्त शिवोपासक, महाज्ञानी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले महापुरुष थे। उनका लिखा शिव तांडव स्तोत्र आज भी शिवभक्ति का सर्वोच्च उदाहरण है। रावण संहिता ने ज्योतिष, तंत्र और आयुर्वेद को नई दिशा दी। वे बहुभाषाविद्, संगीतज्ञ और अनुसंधानकर्ता थे। 👉 यदि रावण को केवल नकारात्मक चश्मे से न देखा जाए, तो वे ज्ञान और अनुसंधान का जीता-जागता ब्रह्मांड प्रतीत होते हैं। 🌌 राहु नक्षत्र और रावण का रहस्य रावण का जन्म स्वाति नक्षत्र (राहु का क्षेत्र) में हुआ। राहु के तीन नक्षत्र — आद्रा, स्वाति और शतभिषा — आज भी मानवता की जिज्ञासा और आविष...

मानव जीवन में ब्रेन ही मात्र क्रेन की तरह मजबूत होना जरूरी है! ब्रेन में जितने कम विचार होंगे उतना अच्छा आपका व्यवहार होगा

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pahle के लोग कहते थे जितना कम सामान, उतना ही ज़्यादा आराम! हम बुजुर्गों की बातें न मानकर हर जगह लात खाने को मजबूर हैं! sri दशानन रावण के बारे में फैलाया गया झूठ, भय, भ्रम ये सब पंखण्डियों की देन है! इससे हमें सचेत होना जरूरी है अन्यथा हम अपने भाग्य को दुर्भाग्य में बदल कर भागे भागे फिरेंगे और फिर शिवजी से भागकर कोई जाएगा कहाँ! इस ब्लॉग में दशहरा नहीं सही नाम दसराह के बारे में जानेंगे! ये दसों दिशाओं से एनर्जी, ऊर्जा, उमंग, उत्साह पाने की दिन है! इसीलिए इसे विजया तिथि कहते हैं! विजय दशमी को ही दसराह मानने की प्राचीन परंपरा है! श्री दशानन रावण की भक्ति और विद्वत्ता राहु नक्षत्र की रहस्यमयी शक्ति डिजिटल रावण (आधुनिक बुराइयाँ) रावण संहिता और अनुसंधान अमृतम और अशोक जी के प्रयासों का उल्लेख सबको जोड़कर एक नई परिभाषा वाला, पूर्ण और आकर्षक लेख तैयार कर दिया है। 🌺 दशहरा और श्री दशानन रावण: राहु नक्षत्र, डिजिटल रावण और आत्मविजय का महापर्व 🙏 आरम्भ – विजयादशमी का असली अर्थ दशहरा या विजयादशमी केवल रावण दहन का पर्व नहीं है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि – 👉 असली जीत दूसरों पर नहीं, बल्कि अपने भीतर...

तन-मन-अन्तर्मन और आचरण पर विजय पाना ही हमारा संकल्प होना चाहिए! दसराह के दिन श्री दशानन रावण स सीखें शिव:संकल्प मस्तू

🌺 दशहरा: रावण, राहु और आत्मविजय की नई परिभाषा ✨ श्री दशानन रावण: भक्ति और ज्ञान का प्रतीक हम अक्सर दशहरे को केवल “रावण दहन” से जोड़ते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण का असली नाम श्री दशानन रावण था? वे करोड़ों गुना ज्ञानी, महाशिवभक्त, त्यागी और अनुसंधानकर्ता थे। 👉 उनका लिखा शिव तांडव स्तोत्र आज भी भक्ति और समर्पण की अमर गाथा है। 👉 रावण संहिता ज्योतिष का प्राचीन ग्रंथ है, जिसे आत्मा और अनुभव के आधार पर लिखा गया। 👉 आयुर्वेद, संगीत, वास्तु, तंत्र और खगोल विज्ञान में उनका योगदान अतुलनीय है। यदि हम अपने मन से रावण के प्रति दुर्भावना और नकारात्मकता को मिटा दें, तो जीवन की आधी समस्याएँ स्वतः दूर हो जाती हैं। 🌌 राहु नक्षत्र और रावण का जन्म रावण का जन्म राहु के स्वाति नक्षत्र में हुआ था। राहु नक्षत्रों की शक्ति अनूठी है: 1. आद्रा (मिथुन राशि) शिव की जिज्ञासा और रहस्य खोजने की ऊर्जा विज्ञान, चिकित्सा और शोध की प्रवृत्ति 2. स्वाति (तुला राशि) स्वतंत्रता और साहस कला, साहित्य और व्यापार में नवाचार 3. शतभिषा (कुंभ राशि) रहस्यवाद और तकनीकी आविष्कार समाज सुधार और ज्योतिष 👉 यही कारण है कि राह...

पंचमी और दशमी ये दोनों तिथियाँ विजयी तिथि कहलाती हैं! इन तिथि में की गई शुरुआत हमेशा अपार सफलता दिलाती है! जाने दसराह और राहु का रहस्य

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🌺 श्री दशानन रावण और राहु नक्षत्र का रहस्य: दशहरा का असली अर्थ 🙏 रावण का सही परिचय पहली बात तो यह समझना ज़रूरी है कि रावण का सही नाम श्री दशानन रावण है। वो करोड़ों गुना विद्वान, महाशिवभक्त, त्यागी और अनुसंधानकर्ता थे। सीधे “रावण” कहना उनकी विद्वत्ता का अपमान है। 👉 अमृतम पत्रिका, ग्वालियर के संपादक अशोक गुप्ता के 40 वर्षों के अनुसंधान और अध्ययन से यह तथ्य सामने आया कि यदि हम श्री दशानन रावण के प्रति बुराई और दुर्भाव को हृदय से निकाल दें, तो हमारे जीवन की आधी समस्याएँ स्वतः दूर हो जाती हैं। 🌌 रावण का जन्म और राहु नक्षत्र श्री दशानन रावण का जन्म राहु के स्वाति नक्षत्र में हुआ था। यह तुला राशि का नक्षत्र है और देवगण में माहिष योनि का है। राहु के तीन प्रमुख नक्षत्र हैं – 1. आद्रा (मिथुन राशि) अधिपति: भगवान शिव गुण: रहस्यों की खोज, गहराई से जानने की प्रवृत्ति, जिज्ञासा जीवन क्षेत्र: विज्ञान, शोध, चिकित्सा, तंत्र 2.  स्वाति (तुला राशि) गुण: स्वतंत्रता, तेज ऊर्जा, नवाचार और साहस जीवन क्षेत्र: कला, साहित्य, राजनीति, व्यापार, संगीत 3.  शतभिषा (कुंभ राशि) गुण: रहस्यवाद, तकनीकी आ...

श्री दशानन रावण का जन्म नक्षत्र स्वाति थी, जिसके अधिपति राहु हैं और स्वामी वायु है! जाने दशहरा मनाये या दसराह मन की शांति का अचूक उपाय!

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श्री दशानन रावण की सही पहचान, उनके अनुसंधान, राहु नक्षत्र, ज्योतिषीय रहस्य और उनके अच्छे कार्यों की चर्चा हो। यह लेख गहन, रोचक और अज्ञानता, भ्रम, भय मिटाने के लिए अनुकूल होगा। 🌺 विजयादशमी का नया दृष्टिकोण: श्री दशानन रावण की भक्ति, ज्ञान और अनुसंधान से सीख 🙏 रावण का सही नाम – श्री दशानन रावण हम अक्सर “रावण” शब्द का प्रयोग करते हैं, जबकि उनका सही नाम श्री दशानन रावण है! ये नामकरण संस्कार भोलेनाथ ने ही किया था! करोड़ों गुना विद्वान, अद्वितीय तपस्वी और शिवभक्त होने के कारण उन्हें सीधे रावण कहना अनुचित है। 👉 दशहरा हमें केवल बुराई के दहन का नहीं, बल्कि ज्ञान और भक्ति से जुड़ने का भी संदेश देता है। 📚 अमृतम पत्रिका का 40 वर्ष का अनुसंधान ग्वालियर से प्रकाशित अमृतम पत्रिका के संपादक अशोक गुप्ता का यह लेख चालीस वर्षों के अनुसंधान का परिणाम है। अशोक गुप्ता का मानना है कि यदि हम अपने मन और हृदय से श्री दशानन रावण के प्रति दुर्भाव और बुराई का भाव निकाल दें, तो हमारे जीवन की आधी समस्याएँ स्वतः ही दूर हो जाएँगी। 🌌 रावण का जन्म और राहु नक्षत्र रावण का जन्म राहु के स्वाति नक्षत्र में हुआ था। स्व...
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पहली बात तो रावण का सही नाम श्री दशानन रावण है! हमसे करोड़ों गुना ज्ञानी होने से सीधे रावण बोलना अनुचित होगा! अमृतम पत्रिका, ग्वालियर के संपादक अशोक गुप्ता का ये चालीस साल पुराना अनुसंधान अध्ययन के फलस्वरूप लेख प्रस्तुत है! मेरा विश्वास है कि श्री दशानन रावण के प्रति बुराई, दुर्भाव आदि का अपने मन हृदय से विकार निकालें, तो आपके जीवन की आधी समस्याएं स्वतः ही दूर हो जायेंगी! जानकर हरण हो जाएँगे कि रावण का जन्म राहु के स्वाति नक्षत्र में हुआ था! ये माहिष योनि देवगण का नक्षत्र तुला राशि के अंतर्गत आता है! राहु के तीन नक्षत्र आद्रा इनके अधिपति स्वामी स्वयं भगवान शिव हैं! ये मिथुन राशि में पफ़्ता है! दूसरा स्वाति और तीसरा नक्षत्र शतभिषा है, जो कुंभ राशि में आता है! रावण सहिंता ज्योतिष का सिद्ध प्रसिद्ध और प्राचीन ग्रन्थ है, जिसे रावण ने आत्मा के आधार पर लिखा! राहु नई रह दिखाने वाला ग्रह है संसार में पाताल, आकाश और प्रकृति-पार्थिव की सारी खोजें राहु से प्रभावित लोगों ने ही की! राहु के नक्षत्र में ज्यादातर जातक बहुत ऊर्जावान और एनर्जी से भरे होते हैं! सामान्यत दो से अधिक भाषाओं का ज्ञान होता है...

🌸 Nari Saundarya Malt 40+: 40+ महिलाओं की सेहत और सौंदर्य का राज़

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Nari Saundarya Malt 40+ | रजोनिवृत्ति और हार्मोनल बदलाव का Ayurvedic समाधान! 👉 Amrutam – Nari Saundarya Malt 40+: चालीस की उम्र में भी आत्मविश्वास, सौंदर्य और सेहत का राज़। 40 वर्ष से अधिक की महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, हॉट फ्लश, मूड स्विंग और हड्डियों की कमजोरी को दूर करने के लिए जानिए Amrutam का Nari Saundarya Malt 40+ कितना प्रभावी है। 🌟 Nari Saundarya Malt 40+ क्यों है खास? Amrutam का Nari Saundarya Malt 40+ महिलाओं के लिए सबसे ब्रांडेड और भरोसेमंद आयुर्वेदिक प्रोडक्ट है। खासतौर पर 40 वर्ष से अधिक की महिलाओं के लिए तैयार किया गया है। यह माल्ट रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों को संतुलित करता है। इसमें मौजूद शक्तिशाली जड़ी-बूटियाँ महिलाओं के हॉर्मोनल, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित करती हैं। 💠 Nari Saundarya Malt 40+ के मुख्य लाभ 🔹 रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत हॉट फ्लश, मूड स्विंग और नींद की समस्या कम करता है। योनि का सूखापन दूर करता है और स्त्री रोगों से सुरक्षा देता है। 🔹 हार्मोनल संतुलन इसमें मौजूद जड़ी-बूटियाँ एस्ट्रोज...

साधु अखाड़े के खुलते नाड़ें! ढोंगियों को आड़े हाथ लेना सबकी जिम्मेदारी है वैसे १३ अखाड़े हैं प्राचीन काल से

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bhartiya Akhara Parishad) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। ये सभी अखाड़े कुंभ मेला जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों में भाग लेते हैं और हिंदू साधु-संतों की आध्यात्मिक परंपरा के महत्वपूर्ण अंग हैं। 🇮🇳 भारत के तेरह प्रमुख अखाड़े श्री पंचदशनाम जुना अखाड़ा मुख्यालय: वाराणसी, उत्तर प्रदेश संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय प्रमुख देवता: भगवान दत्तात्रेय विशेषता: यह भारत का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसमें नागा साधुओं की संख्या अधिक है। यह हथियार और शास्त्र दोनों की शिक्षा देता है।   श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा मुख्यालय: दारागंज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय प्रमुख देवता: भगवान कार्तिकेय विशेषता: यह दूसरा सबसे बड़ा अखाड़ा है और शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय है। श्री पंचायती महा निर्वाणी अखाड़ा मुख्यालय: दारागंज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश संप्रदाय: दशनामी संप्रदाय प्रमुख देवता: ऋषि कपिल मुनि विशेषता: यह अखाड़ा पर्यावरणीय जीवनशैली को बढ़ावा देता है और शास्त्रधारी साधुओं का प्रमुख केंद्र है।   श्री पंचायती अटल अखाड़ा मुख्यालय: वाराणसी, उत्तर प्रदेश संप्रदाय: ...

🔱 अखाड़ों की धारा अमृतम की विचारधारा

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तेरह अखाड़ों में से एक उदासीन अखाड़ा के उपासक (साधू) उदयातिथि में एक उद्यन पूजा जिसमें असंख्य दीप जलाये जाते हैं इसे परमात्मा को प्रकाशित करने की प्रक्रिया कहते हैं! उदासीन साधु इसे राहु काल में समय-समय पर करते हैं। उदासीन साधू सिर्फ अपने गुरु मन्त्र की शक्ति प्राप्ती तथा अध्यात्म उन्नति के अलावा सब मोह माया छोड़ उदासीन रहते है। लेकिन अब सभी अखाड़ों में उत्तराधिकार को लेकर विवाद है। सभी जगह उदारता, उत्तम पुरुष, उत्तम स्त्रियों, उत्कांति उपासकों, उपकारी उसूल वाले प्राणियों का अब दिनों दिन भारी अभाव होता जा रहा है। हर कोई अपनों-गेरों की नजरों में उतरकर, धन के लिये उड़ान भर रहा है! उड़न छू हो रहा है। अब उपलब्धि, उपार्जन उन्नति महत्व की वस्तु बन गई है, उद्देश्य कोई भी हो। सत्य, सही-सीख पर उखड़ना (क्रोधित होना) एक आम बात है। अंधकार, अहंकार और अज्ञानता इन तीनों बहनों ने लोगों को प्रेमियों की तरह इतना फांस लिया है कि लोग इससे ऊपर उठने पर भयभीत होते है। ऐसे लोगों को प्रकाश में ले जाने या प्रकाशित करने का उपाय ऊपरवाला ही बता सकता है। वैसे राहु काल में Oil के दीप जलाना सर्वश्रेष्ठ उपाय है। उन्नत...

दसराह को राहु काल में १० दिशाओं में दस दीपक Raahukey oil के जलाकर अपने दुर्भाग्य को भी जला सकते हैं! जाने रोचक रहस्य

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🔱 दसराह आश्विन शुक्ल दशमी को धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में कुंभ राशि में चंद्रमा के गोचर पर मनाई जाती है। जानिए कैसे दसों दिशाओं में Raahukey Oil के दीपक जलाकर स्थिर लक्ष्मी और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करें। 🌟 दसराह – दसों दिशाओं में शुभ ऊर्जा का पर्व उत्तरांचल यात्रा के दौरान अमृतम पत्रिका के अशोक जी गौमुख से आकाशगंगा मार्ग में सप्तऋषि वंश के ब्रह्मर्षि साधक से मिले और उन्होंने बताया कि: “दशहरा का असली नाम दसराह है। इसका अर्थ है – दसों दिशाओं की राहें खुलना। वर्षा ऋतु के बाद मार्ग साफ होते हैं और आकाश निर्मल होता है।” दसराह केवल रावण वध का प्रतीक नहीं है। यह दसों दिशाओं में शुभ ऊर्जा और सकारात्मक परिवर्तन का पर्व है। 🌌 दसराह का शुभ समय: धनिष्ठा नक्षत्र और कुंभ राशि दसराह आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में कुंभ राशि पर जब चंद्रमा गोचर में होता है, सबसे शुभ माना जाता है। इस समय पूजा और उपाय करने से ऊर्जा प्रवाह अधिकतम होता है। वाहन, उत्पादन संयंत्र, मशीनरी और उपकरणों की पूजा करना अत्यंत फलदायी है। Raahukey Oil के दस दीपक राहु काल में जलाना शुभ माना जाता है। ...

🔱 अमृतम पत्रिका ग्वालियर दसराह का रहस्य: गौमुख से आकाशगंगा मार्ग पर ब्रह्मर्षि साधक से मिला ज्ञान और दिव्य अनुभव

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जाने-दसराह और दशहरा में क्या अंतर है? 👉 दसराह = दसों दिशाओं की राहें खुलना, दशहरा = सामान्य प्रचलित नाम। जानिए दसराह का वास्तविक अर्थ, समुद्र मंथन का रहस्य, पंचक, दीपावली और स्थिर-चंचल लक्ष्मी का विज्ञान। 🌟 उत्तरांचल यात्रा और अद्भुत अनुभव अमृतम पत्रिका के अशोक जी जब उत्तरांचल यात्रा पर थे और गौमुख से आकाशगंगा मार्ग की ओर जा रहे थे, उन्हें सप्तऋषि वंश के एक परम ब्रह्मर्षि साधक के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ और ब्रह्मर्षि साधक से दिव्य ज्ञान प्राप्त किया। योगी जी ने इस यात्रा के दौरान अनेक गूढ़ रहस्यों का खुलासा किया, जिनमें प्रमुख था – दशहरा का वास्तविक अर्थ और दसराह का महत्व। 🔮 दसराह का रोचक रहस्य – दसों दिशाओं की राहें योगी जी ने अशोकजी को समझाया: कि दशहरा का वास्तविक नाम दसराह है। इसका अर्थ है – दसों दिशाओं की राहें। वर्षा ऋतु के बाद मार्ग साफ होते हैं, आकाश निर्मल होता है और आवागमन सरल होता है। इसलिए यह दिन शुभ कार्यों, यात्राओं और ऊर्जा संचयन का पर्व है। आज समाज में इसे दशहरा कहा जाता है। रावण वध की कथा केवल प्रचलन में जुड़ी। वास्तविकता में रावण का शरीर चैत्र पूर्णिमा को त्या...